गूलर पेड़ एक प्रमुख पेड़ है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। गूलर का पेड़ कई रोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
इस लेख में आप gular ka ped kaisa hota hai? gular ka phool kaisa hota hai? gular ka ped?gular ka phool? प्रशनों के बारे में विस्तार से जान सकते है।
गूलर का पेड़ विशालकाय वृक्ष हैं। गूलर के पेड़ की लम्बाई 30-40 फ़ीट होती है। गूलर के पेड़ पर हल्के हरे रंग का फल आता हैं जो पकने के बाद लाल रंग का दिखाई देता हैं।
गूलर के पेड़ पर लगने वाले फल अंजीर के समान दिखाई पड़ते है। gular ka ped भारत देश में पाया जाने वाला बहुत ही आम पेड़ है। यह पेड़ अंजीर प्रजाति का हैं, इसे अंग्रेजी भाषा में कलस्टर फिग (Cluster Fig) भी कहते है।
गूलर के पेड़ की सबसे मुख्य बात ये हैं की इसके पौधे में ज्यादा पानी नहीं देना पड़ता हैं इसमें 3-4 दिन में सिर्फ एक बार पानी दिया जाता हैं गूलर के पेड़ को अच्छे से विकसित होने में कम से कम 8-9 साल का वक्त लगता है।
गूलर के पत्तों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाई बनाने के लिए किया जाता हैं। गूलर के फल में बहुत सारे कीड़े होने की वजह से इसे जंतु फल भी कहा जाता है।
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गूलर और पीपल के पेड़ को एक ही प्रजाति का माना जाता है। गूलर का फल चाहे बंद हो लेकिन गूलर का फूल खिलता हैं इसमें परागण करने के लिए कीड़े प्रवेश करते है। यह कीड़े फल का रस चूसने के लिए इसमें प्रवेश करते है।
गूलर के पेड़ पर फल तो लगते है पर इसपर कभी फूल दिखाई नहीं देते है। गूलर का फूल कब खिलता हैं और कैसा होता हैं ये आज तक कोई नहीं जान पाया।
माना जाता हैं गूलर का फूल रात में खिलता हैं जो किसी को दिखाई नहीं पड़ता है। गूलर के फूल को धन कुबेर से सम्बोधित किया जाता हैं, गूलर के पेड़ को धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
रक्त विकार यानी शरीर के किसी भी अंग से अगर खून बहता हैं जैसे नाक से खून आना, मासिक धर्म जैसे रोगों में अधिक रक्तचाप होना इन सभी रोगो के लिए फायदेमंद है। इसमें गूलर के पके हुए 3-4 फलो को चीनी के साथ दिन में 2-3 बार लेने से आराम मिलता हैं।
gular ka ped कई रोगो में भी इस्तेमाल होता है। किसी भी घाव को जल्द से जल्द भरने के लिए गूलर की छाल का हम प्रयोग कर सकते है।
gular ka ped की छाल का काढ़ा बनाकर उससे घाव को यदि रोजाना धोया जाये तो उससे घाव के भरने की ज्यादा सम्भावना रहती है। गूलर में रोपड़ नामक गुण पाया जाता हैं जो की घाव को भरने में सहायता करता है।
गूलर के फल को पाचन किर्या के लिए भी इस्तेमाल किया जाता हैं। गूलर का फल भूख को भी नियंत्रित करता हैं साथ ही स्वास्थ्य को भी स्वस्थ रखने में मददगार होता है।
यह अल्सर जैसी बीमारियों को रोकने में भी लाभकारी साबित होता है। gular ka phool भी कई रोगों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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गूलर का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाईयों के लिए भी किया जाता हैं, लेकिन कभी कभी गूलर का ज्यादा इस्तेमाल करना भी हानिकारक हो जाता हैं :
gular ka ped के फल का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए क्यूंकि इससे आँतों पर सूजन आने की ज्यादा आशंकाए रहती हैं, माना जाता हैं इसके ज्यादा इस्तेमाल से आँतों में कीड़े पड जाते हैं।
गर्भवती महिलाओं को कभी भी इसका सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए, अगर वो इनका इस्तेमाल करती हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेकर वो गूलर का उपयोग कर सकती है।
गूलर के ज्यादा उपयोग से ब्लड प्रेशर के भी कम होने की ज्यादा सम्भावनाये रहती है। जो की हार्टअटैक से जुडी बीमारियों को भी जन्म देता हैं।
ब्लड प्रेशर के कम होनी की वजह से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बिगड़ जाता हैं और धीमा पड जाता है। इसीलिए गूलर के फल का बहुत ही कम उपयोग करना चाहिए।
गूलर के फल को खाने से इम्मुनिटी मिलती है। गूलर का फल फायदेमंद रहता हैं लेकिन इसके ज्यादा उपयोग से शरीर को नुक्सान पहुँच सकता हैं।
गूलर के फल को खाने से शरीर में अलेर्जी जैसे बीमारियां भी उत्पन्न सकता हैं। यदि आपको लगे की गूलर के खाने से शरीर में कोई एलेर्जी महसूस हो रही हैं तो उसी वक्त उसका सेवन करना छोड़ दे।
जैसा की आप को बताया गया की गूलर जड़ी बूटियों का पौधा है, जो की बबासीर, पिम्पल्स और मस्कुलर पैन में लाभकारी होता है। गूलर का इस्तेमाल बहुत से आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता हैं।
गूलर खून के अंदर आरबीसी (रेड ब्लड सेल) को बढ़ाता हैं, जो पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ( खून के रक्तचाप ) को संतुलित बनाये रखती है। गूलर का पेस्ट बनाकर और उसे शहद में मिलाकर लगाने से जलने के निशान भी चले जाते है।