गेंदे का फूल सुगंध के साथ साथ बहुत सी बीमारियों में भी फायदेमंद होता है। आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे गेंदे के औषिधीय गुणों के बारे में।
गेंदा बहुत सी बीमारियों में सहायक होता है इसीलिए इसका उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है। गेंदे के फूल में मिनरल्स, विटामिन बी, विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते है जो बहुत सी बीमारियों से लड़ने में सहायक होते है।
भारत जैसे राज्य में गेंदे के फूल का बहुत बड़ा महत्व है इसका उपयोग धार्मिक कार्यों के अलावा शादी वगेरा में भी बड़े स्तर पर किये जाते है। आपको जानकार हैरानी होगी गेंदे का फूल बहुत से बीमारियों से लड़ने में भी सहायक है।
इसके बहुत से औषधीय गुण है जो शरीर के अंदर बहुत सी बीमारियों से लड़ने में सहायक होता है। इसके अलावा गेंदे के फूल का उपयोग मुर्गियों के भोजन के लिए भी किया जाता है, इससे मुर्गी के अंडे की गुणवत्ता में वृद्धि होती है और अंडा आकर्षक भी बनता है।
गेंदा के फूल से मिलने वाले औषधीय गुण बहुत है, जो शरीर के अंदर बहुत सी बीमारियों से लड़ने में सहायक होते है आइये बात करते है गेंदे के फूल से मिलने वाले औषधीय गुणों के बारे में।
गेंदा की खेती के लिए उचित जल निकास वाली भूमि बेहतर मानी जाती है। गेंदे की खेती के लिए मटियार, दोमट और बलुआर मिट्टी को उचित माना जाता है।
भूमि की कम से कम 3 से 4 बार जुताई करें, जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगाए और भूमि को समतल बना ले। मिट्टी भुरभुरी होने पर खेत में क्यारियां बना दे।
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गेंदे के खेत में जुताई से पहले 200 क्विंटल खाद डाले। खाद डालने के बाद खेत की अच्छे से जुताई करें ताकि खाद अच्छे से मिट्टी में मिल जाए।
उसके बाद खेत में 120 किलो नत्रजन, 80 किलो फॉस्फोरस, 70 किलो पोटाश खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। इसके बाद आखिरी बार जुताई करते वक्त फॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा को खेत में डाल दे। इसके बाद नत्रजन की आधी मात्रा को पौधों की रुपाई के बाद 30 या 40 दिन के अंदर उपयोग करें।