हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। सोनीपत में नेशनल हाईवे-1 के नजदीक एक गांव से बहुत ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां पर किसान अपनी गेहूं की फसल की सिंचाई करने के लिए गंदे नाले का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह पानी ना सिर्फ शहर की गंदगी को अपने अंदर समेटे हुए हैं, बल्कि इसमें आसपास के फैक्ट्री (Factory) की गंदगी भी जमा रहती है। इस गांव में कुछ समय से कैंसर के मामले बहुत ज्यादा और आश्चर्यजनक तौर पर बढ़ रहे थे। जब एक्सपर्ट्स ने इस पर एक नजर डाली तो आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका सबसे बड़ा कारण गंदे पानी में उगाई गई गेहूं की फसल से बने हुए खाने का सेवन करना था। पर्यावरण विभाग और सिंचाई विभाग के आला अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। सरकार दावा कर रही है, कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा पानी की सिंचाई की सुविधा दी गई है। लेकिन यहां कोई भी देख सकता है, कि किस तरह नालियों के जरिए गेहूं की फसल तक यह गंदा पानी पहुंचाया जा रहा है। यहां ट्यूबेल की व्यवस्था नहीं है और इस नाले के पानी से ही वह बाजरा और गेहूं की फसल करते हैं। अगर डिप्टी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट की बात मानें तो नालों में जाने वाले पानी में फैक्ट्रियों का पानी भी होता है, जो फसल के लिए बहुत खतरनाक है। वहीं सेहत के लिए भी बहुत ज्यादा खतरनाक है। इससे सीधे तौर पर कैंसर जैसी बीमारियां होना संभव हैं। इसके अलावा खुजली और चर्म रोग भी हो सकते हैं। डॉक्टर ने कहा कि यह सिंचाई विभाग और पर्यावरण विभाग की कमी है और उसे रोकना चाहिए। ये भी देखें: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल कृषि विभाग भी पूरी तरह से गंदे पानी के उपयोग को कृषि में नहीं रोक पा रहा है और किसान भी जानकारी के अभाव में गंदे नाले के पानी में सब्जियां व अन्य फसल उगाते जा रहे हैं। एक बार जब गंदे पानी में उगाई हुई सब्जियां ठेले पर बेची जाती हैं, तो यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन जाती हैं।