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फसल विविधीकरण के जरिए एक समय पर विभिन्न प्रकार की खेती की जा सकती है

Published on: 07-Aug-2023

फसल विविधीकरण के माध्यम से खेती में एक ही समय में विभिन्न तरह की फसलों की पैदावार जैव विविधता को बनाये रखते हुए किया जाता है। इस विधि माध्यम से खेती कर के किसान एक ही समय में अधिक फसलों को उगाकर अच्छा लाभ उठा सकते हैं। फसल विविधीकरण खेती की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें फसलों की खेती में पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नवीन वैज्ञानिक तरीकों का भी उपयोग किया जाता है। फसलों की खेती में अन्य फसल प्रणालियों को भी बेहतरीन उपज हेतु जोड़ा जाता है। इस प्रकार की खेती में विभिन्न तरीकों से फसलों का उत्पादन बाजार की मांग के अनुरूप किया जाता है। इस फसल विविधीकरण के जरिए से कृषि क्षेत्र में एक ही समय में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन जैव विविधता को बनाये रखते हुए किया जाता है, जिससे किसान एक ही खेत के अंदर विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन कर सकता है। भारत के विभिन्न राज्यों में पानी, श्रम एवं मृदा की गुणवत्ता के आधार पर किसान एक ही खेत में भिन्न-भिन्न फसलों की खेती कर फसलों का उत्पादन कर रहे है। आज हम इसके विभिन्न माध्यमों से खेती करने के तरीकों के विषय में बताने जा रहे हैं।

फसल विविधीकरण विधि कितने तरह की होती है

एकल फसली व्यवस्था

इस प्रक्रिया में खेतों में मिट्टी और जलवायु के आधार पर खेतों से बार-बार एक ही फसल उगाई जाती है. इस तरीके का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में होता है जहां वर्षा व सिंचाई के जल का काफी ज्यादा अभाव होता है. ऐसी फसल विविधीकरण का इस्तेमाल ज्यादातर खरीफ के मौसम में किया जाता है।

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अंतर फसली

इसमें खेतों में एक साथ एक से ज्यादा फसलें अलग-अलग कतार में उगाई जाती हैं. इसे अंतरवर्ती खेती के नाम से भी जाना जाता है. उदाहरण के तौर पर टमाटर की फसल के तीन कतार के बीच सरसों, आलू, मसूर और मटर की खेती की जा सकती है.

रिले क्रॉपिंग

रिले क्रॉपिंग के अंतर्गत खेती करने के लिए भूमि को कई भागों में बाट दिया जाता हैं। इसके अंतर्गत भूमि के एक भाग में दो, तीन प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं। इस खेती की पद्यति में खेत में पहली बोई गई फसल की कटाई करने के पश्चात ही दूसरी फसल की बुवाई की जा सकती है।

मिश्रित अंतर फसली

मिश्रित कृषि में एक खेत में एक समय में दो से तीन फसलों को अलग-अलग एक ही साथ में उगाया जाता है। इससे खेत की उत्पादन क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। इस प्रकार की खेती में फसलों को परागण काफी अच्छी तरह हो पाता है।

अवनालिका फसल प्रणाली

एली क्रॉपिंग की खेती में बड़े पेड़ों की पंक्तियों के मध्य सब्जियां और चारे वाली फसलों का उत्पादन किया जाता है। इस प्रणाली के अंतर्गत लंबे समय तक फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। इस फसल पंक्ति में लकड़ी के उत्पादन वाले पेड़ों के साथ अखरोट एवं क्रिसमस जैसे पेड़ों के साथ सब्जियों का भी उत्पादन किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतू इस विधि को सबसे अच्छा माना जाता है। इस बदलते वैज्ञानिक युग में फसल विविधीकरण से खेती के क्षेत्र में कीड़े, बीमारियां, खरपतवार और मौसम संबंधी समस्याओं की कमी आती है। इसके साथ ही, किसानों को खरपतवार व कीटनाशी जैसे उर्वरकों की उपयोगिता में कमी आती है।

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