दरेक पेड़ की उगाने की पूरी गाइड: खेती, बीज और फायदें

Published on: 18-Feb-2025
Updated on: 18-Feb-2025
darek tree
फसल

दरेक नीम के जैसे दिखने वाला पौधा हैं। भारत में भी इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर होता हैं, संस्कृत में इसे महानिम्बा, हिमरुद्रा और हिंदी में बकेन भी कहते हैं। यह नीम की तरह दिखता है।

यह ईरान और पश्चिम हिमालय के कुछ हिस्सों में आम है। यह मिलिआसीआई जातियों से संबंधित है।

इस जाति का मूल निवास स्थान पश्चिमी एशिया था। 45 मीटर ऊँचा पत्ते झड़ने वाला वृक्ष है। दरेक आम तौर पर टिम्बर का काम करता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता कम है।

जलवायु और मिट्टी का चयन

दरेक गर्म जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। इसे 20-40°C तापमान वाली जगहों पर उगाया जा सकता है।

दरेक की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, लेकिन यह कम उपजाऊ मिट्टी में भी उग सकता है।

ये भी पढ़ें: नारियल का पेड़ कैसे उगायें, इसकी खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी

बीज की तैयारी

  • दरेक के बीज (निबौली) का उपयोग पौधे तैयार करने के लिए किया जाता है।
  • बीज को सीधे बुवाई के लिए तैयार किया जा सकता है, लेकिन अंकुरण बढ़ाने के लिए बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोना उचित होता है।
  • बीज को 1-2 से.मी. गहरे गड्ढे में बोना चाहिए।

पौधों की रोपाई

बीज अंकुरित होने के बाद, 2-3 महीने में जब पौधा 20-25 से.मी. का हो जाए, तब इसे खेत में रोपा जा सकता है।

पौधों के बीच 5-6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए, ताकि उन्हें बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।

सिंचाई

  • दरेक की खेती के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। शुरुआती समय में हर 15-20 दिनों में हल्की सिंचाई की जा सकती है।
  • बरसात के मौसम के दौरान सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

खाद और उर्वरक

नीम की खेती में अधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।

हालांकि, पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए जैविक खाद (गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट) का प्रयोग किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें: अर्जुन की खेती - पशुओं के लिए पौष्टिक चारा और अतिरिक्त आय का स्रोत

इस वृक्ष की छाल गहरे स्लेटी रंग की है। यह एक सजावटी वृक्ष के रूप में भी उगाया जाता है। इसके फूल गर्मियों में खिलते हैं और सर्दियों या ठन्डे मौसम में सबसे पहले पकते हैं।

विभिन्न फसलों के कीटों, जैसे दीमक, घास का टिड्डा और टिड्डियां को इसके पत्तों, निमोलियों, बीजों और फलों के अर्क से बचाया जा सकता है।