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रागी की फसल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी (Ragi Ki Kheti and Finger Millet Farming in Hindi)

Published on: 30-Jun-2023

फिंगर मिलेट (एल्यूसिन कोरकाना) आमतौर पर रागी के रूप में जाना जाता है, यह एक महत्वपूर्ण मोटा अनाज है और चारे के उद्देश्य से भी उगाई जाने वाली फसलें है।  भारत में विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ में इस फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। फ़सल कम इनपुट की आवश्यकता होती है और ये फसल कीट और रोगों से कम प्रभावित होता है। फसल 90-120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस फसल को सूखा सहने के लिए के लिए आदर्श माना जाता है।  भारत में  कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से रागी की खेती होती है। रागी में लगभग 65-75% कार्बोहाइड्रेट, 8% प्रोटीन, 15-20% आहार फाइबर और 2.5-3.5% खनिज होते है। रागी के दाने उच्चतम कैल्शियम की मात्रा (344mg /100g अनाज), लोहा,जस्ता, आहार फाइबर और आवश्यक अमीनो एसिड के लिए जाने जाते है।

रागी की फसल किस मौसम में उगाई जाती है 

रागी की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है यहाँ एक गर्मी को सहने वाली फसल है। फसल की अच्छी वृद्धि 34 -  30 डिग्री के दिन के तापमान और  22 से 25 डिग्री सेल्सियस  रात के तापमान में होती है। यह उन क्षेत्रों में सबसे अच्छा पनपता है जहाँ वार्षिक वर्षा लगभग 1000 mm तक होती है।  यह भी पढ़ें: मोटे अनाज (मिलेट) की फसलों का महत्व, भविष्य और उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी

रागी की फसल किस प्रकार की मिट्टी में अच्छी उपज देती है 

रागी की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जाती है। चिकनी दोमट से लेकर बालुई ऊँची भूमि वाली मिटटी में भी ये फसल उगाई जा सकती है। यह फसल अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिटटी में अच्छी पनपती है। अच्छी उर्वरता वाली हल्की लाल दोमट और बलुई दोमट मिट्टी भी रागी की फसल के लिए उत्तम मानी जाती है, मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होनी चाहिए। क्षारीय मिट्टी में भी पौधा अच्छी तरह से पनपता है। 

रागी की किस्में 

कर्नाटक के लिए -  GPU 28, GPU-45, GPU-48,PR 202, MR 1, MR 6, Indaf 7, ML365, GPU 67, GPU 66, KMR 204, KMR 301, KMR 340, Tamil Nadu के लिए - GPU 28, CO 13, TNAU 946 ,(CO 14), CO 9, CO 12, CO 15,आंध्र प्रदेश के लिए - VR 847, PR 202, VR 708,VR 762, VR 900, VR 936, झारखण्ड के लिए -  A 404, BM 2, VL 379 ,उड़ीसा के लिए -  OEB 10, OUAT 2, BM 9-1, OEB 526, OEB-532, उत्तराखंड के लिए -  PRM-2, VL 315, VL 324, VL352, VL 149, VL 146, VL-348,VL-376, PES 400, VL 379,छत्तीसगढ़ के लिए -  छत्तीसगढ़ -2, BR-7, GPU 28, PR 202, VR 708 and VL149, VL 315, VL 324, VL 352, VL 376,महाराष्ट्र के लिए -   दापोली  1, Phule नाचनी, KOPN 235, KoPLM 83, Dapoli-2,गुजरात के लिए -   GN 4, GN 5, GNN 6, GNN 7

बीज बुवाई का तरीका और बीज की मात्रा 

रागी को छिड़काव और ड्रिल दोनों तरीकों से बोया जा सकता है। कई जगह इसकी खेती नर्सरी लगा कर भी की जाती है। छिड़काव विधि से बीज की डायरेक्ट खेत में हाथ से छिड़ दिया जाता है। उसके बाद बीज को मिट्टी में मिलाने के लिए कल्टीवेटर से दो बार हल्की जुताई कर पाटा लगा दिया जाता है। रागी की बिजाई मशीनों द्वारा कतारों में की जाती है। बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 25 -30 सेंटीमीटर होनी चाहिए और बीज से बीज की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए।  सीधी बुवाई करने के लिए 4-5 किलोग्राम बीज एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है। रोपण विधि में 2 किलोग्राम बीज एक एकड़ की नर्सरी तैयार करने के लिए पर्याप्त होती है।  यह भी पढ़ें: सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल 20-25 दिनों की नर्सरी रोपण के लिए उत्तम मानी जाती है। बीज को उपचारित करने के लिए थीरम, बाविस्टीन या फिर कैप्टन दवा उपयोग करें

फसल की सिंचाई

इसकी फसल (ragi crop) के लिए अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है।  अगर वर्षा सही समय पर नहीं हुई तो बुवाई के एक महीने के बाद फसल की सिचाई करें।  फसल पर फूल और दाने आने पर पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है।

रागी की फसल में खाद और उर्वरक प्रबंधन 

अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए  5 -6 टन कम्पोस्ट या गोबर की खाद डालें। बुवाई से लगभग एक माह पूर्व आम तौर पर अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खाद डालें।    वर्षा आधारित स्थिति में 12-15  किलोग्राम नाइट्रोजन, 8 किलोग्राम फॉस्फोरस व 8  किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से फसल में डालें और सिंचित फसल के लिए   20 -25  किलोग्राम नाइट्रोजन ,12-15  किलोग्राम फॉस्फोरस व 12-15  किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से फसल में डालें। फॉस्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा और नाइट्रोजन की आधा बुवाई के समय और शेष आधी नाइट्रोजन पहली सिंचाई के समय फसल में डालें।

रागी की फसल में खरपतवार नियंत्रण

रागी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित समय निराई गुड़ाई करते रहे। रागी की बुवाई के करीब 20-25 दिन बाद पहली निराई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रागी की बुवाई से पहले आइसोप्रोट्यूरॉन या ऑक्सीफ्लोरफेन की उचित मात्रा का छिड़काव करें।  यह भी पढ़ें: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मोटे अनाजों के उत्पादों को किया प्रोत्साहित

फसल की कटाई और पैदावार 

रागी की कटाई उसकी किस्मों पर निर्भर करती है। सामान्यतः फसल तक़रीबन 115-120 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। रागी की बालियों को दराती से काट कर ढेर बनाकर धुप में 3-4 दिनों के लिए सुखाएं। अच्छी तरह से सूखने के बाद थ्रेशिंग करें। रागी की फसल से औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है।  .

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