दोस्तों आज हम बात करेंगे , नीलम आम की विशेषताओं के बारे में, आम की वैसे तो बहुत ज्यादा ही किस्में है। उनमें से एक नीलम आम की किस्म है जो अपने स्वाद के लिए जानी जाती है। नीलम से जुड़ी सभी प्रकार की महत्वपूर्ण बातों को जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।
नीलम आम, नीलम आम अपनी विशेषताओं के लिए जाना जाता हैं। क्योंकि यह स्वाद में बेहद ही मीठा होता है। इसकी आकृति बाहर से दिखने में बहुत ही अच्छी लगती है हल्के खिले खिले पीले रंग का होता है। नीलम आम का मुख्य क्षेत्र हैदराबाद को कहा जाता है।
नीलम आम व्यवसायिक रूप से कर्नाटक तथा तमिलनाडु में उगाए जाते हैं। बेंगलुरु में नीलम आम की कीमत बहुत अच्छे दाम पर मिल जाती है। कहा जाता है कि दक्षिण भारतीय आम, यानी नीलम की माता मल्लिका आम है और इस आम के पिता दशहरी को कहा जाता है। नीलम का आकार माता पिता यानी मल्लिका और दशहरी दोनों से बहुत ही बड़ा होता है। नीलम आम का वजन लगभग 700 ग्राम तक से भी अधिक हो जाता है। वजन के मुकाबले यह बाकी आमों की तुलना में काफी बड़ा होता है।
ये भी पढ़ें: केसर आम की विशेषताएं
नीलम आम का बीज उच्चारण करने के लिए किसान रोपण विधि से कुछ मिनट पहले डाइमेथोएट समाधान में पत्थरों के साथ डूबा कर रखते हैं। इस क्रिया से किसी भी प्रकार का कीट नहीं लग पाते। किसान इस प्रक्रिया से फसल को फंगस लगने से सुरक्षित कर लेते हैं। बीज उपचार की यह प्रतिक्रिया सबसे सर्वोत्तम मानी जाती है।
नीलम आम की फसल किसानों के लिए बहुत ही आवश्यक फसल होती है। क्योंकि इनकी सिंचाई का समय जुलाई और अगस्त के बीच का होता है। जिन क्षेत्रों में वर्षा भारी होती हैं वहां नीलम आम की सिंचाई बरसात के अंत में करते हैं। किसानों द्वारा या महीना बुआई का सबसे उचित माना जाता।
ये भी पढ़ें: हापुस आम की पूरी जानकारी (अलफांसो)
उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु नीलम आम की फसल के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। नीलम आम की फसल उपयुक्त सभी क्षेत्रों में उगाई जा सकती है। नीलम आम की फसल के लिए उपयुक्त गर्मी का मौसम सबसे अच्छा होता है।उच्च हवाओं के सहयोग द्वारा प्रतिकूल जलवायु पेड़ों को प्रभावित करती हैं। शुष्क मौसम वाले स्थानों में फसल भली प्रकार से पनपती है। नीलाम आम की खेती के लिए तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से लेकर 27 डिग्री सेल्सियस सबसे उचित रहता है।
नीलम आम की फसल की सिंचाई इनकी मिट्टी के ऊपर निर्भर होती है। जिस प्रकार मिट्टी में नमी होगी उसी प्रकार सिंचाई की जाती है।
ये भी पढ़ें: आम के फूल व फलन को मार्च में गिरने से ऐसे रोकें : आम के पेड़ के रोगों के उपचार
लेकिन जब पौधे नए हो तो लगातार हल्की हल्की सिंचाई देते रहना पौधों के लिए सबसे उचित माना जाता है। किसानों के अनुसार फसलों में देने वाली हल्की सिंचाई सबसे से सर्वोत्तम मानी जाती है। पहली सिंचाई बीज रोपण करते समय करनी चाहिए, उसके बाद दूसरी सिंचाई लगभग 2 से 3 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। तीसरी सिंचाई लगभग 5 से 7 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए। जब बरसात का मौसम शुरू हो जाए तो बरसात के आधार पर सिंचाई करना चाहिए। पेड़ों में फल आने के बाद 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना आवश्यक होता है।
नीलम आम की फसल के लिए किसान सबसे सर्वोत्तम और उपयोगी मिट्टी दोमट मिट्टी को बताते हैं। मिट्टी में बीज रोपण करने के बाद जल निकास की व्यवस्था को भली प्रकार से स्थापित कर लेना चाहिए। ताकि कभी भी वर्षा के मौसम में फसल को नुकसान ना हो। नीलम आम की फसल को आप सभी प्रकार की भूमि और मिट्टी में उगा सकते।
नीलम आम की फसल के लिए किसान सबसे उपयुक्त खाद गोबर की सड़ी खाद या फिर कम्पोस्ट खाद को फसल के लिए उपयुक्त बताते हैं। नीलम आम की फसल के लिए आपको लगभग 550 ग्राम डाई अमोनियम फास्फेट की आवश्यकता होती है। 850 ग्राम लगभग यूरिया तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पेड़ के आधार पर आवश्यकता होती है। करीब 20 से 25 किग्रा खूब को मिक्स कर गोबर की खाद में मिलाना उपयुक्त होता है।
ये भी पढ़ें: लंगड़ा आम की विशेषताएं
ये भी पढ़ें: आम की बागवानी से कमाई
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल नीलम आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में नीलम आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक बातें मौजूद है। जिससे आप नीलम आम के फायदे और नीलम आम के विषय में और बेहतर तरह से जान पाएंगे। यदि आप हमारी जानकारियों से संतुष्ट है तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और अन्य सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।