अंजीर की खेती हर प्रकार की जलवायु में की जा सकती हैं। लेकिन अंजीर की खेती ज्यादातर गर्म और शुष्क मौसम में की जाती है। अंजीर के पौधे को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता हैं ,लेकिन ज्यादा बेहतर दोमट मिट्टी को माना जाता है। अंजीर के खेत में जल निकासी का भी प्रबंध होना चाहिए ताकि ज्यादा पानी होने पर, जल को सींचा जा सके।
अंजीर की खेती के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है। अंजीर की खेती कम वर्षा वाले क्षेत्र में ज्यादा अच्छे से की जा सकती है। अंजीर की फसल गर्मियों में पक कर तैयार हो जाती हैं। अंजीर की फसल को तैयार होने में लगभग 25-30 डिग्री टेम्परेचर की आवश्यकता रहती है। सर्दियों में गिरने वाला पाला अंजीर की फसल के लिए हानिकारक रहता हैं।
अंजीर का पौधा यदि अच्छी से लग जाता हैं तो ये 40-50 साल तक फल देता है। इसीलिए अंजीर की खेती करने से पहले किसानो द्वारा खेत की जुताई अच्छे से कर लेनी चाहिए,ताकि पहली फसल के अवशेष खेत में न रहे। खेत की जुताई कम से 2 बार करें उसके बाद खेत में अधिक उत्पादकता के लिए गोबर खाद का भी उपयोग कर सकते है।
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इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ दे ,उसे सूर्य की रौशनी लगने दे उसके बाद जब खेत भुरभरा दिखाई देने लगे उसमे फिर से खाद और उर्वरक दे। ऐसा करने से खेत की उर्वरकता बढ़ेगी। इसके बाद खेत को रोटावेटर से जुताई करें फिर उसके बाद खेत में सहाल देकर उसके समतल कर ले। ऐसा करने से खेत में पानी भरने और रुकने जैसे समस्याएं नहीं रहेगी।
खेत को समतल करने के बाद इसमें गड्डो को तैयार किया जाता हैं ये गद्दे 2 फ़ीट चौड़े और 1 फ़ीट गहरे होते है। इन गड्डो को 5 मीटर की दूरी पर तैयार किया जाता है। इन गड्डो में गोबर खाद और रासायनिक खाद दोनों को मिलाकर भरा जाता है। ऐसा करने से पौधे में भी बढ़ोत्तरी होती हैं और साथ ही खेत की उर्वरकता भी बनी रहती है। पौधे को गड्डे में लगाने के बाद 1.5 सेमी तक मिट्टी डालकर पौधे को दवा दे। अंजीर की खेती को ज्यादातर अगस्त और जुलाई माह में करना बेहतर माना जाता हैं।
अंजीर की खेती में वैसे तो बहुत ही न के बराबर रोग लगते हैं ,लेकिन कभी कभी ज्यादा बारिश होने की वजह से इसमें कीट लग जाते हैं। यह कीट पौधे के पत्तों को खाकर उनमे होने वाले विकास को प्रभावित करते है।
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अंजीर की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं रहती हैं, तापमान के अधिक होने पर ही इसमें पानी लगाया जाता हैं। साथ ही सर्दियों में भी इसे बहुत कम पानी जरुरत पड़ती हैं ,20-25 दिन के अंतराल पर इनमे पानी दिया जाता है। इसीलिए अंजीर को कम पानी वाले इलाको में भी किया जा सकता हैं।
अंजीर की खेती में कुछ माह बाद खरपतार होने लगती हैं जो फसल को क्षति पहुंचा सकती है। इसीलिए किसानो द्वारा खेत में समय समय पर नराई और गुड़ाई का काम किया जाता हैं। ताकि खेत में से खरपतवार को निकला जा सकें। इसके लिए किसान कीटनाशक का भी उपयोग कर सकते है।
इस फल के पकने का रंग अंजीर की किस्म पर निर्भर करता हैं क्यूंकि अंजीर की बहुत सी किस्म होती है। अंजीर का फल पक कर बहुत ही मुलायम हो जाता है। अंजीर के फल को तोड़ने के लिए ग्लब्स का उपयोग करें , क्यूंकि अंजीर के फल को तोड़ने पर एक प्रकार का दूध निकलता हैं। यदि ये शरीर पर कही लग जाता हैं तो इससे त्वचा से सम्बंधित रोग भी हो सकते है। फल को तोड़ने के बाद एक बर्तन में पानी भर कर उसे पानी में डाल दे।
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अंजीर की खेती ज्यादातर तमिल नाडु ,महाराष्ट्र ,कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में की जाती हैं। अंजीर का पेड़ लम्बे समय तक फल देता हैं ,अंजीर आय बढ़ाने का भी मुख्य स्रोत हैं। अंजीर शरीर को भी फिट रखने में सहायक होती है। अंजीर की खेती किसानो द्वारा बहुत ही कम लगत पर की जा सकती हैं और इससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। अधिक उत्पादन के लिए किसान अंजीर की अलग अलग किस्मो को भी उगा सकते है।