ऑफ-सीजन पालक बोने से होगा मुनाफा दुगना : शादियों के सीजन में बढ़ी मांग

Published on: 25-May-2022

दोस्तों, आज हम पालक (Spinach) के विषय में जरूरी चर्चा करेंगे। पालक भी उन हरी सब्जियों में से एक हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद ही आवश्यक होती है। पालक के विभिन्न फायदे लोगों में इसकी मांग को बढ़ाते हैं और यहां तक कि लोग पालक को ऑफ-सीजन में भी खाने की इच्छा रखते हैं। पालक की खेती, इसे बोने तथा पालक से होने वाले मुनाफे की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें। 

पालक की खेती

सबसे पहले हम आपको पालक के विषय में कुछ जरूरी बात बताना चाहेंगे। पालक की खेती सबसे पहले ईरान में उगाई गई थी। पालक की उत्पत्ति का राज सबसे पहला ईरान को माना जाता है। उसके बाद यह भारत में अनेक राज्यों में विभिन्न विभिन्न तरह से उगाई जाती है। हरी सब्जियों में पालक सबसे गुणकारी सब्जी है। आयरन काफी मात्रा में पालक में पाया जाता है। इनके गुणकारी होने से शरीर में रक्त की मात्रा को बढ़ावा मिलता है। लोग साल भर पालक को बड़े चाव के साथ खाना पसंद करते हैं। सर्दियों के मौसम में इनको और अधिक पसंद किया जाता है। पालक की खेती कर किसान काफी अच्छे धन की प्राप्ति करते हैं। 

ऑफ-सीजन में पालक की खेती

सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का होता है पालक की खेती के लिए जो पालक सर्दियों में उगते हैं वह बहुत ही उत्तम किस्म के होते हैं। पालक के पौधे सर्दियों में गिरने वाले पाले को बिना किसी परेशानी के आसानी से सहन करने की क्षमता रखते हैं। इनका विकास भी काफी अच्छे से होता है। किसान पालक की फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी का उपयोग कर करते हैं। सर्दियों के मौसम में सामान्य तापमान पालक की खेती को बढ़ाता है तथा इसका उत्पादन भी होता है। 

ये भी देखें: ऑफ सीजन में गाजर बोयें, अधिक मुनाफा पाएं (sow carrots in off season to reap more profit in hindi)

पालक की खेती के लिए मिट्टी का चयन

वैसे तो पालक के लिए औसत मिट्टी काफी होती है।अगर यह जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में उगाया जाए, तो और भी अच्छी तरह से विकसित होते हैं। किसानों के अनुसार मिट्टी का प्रकार और उसका पीएच भरी प्रकार से जांच लेना आवश्यक होता है। पालक के अच्छे विकास और उत्पत्ति के लिए उसका पीएच 6.5 से लेकर 6.8 तक पीएच होना चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी पालक की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। पौधे को रोपण करने से पहले मिट्टी को भली प्रकार से विश्लेषण करना आवश्यक होता है। 

पालक की फसल के लिए खेत को तैयार

किसान पालक की अलग-अलग किस्मों को उगाने के लिए और फसलों से पालक ही अच्छी पैदावार करने के लिए मिट्टी को भली प्रकार से भुरभुरा करते हैं। पहली जुताई के दौरान खेतों को गहरा जोता जाता है और ध्यान रखने योग्य बातें इनकी पुराने बचे हुए अवशेषों को नष्ट कर दिया जाता है। खेतों को कुछ टाइम के लिए जुताई करने के बाद ऐसे ही खुला छोड़ देते हैं।  

इस प्रक्रिया द्वारा मिट्टियों में भली प्रकार से धूप लग जाती है। पालक के पौधों को उवर्रक की आवश्यकता होती है क्योंकि पालक की फ़सल की कई बार कटाई की जाती है। पालक की फसल के लिए 15 से 17 पुरानी गोबर की खाद की आवश्यकता होती है। यहां प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में डाला जाता है। पालक के खेत में जलभराव की समस्या से छुटकारा पाने के लिए खेतों को समतल कर दिया जाता है। भूमि में पाटा लगाकर उसे पूर्ण रुप से समतल करते है इससे जलभराव नहीं होते। 

किसान कुछ रसायनिक खाद का भी इस्तेमाल करते हैं जैसे: रासायनिक खाद के स्वरूप में 40 केजी फास्फोरस, 30केजी नाइट्रोजन और 40 केजी पोटाश की मात्रा इत्यादि को यह आखरी जुताई के दौरान खेतों में छिड़ककर मिट्टी में मिक्स कर दिया जाता है। पौधों को तेजी से उत्पादन करने और कटाई के लिए 20 केजी की मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है खेतों में छिड़क दिया जाता है। 

पालक के बीजों की रोपाई

पालक उन हरी सब्जियों में से एक है जिनको भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में साल भर बीजों द्वारा उगाया जाता है। लेकिन किसान पालक की रोपाई करने के लिए जो सबसे अच्छा और उपयुक्त महीना मानते हैं वह सितंबर और नवंबर के बीच का है। तथा पालक के पौधे जुलाई के महीने में और भी अच्छी तरह से उगते हैं। क्योंकि इस माह में बारिश होती है जो फसल के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होती है। पालक के बीजों का रोपण किसान छिड़काव  और कुछ रोपण विधि द्वारा करते हैं। इन बीजों को लगभग 2 से 3 घंटे गोमूत्र में भिगोकर रखा जाता है। बीजों को अच्छी तरह से अंकुरित होने के लिए इनका रोपण लगभग 2 से 3 सेंटीमीटर की दूरी पर किया जाता है। 

पालक के पौधों की सिंचाई

पालक के बीजों की रोपाई करने के बाद भूमि को भली प्रकार से गीला रहना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है। क्योंकि पौधों की अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने के लिए अच्छी सिंचाई की आवश्यकता होती है। 

 भूमि में बीज रोपण करने के बाद पानी देने की प्रक्रिया को आरंभ कर देना चाहिए। किसान पालक की फसल में लगभग 5 से 7 दिन के बाद सिंचाई करते हैं। इन सिंचाई से अंकुरण अच्छे से होता है। तथा वर्षा ऋतु के मौसम में जब जरूरत दिखाई दे तभी खेतों में पानी दे। 

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं हमारा यह आर्टिकल पालक की बढ़ती मांग, ऑफ-सीजन पालक बोने, सर्दियों के सीजन में पालक की बुवाई तथा पालक से होने वाले मुनाफे इत्यादि की जानकारी हमारे इस आर्टिकल में मौजूद है। जो आपके बहुत काम आएगी हम यह आशा करते हैं कि हमारे इस आर्टिकल को आप ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें । धन्यवाद।

Ad