2020-21 के लिए खरीफ फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)

Published on: 03-Jun-2020

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सीजन 2020-21 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। सरकार ने विपणन सीजन 2020-21 के लिए खरीफ फसलों की एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों के लिए उनकी उपज के पारिश्रमिक मूल्य को सुनिश्चित किया जा सके। एमएसपी में उच्चतम वृद्धि नाइजरसीड (755 रुपये प्रति क्विंटल) और उसके पश्चात तिल (370 रुपये प्रति क्विंटल), उड़द (300 रुपये प्रति क्विंटल) और कपास (लंबा रेशा) (275 रुपये प्रति क्विंटल) प्रस्तावित है। 

पारिश्रमिक में अंतर का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना है। विपणन सीजन 2020 के लिए सभी खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य-2020-21 इस प्रकार हैं: 

क्र.सं फसलें प्रस्तावित लागतकेएमएस 2020-21 खरीफ के लिए एमएसपी 2020-21 एमएसपी में वृद्धि (पूर्ण) लागत पर प्रतिफल (% में) 

1 धान (सामान्य) 1,245 1,868 53   50 

 2 धान (ग्रेड ) - 1,888 53   - 

3  ज्वार (हाइब्रिड) 1,746 2,620 70   50 

 4 ज्वार (मालदंडी)* - 2,640 70   - 

 5 बाजरा 1,175 2,150 150   83 

 6 रागी 2,194 3,295 145   50

7 मक्का 1,213 1,850 90   53 

 8 तूर (अरहर) 3,796 6,000 200   58 

 9 मूँग 4,797 7,196 146   50 

 10 उड़द 3,660 6,000 300   64 

 11 मूंगफली 3,515 5,275 185   50 

 12 सूरजमुखी बीज 3,921 5,885 235   50 

 13 सोयाबीन (पीला) 2,587 3,880 170   50 

 14 तिल 4,570 6,855 370   50 

 15 नाइजरसीड 4,462 6,695 755   50 

 16 कपास (मध्यम रेशा) 3,676 5,515 260   50

17 कपास (लंबा रेशा)* - 5,825 275   -  

लागत डेटा को धान (ग्रेड ए)ज्वार (मालदंडी) और कपास (लंबा रेशा) के लिए अलग से संकलित नहीं किया गया है। विपणन सत्र 2020-21 के लिए खरीफ फसलों हेतु एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 में अखिल भारतीय भारित औसत लागत उत्पादन (सीओपी) के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी को निर्धारित करने की घोषणा और किसानों के लिए यथोचित पारिश्रमिक के लक्ष्य के अनुरूप है। किसानों को बाजरा (83%) में उच्चतम वृद्धि के बाद उड़द (64%), तूर (58%) और मक्का (53%) में उनके उत्पादन की लागत से अधिक प्रतिफल मिलने का अनुमान है। 

बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% प्रतिफल का अनुमान है। सरकार की रणनीति में देश में कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप विविध उत्पादकता वाली पद्धतियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ जैव विविधता को खतरे में डाले बिना टिकाऊ कृषि के माध्यम से उच्च उत्पादकता के स्तर को प्राप्त करना शामिल है। इसके अंतर्गत एमएसपी के साथ-साथ खरीद के रूप में सहायता प्रदान करना है। इसके अलावा, किसानों की आय सुरक्षा के लिए पर्याप्त नीतियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना भी इसमें शामिल है। 

सरकार के उत्पादन-केंद्रित दृष्टिकोण को आय-केंद्रित दृष्टिकोण में परिवर्तित किया गया है। इन फसलों को व्यापक क्षेत्रों में उगाने और सर्वोत्तम तकनीकों एवं कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने के प्रयास पिछले कुछ वर्षों से लगातार किए जा रहे हैं ताकि तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के साथ-साथ मांग और पूर्ति के असंतुलन को भी सही किया जा सके। 

भूजल स्थिति पर दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव के बिना पोषक तत्वों से भरपूर पोषक अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहन देते हुए उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है जहां चावल-गेहूं नहीं उगाया जा सकता है। उपर्युक्त उपायों को जारी रखने के क्रम में, सरकार कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की स्थिति में खेती से संबंधित गतिविधियों की सुविधा प्रदान कर किसानों की सहायता करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपना रही है। 

किसानों द्वारा ही स्वयं कृषि उपज के विपणन की सुविधा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को सीधे विपणन की सुविधा के लिए सलाह जारी की गई है, ताकि राज्य एपीएमसी अधिनियम के तहत विनियमन को सीमित करके थोक खरीदारों/बड़े फुटकर व्यापारियों/ संसाधकों द्वारा फैनर/एफपीओ/सहकारी समितियों से सीधी खरीद को सक्षम बनाया जा सके। इसके अलावा, सरकार द्वारा 2018 में घोषित समग्र योजना 'प्रधानमंत्री अन्‍नदाता आय संरक्षण अभियान' (पीएम-आशा) किसानों को उनकी उपज के लिए पारिश्रमिक प्रतिफल प्रदान करने में मदद करेगी। 

इस समग्र योजना में प्राथमिक आधार पर तीन उप-योजनाएं शामिल हैं जैसे मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट पायलट योजना (पीडीपीएस)। इसके अलावा, 24 मार्च 2020 से अब तक की लॉकडॉउन अवधि के दौरान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-केएसएएन) योजना के तहत, लगभग 8.89 करोड़ किसान परिवारों को लाभान्वित किया गया है और अब तक 17,793 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। कोविड-19 महामारी के कारण मौजूदा स्थिति के दौरान, खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएम-जीकेवाई) के तहत पात्र परिवारों को दाल वितरित करने का निर्णय लिया है। अब तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 1,07,077.85 मीट्रिक टन दालों की आपूर्ति की गयी है।

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