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पराली से निपटने के लिए सरकार ने लिया एक्शन, बांटी जाएंगी 56000 मशीनें

Published on: 14-Sep-2022

उत्तर भारतीय राज्यों में पराली की समस्या (यानी फसल अवशेष or Crop residue) एक बहुत बड़ी समस्या है। अभी खरीफ का सीजन ख़त्म होते ही धान की पराली को किसान आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है और वातावरण का तापमान बढ़ता है जो पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है। पराली जलाने के कारण कई अन्य समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं, जैसे शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाना। अभी कुछ वर्षों से सर्दियों में दिल्ली के वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के लिए हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा जलाई गई पराली को जिम्मेदार माना गया है, इसको देखते हुए केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसानों से पराली का प्रबंधन ( फसल अवशेष प्रबन्धन ) करने के लिए कहते हैं। लेकिन जमीन पर इसका कोई खास असर नहीं दिखता, क्योंकि किसानों के पास पराली के प्रबंधन के लिए उचित मशीनें और तकनीक नहीं है, जिससे किसान अपनी पराली को जलाने पर मजबूर हो जाते हैं।

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चूंकि फिर से खरीफ की फसल नजदीक है और पराली का टाइम आने वाला है, जिसने सरकार की रातों की नींद उड़ा दी है। इसलिए सरकार पराली प्रबंधन के लिए नए प्रयास करने में जुट गई है, इसके तहत पंजाब की सरकार ने फैसला लिया है कि सरकार इस साल किसानों को 56,000 मशीनों का वितरण करेगी, इन मशीनों के द्वारा पराली का उचित प्रबंधन किया जा सकेगा। पंजाब सरकार में कृषि एवं कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा है कि सरकार वो हर संभव प्रयास करेगी जिसके द्वारा किसानों को पराली जलाने से रोका जा सके। पराली से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पंजाब सरकार पहले ही बहुत सारे उपाय कर चुकी है, इसके तहत सरकार ने साल 2018-2022 तक 90,422 मशीनें किसानों को पहले ही वितरित कर चुकी है। पंजाब सरकार ने मशीनों के मामले में एक अलग निर्णय लेते हुए बताया है कि अब छोटे किसानों को अलग तरह की मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी, जिनमें सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल जैसी मशीनें शामिल होंगी, ऐसी 500 मशीनें राज्य के 154 प्रखंडों में भेजी जाएंगी।

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इसके साथ ही कृषि कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि किसानों को अब पराली प्रबंधन के लिए जागरूक किया जाएगा, इस दौरान पंजाब में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जिसमें पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को बताया जाएगा। जागरूकता अभियान के तहत 15 सितम्बर के बाद कृषि विभाग के निदेशक स्तर के अधिकारी और कर्मचारी किसानों के खेतों में जाकर पराली को न जलाने के प्रति किसानों को जागरूक करेंगे। इसके तहत अधिकारी किसानों के घर में भी जाएंगे और उन्हें इससे होने वाली हानि के बारे में बताएंगे। इस जागरूकता अभियान को पूरे पंजाब में फैलाया जाएगा, जिसमें ग्रामीण विकास और पंचायत के अधिकारी, पर्यावरण विभाग, गैर सरकारी संगठन, स्कूलों और कॉलेजों के छात्र शामिल होंगे, इस दौरान अधिकारी किसानों से आग्रह करेंगे की इन मशीनों को वो खरीद लें।

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केंद्र सरकार ने पराली न जलाने पर किसानों को मुआवजा देने वाली स्कीम को स्वीकृति नहीं दी है, जिसे कृषि कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, साथ ही केंद्र सरकार को किसान विरोधी और पंजाब विरोधी बताया है, इस स्कीम के तहत पंजाब सरकार ने राज्य के धान उत्पादकों को पराली न जलाने के एवज में 2500 रूपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने के लिए कहा था। जिसमें 1500 केंद्र सरकार का शेयर था जबकि 1000 रूपये पंजाब सरकार और दिल्ली की सरकार द्वारा मिलकर वहन किया जाना था। लेकिन केंद्र सरकार को यह स्कीम लाभप्रद नहीं दिखी और सरकार ने इस पर अपनी सहमति देने से साफ़ मना कर दिया। धालीवाल ने कहा कि पिछली सरकारों के समय कृषि यंत्रों के वितरण में भारी करप्शन हुआ है, जिसकी रिपोर्ट राज्य सरकार की टेबल पर पहुंच चुकी है। करप्शन करने वाले किसी भी आदमी को बख़्शा नहीं जायेगा।

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