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रामतिल की खेती कैसे की जाती है: जलवायु, मिट्टी, उन्नत किस्में और बुवाई के टिप्स

Published on: 12-Jul-2024
Updated on: 12-Jul-2024

रामतिल, जिसे नाइजर बीज (Niger Seed) भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण तेलीय फसल है। यह फसल सूखे क्षेत्रों में भी अच्छी तरह उगाई जा सकती है और इसके बीजों से तेल निकाला जाता है, जो खाद्य तेल के रूप में उपयोग होता है।

रामतिल एक लाभकारी तिलहन फसल है जो कम लागत में अच्छी पैदावार दे सकती है। रामतिल का तेल उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका उपयोग खाना पकाने, साबुन बनाने और पेंट बनाने में किया जाता है।

रामतिल की खली भोजन और खाद के रूप में उपयोगी होती है। रामतिल की खेती कम पानी वाली होती है, जो इसे सूखे वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है।

रामतिल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

रामतिल एक उष्णकटिबंधीय फसल है जो गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से उगती है। इसकी खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है।

35 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान फूलों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस फसल के लिए 500-700 मि.मी. वार्षिक वर्षा उपयुक्त मानी जाती है।

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मिट्टी की आवश्यकता

रामतिल विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन यह रेतीली दोमट, बलुआही मिट्टी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है। मिट्टी अच्छी तरह से सूखा और जल निकास वाली होनी चाहिए।

भारी मिट्टी, जलभराव वाली मिट्टी और अम्लीय मिट्टी रामतिल की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

भूमि की तैयारी

रामतिल की खेती के लिए भूमि को अच्छी तरह तैयार करना आवश्यक है। इसके लिए खेत को अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए।

खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालकर मिट्टी की उर्वरकता बढ़ानी चाहिए। 1-2 बार जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल बना लें।

बुवाई के लिए बीज दर

रामतिल की बुवाई के लिए 4-5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है। 

उन्नत किस्मों जैसे कि RK-10, RK-202, JNS-9, RCR-317, RCR-18 , Guj. Niger-1, Guj. Niger-2, Paiyur –1 बीरसा नाईजर – 1 और RKN-502 का उपयोग करना बेहतर होता है।

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बुवाई की विधि

  • बुवाई का समय: जून-जुलाई महीने में मानसून की पहली बारिश के बाद।
  • बुवाई की विधि: बीजों को हाथ से या बुवाई मशीन से बोया जा सकता है।
  • बुवाई की गहराई: 2-3 सेंटीमीटर।
  • पंक्तियों की दूरी: 30-40 सेंटीमीटर।
  • बीजों की दूरी: 2-3 सेंटीमीटर।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए निराई-गुड़ाई आवश्यक है। रासायनिक खरपतवार नाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन सावधानी के साथ।

सिंचाई प्रबंधन

रामतिल को शुरुआती और फूल आने की अवस्था में सिंचाई की आवश्यकता होती है। जलभराव से बचना चाहिए, क्योंकि इससे जड़ सड़न हो सकती है।

सिंचाई का समय और मात्रा मिट्टी की प्रकार और मौसम पर निर्भर करता है।

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कटाई

  • रामतिल की फसल 90-100 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • जब पत्तियां पीली हो जाएं और फलियां सूखने लगें तो फसल कटाई के लिए तैयार होती है।
  • कटाई हाथ से या मशीन से की जा सकती है।
  • कटने के बाद, फसल को 2-3 दिनों के लिए धूप में सुखाना चाहिए।
  • सूखने के बाद, फलियों को मसलकर बीज अलग कर लें।

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