भारत में सुपारी की खेती करने वाले किसानों की संख्या पिछले कुछ समय में काफी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि सुपारी (supaari or areca nut or commonly referred to as betel nut) को केवल शौक की वजह से खाने वाले लोगों के अलावा, धार्मिक कार्यक्रमों में भी इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। बिना सुपारी के पान की दुकान पर सब कुछ अधूरा ही समझा जाता है। सुपारी की खेती के बारे में बताने से पहले हम सुपारी की कुछ विशेषताओं के बारे में बात करते हैं। यह बात तो हम जानते हैं कि सुपारी का अधिक इस्तेमाल करने पर शरीर का नुकसान भी हो सकता है, लेकिन सीमित मात्रा में सुपारी का इस्तेमाल करने से शरीर को मजबूती मिलती है और कमर दर्द जैसी बीमारियों में भी राहत दिखाई पड़ती है। सुपारी के पेड़ों की लंबाई 60 फीट तक होती है और देखने में बिल्कुल पूरी तरीके से नारियल के पेड़ जैसे ही दिखाई देते हैं। पिछले कुछ समय से कृषि मंत्रालय की मेहनत और कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से, आजकल छोटी से छोटी नर्सरी में भी सुपारी की तैयार पौध खरीदी जा सकती है।
भारत की मिट्टी के अनुसार सुपारी की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। सुपारी के उत्पादन के लिए सबसे पहले हमारे खेत में छोटी-छोटी क्यारियां बनाई जाती है और उन्हीं क्यारियों में इस पौध को 30 से 40 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। जब यह पौधे बड़े होकर विकसित रूप ले लेते हैं, तो इन्हें खुले खेत में लगा दिया जाता है। लेकिन इस वक्त किसान भाइयों को ध्यान रखना चाहिए कि, उस खेत में पानी की निकासी की उपयुक्त व्यवस्था भी हो, क्योंकि अधिक समय तक पानी के ठहराव की वजह से पौधे की जड़ों को बहुत नुकसान हो सकता है और उनका विकास भी पूरी तरह रुक सकता है।
वैसे तो सुपारी की खेती उत्तरी भारत में खरीफ की फसल के समय ही की जाती है, लेकिन कई बार मानसून के जल्दी आने से इसकी खेती जुलाई-अगस्त में शुरू की जाती है। यदि आप भी सुपारी की खेती करना चाहते हैं, तो आप में धैर्य का होना बहुत अनिवार्य है, क्योंकि सुपारी के एक छोटे पौधे को बड़ा होकर फल देने में लगभग 7 से 8 साल का समय लगता है। लेकिन एक बार यह फल देने की शुरुआत कर दे, तो इसे बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। एक एकड़ के एरिया में लगाई गई सुपारी की खेती ही लाखों रुपए की कमाई करवा सकती है। अलग-अलग राज्यों में इसकी कीमत 400 रुपए से लेकर 600 रुपये प्रति किलो तक देखी गई है। बेहतरीन तकनीक और कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का अच्छे से पालन करें, तो आप अपने खेत में लगाई गई सुपारी के पेड़ों की संख्या को बढ़ाकर डेढ़ से दोगुना कर सकते हैं। ऐसा करने पर आपकी आमदनी भी दोगुने से बढ़ सकती है।
भारत में सुपारी की दो अलग-अलग वैरायटी उगाई जाती है, एक को सफेद सुपारी और एक को लाल सुपारी के नाम से जाना जाता है।
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सफेद सुपारी के फल को पेड़ से तोड़ने के बाद उसे लगभग 2 महीने तक धूप में सुखाना पड़ता है। जबकि लाल सुपारी में इसके पेड़ के ही एक छोटे से हिस्से को काट कर, उससे गर्म करके सुपारी को अलग करना पड़ता है।
जब सुपारी को पेड़ से अलग कर लिया जाता है, तो इसे छीलकर ऊपर का हिस्सा पूरी तरीके से उतार दिया जाता है। इसके बाद अलग-अलग आकार और अलग-अलग रंग के पैकेट्स में इसे पैक करके बाजार में बेचने के लिए भेजा जा सकता है।
कई किसान तो डिमांड कम होने और कम पैसे मिलने की वजह से सुपारी को कोल्ड स्टोरेज हाउस में स्टोर भी करते है। आप भी इन्हीं किसानों की तरह समय आने पर बड़े व्यापारिक समूह के साथ जुड़कर अपनी तय की गई कीमत पर बेच सकते है।
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यदि सुपारी की छोटी पौध को समय रहते पर्याप्त उर्वरक नहीं मिल पाते हैं, तो इसमें पीली पती रोग भी हो सकता है, जोकि इसके फलों के स्वाद और उत्पादकता दोनों को ही कम कर देते है। आप भी सुपारी की खेती कर मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो हमेशा लाल रंग की सुपारी की पौध ही लगाएं क्योंकि इसकी कीमत बाजार में सबसे ज्यादा होती है साथ ही इसकी डिमांड भी सर्वाधिक देखी जाती है। सुपारी की खेती के बारे में Merikheti.com के द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी।इस जानकारी के माध्यम से भविष्य में आप भी Areca nut फार्मिंग कर अपने साथी किसान भाइयों को प्रोत्साहित कर पाएंगे।