पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए करे ये उपाय, होगा दोगुना फायदा

Published on: 20-Jun-2021

किसान भाइयों आजकल दूध और दूध से बने पदार्थ की बहुत मांग रहती है। पशुपालन से किसानों को बहुत लाभ मिलता है। पशुपालन का असली लाभ तभी मिलता है जब उसका पशु पर्याप्त मात्रा में दूध दे और दूध में अच्छा फैट यानी वसा हो। 

क्योंकि बाजार में दूध वसा के आधार पर महंगा व सस्ता बिकता है। आइये जानते हैं कि पशुओं में दूध उत्पादन कैसे बढ़ाया जाये। 

 किसान भाइयों आपको अच्छी तरह से जान लेना चाहिये कि पशुओं में दूध उत्पादन उतना ही बढ़ाया जा सकता है जितना उस नस्ल का पशु दे सकता है।  

ऐसा ही फैट के साथ होता है। दूध में वसा यानी फैट की मात्रा पशु के नस्ल पर आधारित होती है। ये बातें आपको पशु खरीदते समय ध्यान रखनी होंगी और जैसी आपको जरूरत हो उसी तरह का पशु खरीदें।

Ad

दूध उत्पादन कम होने के कारण (Due to low milk production)

  1. संतुलित आहार की कमी होना।
  2. पशुओें की देखभाल में कमी होना।
  3. बच्चेदानी की खराबी व अन्य बीमारियों का होना
  4. टीके लगाने का साइड इफेक्ट होना
  5. चारा-पानी के प्रबंधन में कमी होना।

पशुओं की देखभाल कैसे करें

दुधारू पशु की देखभाल किसान भाइयों को 24 घंटे करनी चाहिये। कोई-कोई किसान भाई कहते हैं कि अपने पशुओं के चारे-दाने पर बहुत ज्यादा खर्च कर रहे हैं लेकिन फिर भी उनका दूध उत्पादन नहीं बढ़ता है।  

आपने किसी जानवर को दूध के हिसाब से 5 किलो सुबह और 5 किलो शाम दाना खिला दिया , उसके बाद भी दूध उत्पादन नहीं बढ़ता है। आपको दो समय की जगह पर उतनी ही मात्रा को चार बार देना है और समय-समय पर पानी का प्रबंध भी करना है।

ये भी पढ़ें:
पशुओं से होने वाले रोग

कैसा होना चाहिये पशुओं का संतुलित आहार

किसान भाइयों  आपको पशुओं की नस्ल, उनकी कद-काठी एवं दूध देने की क्षमता के अनुसार संतुलित आहार देना चाहिये। आइये जानते हैं कुछ खास बातें:-

  1. पशुओं के संतुलित आहार में, 60 प्रतिशत हरा चारा खिलाना चाहिये तथा 40 प्रतिशत सूखा चारा जिसमें दाना व खल भी शामिल है, खिलाना चाहिये।
  2. हरे चारे में घास, हरी फसल व बरसीम आदि देना चाहिये
  3. सूखे चारे में गेहूं, मक्का, ज्वार-बाजरा आदि का मिश्रण बनाकर भूसे के साथ देना चाहिये।
  4. पशुओं को दिन में 30 से 32 लीटर पानी देना चाहिये।
  5. पशुओं में दूध का उत्पादन बढ़ाने गाय को प्रतिदिन 5 किलो और भैंसको प्रतिदिन 10 किलो दाना खिलाना चाहिये।
  6. वैसे तो पशुओं को सुबह शाम सानी की जाती है लेकिन कोशिश करें कि कम से कम तीन बार तो आहार दें और कम से कम इतनी ही बार उन्हें पानी पिलायें।
  7. खली में सरसों ,अलसी व बिनौले की खली देना पशुओं के लिए उत्तम है। इससे दूध और उसका फैट बढ़ता है।

संतुलित आहार का मिश्रण कैसे तैयार करें

  1. गेहूं, जौ, बाजरा और मक्का का दानें से संतुलित आहार तैयार करें। आहार में दाने का हिस्सा 35 प्रतिशत रखना चाहिये।
  2. संतुलित आहार बनाते समय खली का विशेष ध्यान रखना चाहिये। क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग तरह की खली मिलती है। वैसे दूध की क्वालिटी अच्छी करने में सरसों की खली सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि किसी क्षेत्र में सरसों की खली न मिले तो वहां पर मूंगफली की खली, अलसी की खली या बिनौला की खली का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आहार में खली की मात्रा 30 प्रतिशत होनी चाहिये।
  3. चोकर या चूरी भी पशुओं के दूध बढ़ाने में बहुत सहायक हैं। चोकर या चूरी में गेहूं का चोकर,चना की चूरी, दालों की चूरी और राइस ब्रान आदि का प्रयोग संतुलित आहार में किया जाना चाहिये। आहार में चोकर या चूरी की मात्रा भी एक तिहाई रखनी चाहिये।
  4. खनिज लवण दो किलो या अन्य साधारण नमक एक किलो पशुओं को देने से उनका हाजमा सही रहता है तथा पानी भी अधिक पीते हैं। इससे उनके दूध उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
ये भी पढ़ें: लोबिया की खेती: किसानों के साथ साथ दुधारू पशुओं के लिए भी वरदान

मौसम के अनुसार करें पशुओं की देखभाल

हमारे देश में प्रमुख रूप से सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम होते हैं। इन मौसमों में पशुओं की देखभाल करनी जरूरी होती है।

  1. चाहे कोई सा मौसम हो पशुओं को स्वच्छ व ताजा पानी पिलाना चाहिये। ताजे पानी से वो पेट भर कर पानी पी लेगा। बासी व गंदा पानी पीने से अनेक तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। सर्दियों में ठंडा बर्फीला और गर्मियों में गर्म पानी होने से पशु अपनी प्यास का आधा ही पानी पी पाता है। इससे उसके स्वास्थ्य को तो नुकसान होता ही है और उसके दुग्ध उत्पादन पर भी विपरीत असर पड़ता है।
  2. आवास का प्रबंधन करना होगा। गर्मियों में पशुओं को गर्मी के प्रकोप से बचाना होता है। उन्हें प्रचंड धूप व गर्म हवा लू से बचायें। धूप के समय उनको साये में बनी पशुशाला में रखें। उन्हें अधिक बार पानी पिलायें। पानी पर्याप्त मात्रा में हो तो दिन में एक बार उन्हें ताजे पानी से नहलायें। इससे उनके शरीर का तापमान सामान्य रहेगा और स्वस्थ रहकर दुग्ध उत्पादन बढ़ा पायेंगे।
  3. सर्दियों में पशुओं के आवास का विशेष प्रबंधन करना होता है। शाम को या जिस दिन अधिक सर्दी हो, तब उन्हें साये वाले पशुशाला में रखें। उनके शरीर पर बोरे की पल्ली ओढ़ायें। पशु शाला में थोड़ी देर के लिए आग जलायें। आग जलाते समय स्वयं मौजूद रहें। जब आपका कहीं जाना हो तो आग को बुझायें । यदि तसले आदि में आग जलाई हो तो वहां से हटा दें।

मौसम के अनुसार आहार पर भी दें ध्यान

मौसम के बदलाव के अनुसार पशुओं के आहार में भी बदलाव करना चाहिये। गर्मियों के मौसम में संतुलित आहार बनाते समय किसान भाइयों को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि वो अपने पशुओं को ऐसी कोई चीज न खिलायें जिसकी तासीर गर्म होती हो। इस समय गुड़ और बाजरे से परहेज करना चाहिये।

गर्मियों के मौसम का आहार

गर्मियों के लिए आहार में गेहूं, जौ, मक्के का दलिया,चने का खोल, मूंग का छिलका, चने की चूरी, सोयाबीन, उड़द, जौ, तारामीरा,आंवला और सेंधा नमक का मिश्रण तैयार करके पशुओं को देना चाहिये।

सर्दियों के मौसम का आहार

सर्दियों के मौसम के आहार में गेहूं, मक्का, बाजरा का दलिया, चने की चूरी, सोयाबीन, दाल की चूरी, हल्दी, खाद्य लवण व सादा नमक का मिश्रण तैयार करें। 

इसके अलावा सर्दियों के मौसम में गुड़ और सरसों का तेल भी दें। बाजरा और गुड़ का दलिया भी अलग से दे सकते हैं। यह ध्यान रहे कि यह दलिया केवल अधिक सर्दियों में ही दें। 

खास बात

पशुओं को खली देने के बारे में भी सावधानी बरतें। सर्दियों के समय हम खली को रात भर भिगोने के बाद पशुओं को देते हैं। गर्मियों में ऐसा नहीं करना चाहिये। सानी करने से मात्र दो-तीन घंटे पहले ही भिगो कर ही दें।

फैट्स बढ़ाने के तरीके

पशुओं में फैट्स उनकी नस्ल की सीमा से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। फिर भी कोई पशु अपनी नस्ल की सीमा से कम फैट देता है तो उसको बढ़ाने के लिए निम्न उपाय करें:-

  1. शाम को जब पशुओं को रात्रि विश्राम के लिए बांधा जाये तो उस समय 300 ग्राम सरसों के तेल को 300 ग्राम गेहूं के आटे में मिलाकर दें और उसके बाद पानी न दें।
  2. अच्छा फैट देने वाले किसान भाइयों को चाहिये कि वो दूध दुहने से दो घंटे पहले ही पानी पिलायें, उसके बाद नहीं । ऐसा करने से फैट बढ़ेगा।
  3. दूध दुहने से पहले बच्चे को पहले दूध पिलायें क्योंकि पहले वाले दूध में फैट कम होता है और बाद वाले दूध में फैट अधिक होता है। यदि आपका दुधारू पशु दस-12 लीटर दूध देता है तो उसको एक चौथाई दूध दुह कर बर्तन बदल लें। बाद में जो दूध दुहेंगे उसमें फैट पहले वाले से अधिक निकलेगा।

Ad