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महाराष्ट्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बदली लोगों की किस्मत, अब गन्ना-अंगूर छोड़कर यही उगा रहे हैं किसान

Published on: 04-Nov-2022

इन दिनों कई राज्यों में मौसम का दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। ऐसे कई राज्य हैं जहां पर अब बरसात कम होने लगी है, इससे सीधे तौर पर किसान प्रभावित होते हैं। कम बरसात के कारण मिट्टी में नमी की कमी हो जाती हैं जिससे फसलों कि बुवाई कम होती है और किसानों का मुनाफा भी कम हो जाता है। इन समस्याओं को देखते हुए अब  किसान वैकल्पिक खेती की तरफ ध्यान देने लगे हैं, जो किसानों के लिए अनुकूल हो और जिसमें किसानों को अच्छी खासी आमदनी भी हो।

ऐसी ही एक खेती है जिसे हम ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit; पिताया फल; pitaya or pitahaya ) की खेती के नाम से जानते हैं। इस खेती में महाराष्ट्र के सांगली जिले के किसानों की रुचि दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। महाराष्ट्र का सांगली जिला देश में सूखा प्रभावित इलाकों में से एक है। यहां पर बेहद कम मात्र में बरसात होती है जो किसानों के लिए मुसीबत का सबब है। यहां के किसान पानी की कम उपलब्धता के बावजूद परंपरागत गन्ना-अंगूर की खेती कर रहे हैं। अब कुछ दिनों से यहां के किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को अपनाया है। इस खेती में पानी कम जरूरत होती है, इसके साथ ही अन्य फसलों की तरह इसमें देखभाल की भी उतनी जरूरत नहीं होती। सांगली में पिछले कई सालों से कुछ किसान कम संसाधनों के साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती करके अच्छा खास लाभ काम रहे हैं।

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सांगली जिले के किसानों ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में पहली बार में अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा निवेश होता है। लेकिन उस हिसाब से इसमें उत्पादन भी ज्यादा होता है, जिससे लागत बहुत जल्दी वसूल हो जाती हैं। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट के भाव भी अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा होते हैं। पहली बार के बाद इसमें उतने ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं होती। सांगली जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले कई किसानों ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में गन्ने की खेती की अपेक्षा मुनाफा ज्यादा होता है। अगर किसान गन्ने की खेती करके 1 लाख रुपये कमा पाते थे तो वहीं अब वो ड्रैगन फ्रूट की खेती करके 8 से 9 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। इसके साथ ही पानी की कम जरूरत के साथ ही खेती की लागत में कमी के कारण ड्रैगन फ्रूट की खेती में दिमागी टेंशन भी कम होती है। इसके साथ ही इस फसल में ओलावृष्टि बारिश या सूखा से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। यह फल ज्यादातर विदेशों में निर्यात किया जाता है। वहां पर इस फल की उचित कीमत मिलती है। सांगली जिले के कई किसानों ने बताया की वो पिछले कुछ सालों से अपने उत्पादन का एक बहुत बड़ा हिस्सा दुबई को निर्यात करते हैं। विदेशों के साथ ही भारत में भी ड्रैगन फ्रूट का चलन काफी बढ़ गया है, जिससे भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, सूरत, जयपुर और गुवाहाटी में यह फल लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है और इस फल की काफी डिमांड रहती है।

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