Published on: 01-Nov-2021
पिछले दिनों हुई बारिश से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फसलें बुरी तरह बर्बाद हो गई। एक रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश में 2 लाख 35 हजार किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है जिसके चलते राज्य सरकार ने फैसला किया है कि, इन किसानों की फसलों का नुकसान वह मुआवजे के रूप में अदा करेगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने बारिश से बर्बाद हुई फसलों का आकलन किया जिसके बाद किसानों को लगभग 78 करोड़ 88 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
बता दें, इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उच्च स्तर पर बैठक की। इसी दौरान बैठक में शामिल हुए अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह के मुताबिक, 35 जिलों में 2,35,122 ऐसे किसान पाए गए जिनकी फसल बारिश के चलते बर्बाद हो गई। कहा जा रहा है कि, जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उन किसानों को करीब 78 करोड़ 88 लाख रुपए धनराशि दी जाएगी। बता दें, 17, 18 से 19 अक्टूबर के दौरान हुई भारी बारिश के चलते किसानों की फसले बुरी तरह बर्बाद हुई है।
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इस दौरान किसानों की फसले पूरी तरह से पक गई थी और इसे खेत से काटना भी शुरू कर दिया था लेकिन इसी बीच बारिश किसानों की दुश्मन बन गई और खेत में कटी पड़ी और उगी हुई फसलों को बर्बाद करके चली गई। ऐसे में किसान बुरी तरह परेशान हो रहे थे लेकिन इसी बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों का हौसला बनाए रखा और उन्हें मुआवजा देने की बात कही। आइए जानते हैं किन किसनों को मिलेगा ये मुआवजा?
इन जिलों में हुआ भारी नुकसान
रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में करीब 37,848 किसानों की फसलें बर्बाद हुई है। वहीं यदि सबसे कम नुकसान के बारे में बात करें तो श्रावस्ती जिले में सबसे कम फसलों का नुकसान हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीएम का कहना है कि वह किसान को जल्द से जल्द इस मुआवजे की राशि प्रदान करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो मुख्यमंत्री ने करीब राज्य के 35 जनपदों के किसानों को मुआवजा देने की बात कही है।
इन जिलों के किसानों को मिलेगा मुआवजा
35 जनपदों में महाराजगंज, गोरखपुर, संत कबीर नगर, कुशीनगर, बलिया, सीतापुर, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बहराइच, झांसी, बाराबंकी, वाराणसी, गाजीपुर, खीरी, ललितपुर, जालौन, लखीमपुर ,कौशांबी, चंदौली, बस्ती, बिजनौर, गोंडा, अंबेडकर नगर, बांदा, चित्रकूट, बलरामपुर, पीलीभीत, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, भदोही, श्रावस्ती, आगरा और सुल्तानपुर जैसी जनपद का नाम शामिल है।
33% से ज्यादा खराब फसलों को ही मिलेगा मुआवजा
बता दें, यह राशि सिर्फ उन्हीं किसानों को प्राप्त होगी जिनकी फसल 33% से ज्यादा खराब हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हीं किसानों को यह मुआवजा देने का प्रावधान भी है। इसके अलावा किसानों को यह मुआवजा तब मिलता है जब उनकी फसलें ओलावृष्टि, पाला बाढ़ या फिर शीतलहर के चलते बर्बाद हो गई हो। किसानों को 2 हेक्टेयर तक ही मुआवजा मिलता है। बता दें जिन किसानों की सिंचित भूमि होती है उन्हें 4500 रुपए बल्कि असंचित भूमि पर 9 हजार रुपए दिए जाते हैं।
बीमा कराई गई फसलों को पहले मिलेगा मुआवजा
बता दें कि, इस तरह का मुआवजा उन किसानों को प्राप्त होता है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया होता है। दरअसल, इसके लिए जब फसलों का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी अधिकारी आते हैं तब किसान को अपनी फसल का बीमा करवाना होता है। इसके बाद बीमा अधिकारी द्वारा किसान की फसलों का आकलन किया जाता है, इसके बाद मुआवजे की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि यह राशि सिर्फ उन्ही किसानों को प्रदान की जाती है जिनकी फसलें 33% से अधिक खराब हो चुकी।
बता दें जिन किसानों ने उनकी फसलों का बीमा नहीं करवाया होता है ऐसे किसानों को मुआवजा मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है। हालांकि जांच के बाद हर किसी को मुआवजे की राशि मिल जाती है। रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के रामपुर में उड़द की फसलें भी बुरी तरह से चौपट हो गई है। दरअसल 17, 18 और 19 अक्टूबर को बारिश के दौरान उड़द की फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ। क्योंकि बारिश रुक-रुक कर हो रही थी ऐसे में उड़द पर इसका बुरा प्रभाव हुआ। इतना ही नहीं बल्कि उन किसानों को उड़द का अधिक नुकसान हुआ जिनकी फसलें पहले से ही पक गई थी और उन्होंने इस फसल को काटकर अपने खेत में ही छोड़ दी थी। ऐसे में उड़द खेत में ही बुरी तरह सड़ गया और रुक-रुक कर बारिश होने के चलते इसे धूप भी नहीं मिली जिसके चलते उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
रिपोर्ट की माने तो रामपुर में करीब 15% से अधिक उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं बल्कि इसमें कुछ ऐसे भी किसान शामिल है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा नहीं करवाया था। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि इन किसानों की फसल की भरपाई कैसे होगी? हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश हुई, वहीं रामगंगा जैसी नदी में बाढ़ आने के कारण उड़द की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई।
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कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल के मुताबिक, रामपुर जिले में करीब 35 हेक्टेयर पर उड़द की खेती की जाती है। इसी बीच नरेंद्र पाल ने किसानों से मुलाकात की और उनकी फसलों का आकलन भी किया। जिन किसानों की उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई उन्हें नरेंद्र पाल ने आश्वासन दिया है कि वह जल्दी ही इसका मुआवजा दिलाने में मदद करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया है उन्हें बीमा कंपनी द्वारा जल्दी ही मुआवजा प्रदान हो जाएगा लेकिन जिन लोगों ने अपनी फसल कम बीमा नहीं करवाया है, इसके लिए पहले तहसीलदार उनकी फसलों का आकलन करेंगे, इसके बाद ही उन्हें किसी प्रकार की मदद मिल पाएगी।
फसल बीमा के नियम में बदलाव
बता दें, जिन फसलों का बीमा हो चुका है उनके लिए नियमों में भी कुछ बदलाव किया गया है। नए नियम के अनुसार यदि किसी किसान की फसल का नुकसान प्राकृतिक आपदा के चलते हुआ हो तो उसे बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा प्रदान होगा। यदि किसी किसान का गेहूं काटने से पहले ही आग लग जाती है फिर बारिश हो जाती है जिसके चलते फसल बर्बाद हो जाती है। इस स्थिति में न सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे इसका मुआवजा मिलता बल्कि आसपास के किसान भी इस योजना का लाभ उठा लेते हैं।
दरअसल जिन लोगों की फसलें बर्बाद नहीं होती है उन किसानों को भी इस योजना में पैसे मिल जाते थे, यही वजह है कि फसल बीमा में नए नियम लागू किए गए हैं। नए नियम के मुताबिक, सिर्फ वही किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है जिसका नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि जिस किसान का नुकसान हुआ है उसे अपने कुछ जरूरी जमीन से जुड़े कागजात भी दिखाने होते हैं। इसके बाद उसे बैंक से भी संपर्क करना होता है तभी कहीं जाकर उसे यह राशि प्राप्त होती है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, जिन किसानों के पास क्रेडिट कार्ड है उन्हें फसल बीमा योजना की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे टोल फ्री नंबर
18001030061 पर अपनी फसल की सूचना देनी होती है। इसके अलावा किसान को कृषि विभाग के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी देनी होती है, जिसके बाद ही वह फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं।