Published on: 09-Jan-2024
प्राकृतिक खेती फसलों की पैदावार एवं किसानों की उन्नति के लिए बेहद सही साबित होती जा रही है। इससे फसलों की पैदावार में तो वृद्धि होती ही है। इसके साथ-साथ यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी है। आज के दौर में कृषकों के मध्य प्राकृतिक खेती का प्रचलन निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। क्योंकि, इस खेती में भारत के कृषकों को ज्यादा फायदा हांसिल होता है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी प्राकृतिक खेती करना बेहद फायदेमंद है। इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है। दरअसल, प्राकृतिक खेती में सर्वाधिक गाय के गोबर,मूत्र और बायोमास मल्चिंग के इस्तेमाल पर ज्यादा बल दिया जाता है। प्राकृतिक खेती/ Prakritik Kheti को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार भी वक्त-वक्त पर महत्वपूर्ण कदम उठाती रहती है। इससे कृषकों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ फसल पैदावार में भी वृद्धि हो सके।
प्राकृतिक खेती के क्या-क्या लाभ हैं ?
प्राकृतिक खेती करने से भूमिगत जलस्तर में बढ़ोतरी होती है। इससे मृदा, खाद्य पदार्थ एवं भूमि में जल के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में गिरावट आती है। खाद तैयार करने में कचरे का इस्तेमाल करने से बीमारियों में कमी आती है। फसल पैदावार की लागत में कमी और आमदनी में बढ़ोतरी होती है।
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प्राकृतिक खेती का प्रमुख मकसद क्या है ?
खेती की लागत कम करके ज्यादा मुनाफा हांसिल करना। मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल में कमी लाना। कम पानी व सिंचाई से अधिक उत्पादन लेना।
प्राकृतिक खेती के प्रमुख घटक इस प्रकार हैं ?
- जीवामृत
- बीजामृत
- घनजीवामृत
- आच्छादन
सरकार की तरफ से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है
किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने
प्राकृतिक खेती के लिए वेबसाइट
https://naturalfarming.dac.gov.in/ भी निर्मित की हुई है, जिसमें प्राकृतिक खेती से संबंधित समस्त जानकारी उपलब्ध है। इससे कृषकों को इस खेती के लिए कहीं और भटकना न पड़े। साथ ही, किसानों को इस पोर्टल के जरिए सरकार की ओर से खड़े किए गए महत्वपूर्ण कदम के बारे में शीघ्र अपडेट मिल सकें। बतादें, कि प्राकृतिक खेती का यह पोर्टल केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है।