जैविक खाद का करें उपयोग और बढ़ाएं फसल की पैदावार, यहां के किसान ले रहे भरपूर लाभ

Published on: 20-Aug-2022

किसानों ने माना खेत की मिट्टी हो रही मुलायम, बुआई और रोपाई में कम लग रही मेहनत

रायपुर। भारत सहित पूरे विश्व में जब भी खेती-किसानी की बात आती है, तो उसके साथ खाद का उपयोग भी एक बड़ी चुनौती या यूं कहें कि हर साल एक समस्या के रूप में उभरकर सामने आती है। वहीं फसल की बुआई से पहले किसानों को खाद की चिंता सताने लगती है। हर साल खाद की कालाबाजारी के भी मामले देशभर में सामने आते रहते हैं। दूसरी ओर किसान भी यह आरोप लगाते हैं कि उन्हें खाद की उचित मात्रा में आपूर्ति नहीं की जाती, जिस कारण सोसायटियों में हमेशा खाद की किल्लत बनी रहती है। ऐसे में हर साल एक बड़ा रकबा खाद की कमी से कम पैदावार कर पाता है। वहीं अब इस समस्या को दूर करने के लिए कई राज्य जैविक खाद को अपनाने लगे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान जैविक खाद का भरपूर फायदा उठा रहे हैं और फसल की पैदावार बढ़ा कर अपने को और स्वाबलंबी बना रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने भी माना है कि जैविक खाद का उपयोग करने से खेत की मिट्टी मुलायम हो रही है। इस खरीफ सीजन में खेत की जुताई और धान की रोपाई में किसानों को काफी आसानी हुई है।

छत्तीसगढ़ मेें जैविक खाद लेना अनिवार्य किया

जहां एक ओर कीटनाशक के प्रयोग से फसल जहरीली हो रही है और भूमि की उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो रही है, ऐसे में छत्तसीगढ़ सरकार जैविक खाद का उपयोग करने किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार का मानना है जैविक खाद के प्रयोग से जहां जमीन की उर्वरा शक्ति तो बढ़ेगी ही, दूसरी ओर रासायनिक खाद का उपयोग कम होने से इसकी कालाबाजारी कम होगी और हर साल किसानों को होने वाली खाद की किल्लत से किसानों को छुटकारा मिल जाएगा। इसी के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को जैविक खाद लेना अनिवार्य कर दिया है।

ये भी पढ़ें: गौमूत्र से बना ब्रम्हास्त्र और जीवामृत बढ़ा रहा फसल पैदावार

जैविक खाद के फायदे

छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जैविक खाद का उपयोग हर मामले में किसानों के लिए लाभदायक साबित होगा। इससे किसानों को घंटों सोसायटियों में खाद के लाइन लगाने से जहां छुटकारा मिलेगा और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। वहीं जैविक खाद के उपयोग कें कई फायदे भी हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मिट्टी की भौतिक व रसायनिक स्थिति में सुधार होता है व उर्वरक क्षमता बढ़ती है। वहीं रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी में जो सूक्ष्म जीव होते हैं उनकी संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है, जिस कारण हर साल किसानों को फसल का नुकसान होता है। जैविक खाद के उपयोग से उन सूक्ष्म जीवों की गतिविधि में वृद्धि होती है और वे फसल की पैदावार बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीें जैविक खाद का उपयोग मिट्टी की संरचना में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अपना सकती है, जिससे पौधे की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है। वहीं इसके उपयोग से मृदा अपरदन कम होता है। मिट्टी में तापमान व नमी बनी रहती है।

जैविक खाद के उपयोग से मुलायम हो रही मिट्टी



ये भी पढ़ें: किसानों के लिए खुशी की खबर, अब अरहर, मूंग व उड़द के बीजों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी
वहीं वर्तमान में खरीफ फसल की बुआई के समय छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी माना है कि जैविक खाद का उपयोग करने से उनकी जमीन कह मिट्टी मुलायम हुई है। इस कारण इस साल उन्हें जुताई और रोपाई करने में काफी मदद मिली। फसल लगाने में हर बार उन्हें जो महनत करनी पड़ती थी वह इस बार काफी कम हुई, जिससे उनके समय और पैसे दोनों की बचत हुई है।

गौठानों में बनाई जा रही कंपोस्ट खाद

छत्तीसगढ़ में धान की खेती व्यापक रुप से की जाती है। यही कारण है कि इसे धान का कटोरा कहा जाता है। जब खेती व्यापक होगी तो खाद की जरूरत ज्यादा होगी। ऐसे में छत्तीसगढ़ में जैविक खाद की आपूर्ति करने में गौठान एक महत्वपूर्ण भूका निभा रहे हैं।

ये भी पढ़ें: रोका-छेका अभियान : आवारा पशुओं से फसलों को बचाने की पहल
छत्तीसगढ़ सरकार ने गांव-गांव में पशुओं का रखने के लिए गौठान बनाने योजना शुरू की थी, जिसके तहत प्रदेश के लाखों पशुओं को एक ठिकाना मिला। वहीं दूसरी गौठानों में अजीविका के कई कार्य भी शुरु किए गए, जिसमें कंपोस्ट खाद निर्माण में इन गौठानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और किसानों को खाद की किल्लत से राहत पहुंचाई।

ऐसे में बनाई जाती है जैविक खाद

जैविक खाद बनाना काफी आसान है। यही कारण है कि आज किसान जैविक खाद खेत या अपने घर पर ही तैयार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में गौठानों में इस खाद को तैयार किया जाता है। इसको बनाने के लिए सरकार ने हर गौठान में एक टैंक बनवाया है। इसमें गोबर डालकर इसमें गोमूत्र मिलाया जाता है। इसके साथ ही इसमें सब्जियों का उपयोग भी कर सकते हैं। कही-कही इसमें गुड़ का उपयोग भी किया जा राह है। इसके बाद इसमें पिसी हुई दालों व लकड़ी का बुरादा डाल दें। आखिर में इस मिश्रण को मिट्टी में साना जाता है।

ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने उठाया कदम
यह जरूरी है कि खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थों की मात्रा सही हो। जैविक खाद बनाने के लिए 10 किलो गोबर,10 लीटर गोमूत्र, एक किलो गुड, एक किलो चोकर एक किलो मिट्टी का मिश्रण तैयार करें। इन पांच तत्वों को अच्छी से मिला लें। मिश्रण में करीब दो लीटर पानी डाल दें। अब इसे 20 से २५ दिन तक ढंक कर रखें। अच्छी खाद पाने के लिए इस घोल को प्रतिदिन एक बार अवश्य मिलाएं। 20 से २५ दिन बाद ये खाद बन कर तैयार हो जाएगी। यह खाद सूक्ष्म जीवाणु से भरपूर रहेगी खेत की मिट्टी की सेहत के लिये अच्छी रहेगी।

Ad