आलू की फसल लगाना इस बार किसानों को बेहद महंगा पड़ा है। बीज की कीमतों ने किसानों की पहले ही कमर तोड़ दी है। अब मौसम की करवट से किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। मौसम का मिजाज आलू में झुलसा रोग का कारण बन सकता है। इन रोगों से फसल को बचाने के लिए किसानों को हर पल चौकन्ना रहना होगा। जिन किसानों ने अपनी फसल पर अभी तक फफूंद जनित रोग निदान वाली दवाओं का छिड़काव नहीं किया है वह तत्काल स्प्रे की तैयारी करें और इस काम को पूरा कर लें। पूसा संस्थान के कैटेट विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ बैज्ञानिक डा.जेपीएस डबास कहते हैं कि यूंतो आलू की खेती जागरूक किसान करते हैं और दवाओं के छिड़काव का ध्यान रखते हैं लेकिन खेती में सतत निगरानी एवं एहतियात बेहद आवश्यक है। खेतों में दैनिक भ्रमण के बगैर अच्छा उत्पादन नहीं लिया जा सकता। कृषि विज्ञान केन्द्र मथुरा के विशेषज्ञ डा. ब्रजमोहन ने सलाह दी है कि जिन किसान भाइयों ने आलू के झुलसा एवं फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए छिड़काव नहीं किया है या छिड़काव 15 दिन पूर्व किया है वह तत्काल छिड़काव करेंं। मौसम में तेजी से गिरावट हो रही है। पहाडों पर हुई बरसात और बर्फबारी के चलते मैदानी इलाकों तक ठंड कहर बनने लगी है। आलू पर तेजी से गिरते तामपान का असर पड़ता है। रात में ठंडक और दिन में गर्मी् होने पर आलू में और ज्यादा रोग आने की संभावना बनती है। उन्होंने बताया कि किसान भाई अखबार या मोबाइल पर एक्यूवेदर के माध्यम से तापमान की जानकारी दैनिक रूप से लेते रहें। पांच छह डिग्री से नीचे पारा आने पर खेत में नमी बनाएं रखें। फसल को पाले से बचाने के लिए गंधक का छिड़काव करें। इससे पूर्व फफूंदी जनित रोगों से बचाव के लिए कार्बन्डाजिम एवं मेन्कोजेब वाले मिक्चर का दो प्रतिशत दवा का छिड़ाव अवश्य कर देंं। बैक्टीरियल ब्लाइट आदि से बचाव के लिए इस्टेप्टोसाइक्लिन तीन ग्राम की पुडिया का भी छिडकाव करें लेकिन इसका प्रयोग रोग की प्रारंभिक स्थिति में नहीं करना चाहिए। अन्यथा दूसरी दवाएं काम नहीं करतीं। आलू में पछेती झुलसा का खतरा, बरसात खिंची तो आलू पर आएगी तेजी बेमौसम बरसात ने उत्तर भारत के कई राज्यों में गेहूं की फसल को भारी लाभ पहुंचाया है। बरसात से एक तरफ असिंचित इलाकों में किसानों को एक पानी की बचत हो गई है वहीं फसलों में लगने वाले उर्वरक की खपत भी कम हो जाएगी। इन हालात में ज्यादा तादात में किसानों को और फसलों को लाभ हुआ है लेकिन आलू की फसल में पछेती झुलसा का खतरा मंढ़रा गया है। तीन चार दिन तक बरसात के पूर्वानुमान की खबरें सटीक बैठीं तो आलूू की फसल को नुकसान ज्यादा भी हो सकता है। क्षणिक तौर पर अगेती आलू की खुदाई प्रभावित होने से बाजार में चंद दिनों फिर थोड़ी तेजी आ सकती है। ठंडक बनेगी कहर गुजरे कुछ दिनों में ठंडक की दस्तक के बाद तीन दिन मौसम ने थोड़ी राहत दी लेकिन बरसात शुरू होने के साथ फिर शीतलहर की संभावना प्रबल हो गई है। बरसात गेहूं, जौ, सरसों, चना आदि फसलों को खास लाभकर रहेगी। मसूर जैसी अन्य दहलनी फसलों में जहां पानी नहीं लगा है वहां भी बेहद लाभ होगा। सरसों में भी इस बरसात से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर अनुकूल असर होगा। इधर सब्जी वाली फसलों के लिए भी यह बरसात लाभकारी होगी। आलू किसान की आफत मौसम की मार आलू की फसल पर पड़ती ही है। बीते कई रोज तापमान चार डिग्री सेल्सियस से नीेचे रहा है। दिन में गर्मी रात में शर्दी आलू को सर्वाधिक प्रभावित करती है। आलू में ज्यादा तादात में पानी होता है। रात में तापमान गिरने और दिन में दोगुने से ज्यादा होने के हालात में रात में आलू में जमा पानी दिन में एक साथ पिघल नहीं पाता है। इससे आलू का कंद फट जाता है। बीते कई दिन तापमान ऐसा ही रहा। रात में पारा तीन डिग्री के नीेचे रहा लेकिन दिन में 15 डिग्री सेल्सियस के पार रहा। दिन और रात के पारे में दोगुने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। झुलसा से बचाएं फसल आलू में बेमौसम बरसात, तापमान की ज्यादा गिरावट और कोहरा जैसे हालात पाला मारने की आशंका पैदा करते हैं। इन हालात से फसल को बचाने के लिए गंधक का छिड़काव, फफूंदनाशक एवं बैक्टैरियल इस्टैप्टोसाइक्लिन आदि दवाओं का छिड़काव कर देना चाहिए। रात्रि के समय खेत के चारों कोनों पर हल्का धुुंआ भी किसान करते रहते हैं ताकि रात के समय में खेत का तापमान थोड़ा बढ़ा रहे।