किसान भाइयों रबी का मौसम शुरू हो गया है कई राज्यों में गेहूं कि बुवाई चालू हो गयी है। इस लेख में हम आपको गेहूं की बुवाई करनी के एक उत्तम विधि के बारे में बातएंगे जिसका नाम जीरो टिलेज तकनीक है।
जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुआई करने से प्रति एकड़ 1500 रुपए बच आएगी। गेहूं की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि विभाग इस तकनीक को खेती के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है।
यदि किसान जीरो टिलेज तकनीक से गेहूं की बुआई करता है, तो उसे दो फायदे होंगे। पहला फायदा यह है कि बीज की मात्रा कम लगेगी और दूसरा इससे समय और पैसा बचेगा।
जीरो टिलेज सीड ड्रिल का उपयोग करके किसान खेत को जोते बिना आसानी से बुआई कर सकता है। इस तकनीक में, पिछली फसल की कटाई के बाद उसके खड़े अवशेषों या फानों को खेत को तैयार किए बिना बीजा जा सकता है, बिना खेत को तैयार किए।
इसलिए इसे सीधी बिजाई की तकनीक या जीरो टिलेज तकनीक कहते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र खंडवा के वैज्ञानिक सुभाष रावत ने बताया जीरो टिलेज मशीन से खेतों में गेहूं के बीज और खाद की एक साथ बुवाई की जा सकती है।
इस तरीके से समय बचता है। धान कटने के बाद गेहूं लगाना आसान है। पौधे से पौधे की सही दूरी होने से उत्पादकता बढ़ती है।
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आपकी जानकारी के लिए बात दे कि 15 से 20 दिन बाद जीरो टिलेज से बीजी गई गेहूं की फसल में पहली सिंचाई करनी चाहिए। खेत में अधिक नमी होने पर पहली सिंचाई सामान्य सलाह के अनुसार ही करें।
जरूरत के अनुसार अतिरिक्त सिंचाई करें। खेत में जलभराव न होने दें। इस तरह की तकनीक को अपनाकर बहुत से किसान काफी लाभ ले रहे हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ रही है।
गेहूं की बिजाई करते समय खेत में नमी का ध्यान रखें। जब खेत में उचित नमी हो तब जीरो टिलेज मशीन से बिजाई करनी चाहिए। धान की फसल को एक सप्ताह पहले सिंचाई करें जब कम नमी है। धान कटाई के बाद समुचित नमी में गेहूं बोएं। इससे लाभ मिल सकता है।
एचआई-8663 (पोषण), पूसा तेजस, पूसा उजाला, जे-डब्ल्यू 3336, जेडब्ल्यू (एमपी) 3288, एमपी 3382 को दिसंबर तक बो सकते हैं।
जीरो टिलेज मशीन पर लघु सीमांत किसान और महिला वर्ग एससी/एसी को 50 फीसदी और सामान्य वर्ग के किसानों को 40 फीसदी अनुदान मिलेगा। इसके अलावा राज्य सरकार का 10 हजार रुपए टॉपअप दिया जा रहा है।
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जीरो टिल ड्रिल मशीन में 18 से 20 सेमी की दूरी पर 9 से 11 भालानुमा फाले लगे होते हैं। ट्रैक्टर के पीछे जोड़कर इन्हें चलाया जाता है। एक घंटे में लगभग एक एकड़ की खेत की बिजाई कर सकती हैं।
जिन क्षेत्रों में कंबाइन से धान कटाई की जाती है, उनमें बहुत सारे फसल अवशेष बच जाते हैं। गेहूं की खेती अब कठिन हो जाती है।
यहां किसान हैप्पी सीडर का उपयोग कर सकते हैं। इसमें रोटर और जीरो ड्रिल मशीन हैं, जो गेहूं के दानों को गहराई तक डालती हैं।
गेहूं को दीमक से बचाने और अधिक उत्पादकता देने के लिए कीटनाशक, फफूंदनाशक और जैविक खाद से बीजों को तैयार करें। यदि बीज पहले से उपचारित नहीं है, तो 2 ग्राम बाविस्टीन या वीटावैक्स प्रति किग्रा मिला लें।
ध्वज पत्ता कांगियारी या खुली कंगियारी से बचने के लिए प्रति किग्रा रैक्सिल से बीज उपचार करें। दीमक को दूर करने के लिए एक क्विंटल बीज को 150 मिली क्लोरपाइरीफोस से मिलाएं।
धान कटाई के समय फसल के फानों को बहुत बड़ा नहीं होने देना चाहिए। बीज की गहराई 5-6 सेमी होनी चाहिए। बिजाई से पहले खेत में बीज खाद की पूरी मात्रा डाल दें।
स्क्रू बोल्ट की मदद से मशीन के दोनों तरफ पहिए ऊपर या नीचे कर सकते हैं। मशीन के पीछे चलकर खाद-बीज की कोई नाल बंद तो नहीं देखनी चाहिए।