आम का पेड़ ऊपर से नीचे की तरफ सूख (शीर्ष मरण) रहा है तो कैसे करें प्रबंधित?

Published on: 21-Dec-2023

आम में शीर्ष मरण (डाइबैक) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शाखाओं की क्रमिक मृत्यु होती है, टहनियां ऊपर से नीचे की तरफ सुखना प्रारम्भ करती है, जिसके परिणामस्वरूप आम के पेड़ के समग्र स्वास्थ्य में गिरावट आती है और लगातार अनुकूल वातावरण मिलने पर पेड़ अंततः मार जाता है। विभिन्न कारक मृत्यु में योगदान करते हैं, जिनमें फंगल संक्रमण, कीट संक्रमण, पोषण संबंधी कमी, पर्यावरणीय तनाव और अनुचित कृषि कार्य शामिल हैं। डाइबैक को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, कल्चरल (कृषि कार्य), रासायनिक और जैविक नियंत्रण रणनीतियों का समायोजन आवश्यक है।

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आम के पेड़ों में शीर्ष मरण (डाइबैक) होने के प्रमुख कारण

1. फंगल संक्रमण

रोगजनक कवक, जैसे कि कोलेटोट्राइकम ग्लियोस्पोरियोइड्स, आम के पेड़ों पर आक्रमण कर सकते हैं, जिससे डाईबैक होता है।इसमें सबसे पहले पत्तियों पर गहरे चाकलेटी रंग के धब्बे बनते है जो अनुकूल वातावरण मिलने पर ये धब्बे बड़े धब्बों में बदल जाते है,जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती है एवं झड़ जाती है । रहनी नंगी हो जाती है एवं ऊपर से नीचे की तरफ सूखना प्रारम्भ करके धीरे धीरे पूरा पेड़ सूख जाता है।

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2. कीट संक्रमण

तना बेधक जैसे कीट शाखाओं को कमजोर करने में योगदान करते हैं, जिससे शाखाएं मरने लगती हैं।

3. पोषण संबंधी कमी

आवश्यक पोषक तत्वों, विशेष रूप से पोटेशियम और मैग्नीशियम की कमी, आम के पेड़ों को मरने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।

4. पर्यावरणीय तनाव

प्रतिकूल पर्यावरणीय स्थितियाँ, जैसे सूखा या अत्यधिक तापमान, मृत्यु को बढ़ा सकती हैं।

5. अनुचित कृषि कार्य

अपर्याप्त कटाई छंटाई, सिंचाई, या खराब मिट्टी प्रबंधन डाईबैक के विकास में योगदान करता है।

आम का पेड़ ऊपर से नीचे की तरफ सूख (शीर्ष मरण) रहा है तो कैसे करें प्रबंधित?

निवारक उपाय

निम्नलिखित निवारक उपाय करके शीर्ष मरण रोग को प्रबंधित करने में सहायता मिलती है जैसे..

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1. उचित कटाई छंटाई

नियमित और सही छंटाई एक संतुलित छत्र बनाए रखने में मदद करती है, जिससे मरने का खतरा कम हो जाता है।

2. उचित सिंचाई

लगातार और पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने से तनाव और निर्जलीकरण को रोकने में मदद मिलती है।

3. मृदा प्रबंधन

उचित मृदा पोषण और पीएच प्रबंधन को लागू करने से एक स्वस्थ पेड़ को बढ़ावा मिलता है।

4. मल्चिंग

पेड़ के आधार के चारों ओर मल्चिंग करने से नमी बनाए रखने में मदद मिलती है और मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है।

रासायनिक नियंत्रण

शीर्ष मरण रोग को समय पर प्रबंधित नही किया गया तो पेड़ कुछ दिन के बाद मर जाएगा ।इसे प्रबंधित करने के लिए निम्नलिखित कवकनाशी का छिड़काव करने के साथ साथ निम्नलिखित उपाय करने चाहिए

1. कवकनाशी छिड़काव (स्प्रे)

कवकनाशी लगाने से डाइबैक से जुड़े फंगल संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। रोगग्रस्त हिस्से को तेज चाकू या सीकेटीयर से काटने के उपरांत उसी दिन साफ़ @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए , दस दिन के बाद ब्लाइटॉक्स @3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए ।रोग की उग्रता में कमी नहीं होने पर उपरोक्त घोल से एक बार पुनः छिड़काव करना चाहिए।

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पेड़ के चारो तरफ ,जमीन की सतह से 5-5.30 फीट की ऊंचाई तक बोर्डों पेस्ट से पुताई करनी चाहिए।प्रश्न यह उठता है कि बोर्डों पेस्ट बनाते कैसे है।यदि बोर्डों पेस्ट से साल में दो बार प्रथम जुलाई- अगस्त एवम् दुबारा फरवरी- मार्च में पुताई कर दी जाय तो अधिकांश फफूंद जनित बीमारियों से बाग को बचा लेते है।इस रोग के साथ साथ शीर्ष मरण , आम के छिल्को का फटना इत्यादि विभिन्न फफूंद जनित बीमारियों से आम को बचाया जा सकता है । इसका प्रयोग सभी फल के पेड़ो पर किया जाना चाहिए ।

बोर्डों पेस्ट बनाने के लिए आवश्यक सामान

कॉपर सल्फेट , बिना बुझा चुना (कैल्शियम ऑक्साइड ), जूट बैग, मलमल कपड़े की छलनी या बारीक छलनी , मिट्टी/ प्लास्टिक / लकड़ी की टंकी एवं लकड़ी की छड़ी | 1. कॉपर सल्फेट 1 किलो ग्राम 2. बिना बुझा चूना -1 किलो 3. पानी 10 लीटर

बनाने की विधि

पानी की आधी मात्रा में कॉपर सल्फेट I चूने को बूझावे, शेष आधे पानी में मिलावे इस दौरान लकड़ी की छड़ी से लगातार हिलाते रहे I

ध्यान रखने योग्य बातें

• किसानो को बोर्डो पेस्ट का घोल तैयार करने के तुरंत बाद ही इसका उपयोग बगीचे में कर लेना चाहिए| • कॉपर सलफेट का घोल तैयार करते समय किसानो लोहें / गैल्वेनाइज्ड बर्तन को काम में नहीं लेना चाहिए| • किसानो को यह ध्यान रखना हो की वे बोर्डो पेस्ट को किसी अन्य रसायन या पेस्टिसाइड के साथ में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए|

2. कीटनाशक

कीटनाशकों के लक्षित उपयोग से उन कीटों के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है जो मृत्यु में योगदान करते हैं।

3. पोषक तत्वों की खुराक

पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए संतुलित उर्वरक प्रदान करना निवारक देखभाल के लिए महत्वपूर्ण है।यदि आप का पेड़ 10 वर्ष या 10 वर्ष से ज्यादा है तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,850 ग्राम यूरिया एवं 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश एवं 25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए ।

जैविक नियंत्रण

1. प्राकृतिक शिकारी: प्राकृतिक शिकारियों की उपस्थिति को प्रोत्साहित करने से कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। 2. लाभकारी सूक्ष्मजीव: लाभकारी सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रोगजनक कवक को दबा सकता है।

सारांश

अंत में, आम के पेड़ों में डाईबैक के प्रबंधन के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जिसमें निवारक उपाय, शीघ्र पता लगाना, प्रतिक्रियाशील कार्रवाई और दीर्घकालिक स्थिरता अभ्यास शामिल हैं। कल्चरल, रासायनिक और जैविक नियंत्रण रणनीतियों को एकीकृत करके, किसान आने वाली पीढ़ियों के लिए आम के बागों के स्वास्थ्य और उत्पादकता को सुनिश्चित करते हुए, डाइबैक के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

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