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प्रचंड बारिश और भयावय बाढ़ से पीड़ित किसानों ने फसल बर्बादी को लेकर सरकार से क्या मांग की

Published on: 20-Jul-2023

किसानों के अनुसार सबसे ज्यादा धान की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। किसान का एक एकड़ धान पर अब तक 20-25 हजार रुपये खर्च आ चुका है। मूसलाधार बारिश और बाढ़ के चलते बहुत से खेतों में किसानों को एक भी दाने की उम्मीद नहीं है। किसानों की यह मांग है, कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। क्योंकि, एक एकड़ से लगभग 30 क्विंटल धान की बर्बादी हुई है। निरंतर बारिश और बाढ़ ने जनपद में भयंकर तबाही मचाई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार 24 हजार हेक्टेयर फसल को अत्यंत क्षति पहुँची है। संबंधित रिपोर्ट सरकार के लिए भेज दी गई है, जिन किसानों के खेतों में जलभराव है, उनकी ज्यादा समस्याएं बढ़ गई हैं। फसल पर प्रति एकड़ हजारों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद किसानों के हाथ खाली हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पीड़ित किसान मुआवजे की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। धान की फसल सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई है। 19 हजार 578 हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल पूर्णतय बर्बाद हो चुकी है। इसके अतिरिक्त गन्ना, मक्का व बाकी फसलों को भी हानि हुई है। किसान संगठनों ने 60 हजार एकड़ के हिसाब से मुआवजे की गुहार की है।

किसान धान पर प्रति एकड़ हजारों की लागत लगा बैठा है

किसानों ने कहा है, कि सबसे अधिक नुकसान धान की फसल में देखा गया है। एक एकड़ भूमि पर अब तक 20-25 हजार रुपये का खर्च आ चुका है। इतना ही नहीं कुछ खेत ऐसे भी हैं, जहां किसानों को एक भी दाने की आशा नहीं रही है। किसानों की मांग है, कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये मुआवजा प्रदान किया जाए। क्योंकि, एक एकड़ से लगभग 30 क्विंटल धान की क्षति हुई है। किसानों की मांग है, कि सरकार अतिशीघ्र प्रभावित इलाकों की गिरदावरी करवा कर पीड़ित किसानों का मुआवजा उपलब्ध कराया जाए। ये भी पढ़े: बिहार में धान की दो किस्में हुईं विकसित, पैदावार में होगी बढ़ोत्तरी

किसानों ने अपनी दुखभरी दास्ताँ की जाहिर

पूर्णगढ़ के किसान मांगे राम का कहना है, कि उनकी पांच एकड़ धान की फसल पूर्णतय खत्म हो चुकी है। खेतों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। बारिश व बाढ़ के पानी ने फसलों को बर्बाद करके रख दिया है। खेत की तरफ देखकर केवल मायूसी हाथ लग रही है। अगली फसल की बुवाई समय पर हो पाएगी इसकी भी कोई उम्मीद नहीं है।

खेतों में केवल जलभराव ही जलभराव

पूर्णगढ़ के किसान नवनीत ने कहा है, कि जिन खेतों में हरी भरी फसलें लहलहा रही थी, आज उन फसलों की जगह पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। बतादें, कि तकरीबन एक सप्ताह से जलभराव की स्थिति है। निकासी की भी समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। दरअसल, लगभग तीन एकड़ फसल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। किसानों को मुआवजा देकर सरकार आर्थिक सहयोग करे।

किसान को प्रति एकड़ हजारों खर्च करने पर भी निराशा हाथ लगी

किसान विनोद कुमार ने बताया है, कि फसल की अच्छी पैदावार की आशा पर किसान भविष्य की योजना तय करता है। अगर फसल ही बर्बाद हो गई तो किसान के पास कुछ भी नहीं बचता है। किसान भाई अब तक प्रति एकड़ धान पर हजारों रुपये खर्च कर चुके हैं। इसके बावजूद भी किसान के हाथ खाली हैं। किसानों का बजट पूर्णतय बिगड़ चुका है। सरकार को आर्थिक सहायता के लिए आगे आना चाहिए। ये भी पढ़े: हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें

फसलों की ऐसी दयनीय स्थिति कभी नहीं देखी

किसान चूहड़ सिंह का कहना है, कि फसलों की ऐसी दयनीय स्थिति आज तक नहीं देखी। हालांकि, बाढ़ विगत समय में भी आती रही हैं। परंतु, इतनी फसलीय बर्बादी कभी भी नहीं हुई, इस बार तो ज्यादा हद हो गई। उनकी 12 एकड़ के आसपास फसल पूर्णतय बर्बादी की कगार पर है। लाखों रुपये की हानि हो चुकी है। बजट पूर्णतय ड़गमगा चुका है। खेतों की तरफ देखकर कलेजा मुह को आता है। कृषि उपमंडल अधिकारी डॉ. राकेश पोरिया का कहना है, कि बाढ़ व बारिश की वजह से जिले के प्रत्येक खंड में हानि हुई है। सबसे अधिक हानि धान की फसल में हुई है। हमने रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेज दी है। किसानों से परस्पर संपर्क साधा जा रहा है। विभाग की टीम खेतों में जाकर लगातार हानि का मुआयना कर रही है। प्रभावित फसलों का मुआवजा निर्धारित करना सरकार के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आता है।

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