दोस्तों आज हम बात करेंगे अखरोट (अंग्रेजी: Walnut (वालनट), वैज्ञानिक नाम : Juglans Regia) की खेती की, अखरोट की खेती कर किसान बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। क्योंकि अखरोट में बहुत सारे आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं, जिसे लोग खाना पसंद करते हैं। अखरोट की फसल की अच्छी देखरेख कर किसान अपने आय के साधन को मजबूत कर सकते हैं। अखरोट की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों को हासिल करने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें:
अखरोट की खेती
किसानों के लिए बागवानी फसलों में से ड्राई फ्रूट की फसलें ज्यादा मुनाफा देती है। ड्राई फ्रूट की खेतियो में अखरोट की खेती सबसे मुख्य मानी जाती है। साथ ही साथ यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद होती है। मार्केट तथा बाजारों में अखरोट की मांग दिन प्रतिदिन और बढ़ती जा रही है। क्योंकि लोग अखरोट से तरह-तरह की स्वीट डिशेस बनाते हैं, तथा अखरोट का सेवन भी करते हैं, यहां तक कि लोगों ने अखरोट के तेल का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ऐसे में अखरोट की फसल एक बहुत महत्वपूर्ण फसल बनकर विकसित हो गई है।
अखरोट की मांग न सिर्फ भारत देश अपितु अंतरराष्ट्रीय में भी तेजी से बढ़ती जा रही है। भारत देश में अखरोट का इस्तेमाल विभिन्न विभिन्न प्रकार की मिठाई बनाने तथा दवाओं के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बल्कि भारत देश में भी अखरोट का इस्तेमाल तेजी से हो रहा है। आयुर्वेद के क्षेत्र में अखरोट का इस्तेमाल तेजी से किया जा रहा है। ऐसे में आप अखरोट की फसल से किसानों को होने वाले मुनाफे का अंदाजा लगा सकते हैं। अखरोट की फसल किसानों के आय के साधन को मजबूत बनाने में सक्षम है।
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अखरोट की खेती करने वाले क्षेत्र
पहले अखरोट की खेती मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में ही की जाती थी। परंतु अखरोट की बढ़ती मांग को देखते हुए, हमारे भारत देश के कई राज्यों में भी इसकी खेती की शुरुआत हो चुकी है। किसान यदि अखरोट की फसल के लिए उन्नत किस्मो और
कृषि वैज्ञानिकों के अंतर्गत खेती करते हैं, तो अखरोट की खेती से बेहद ही मुनाफा कमा सकते हैं, अखरोट की खेती के दौरान सही तरीकों का पालन करें जिससे फसल की उत्पादकता को और बढ़ावा मिल सके।
अखरोट की खेती मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों में की जाती है। लेकिन अखरोट की खेती का मुख्य क्षेत्र जम्मू कश्मीर को ही माना जाता है। अखरोट की फसल का मुख्य उत्पादन जम्मू कश्मीर में होता।
अखरोट की खेती करने के लिए भूमि का चयन
अखरोट की खेती करने के लिए किसान सर्वप्रथम गड्ढेदार भूमि का चयन करते हैं। अच्छी गहराई प्राप्त करने के बाद, हल द्वारा मिट्टी को पलटे। जुताई के कुछ दिनों बाद खेत को ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए। उसके बाद
रोटावेटर चलाकर जुताई करें। रोटावेटर द्वारा जुताई करने से भूमि के ढेले अच्छी तरह से भुरभुरी मिट्टी में परिवर्तित हो जाते हैं।
अखरोट के पौधे लगाने का उपयुक्त समय
अखरोट के पौधे लगाने से पहले उन को अच्छी तरह से नर्सरी में देख रेख कर लेना उचित होता है। हमेशा अखरोट के स्वस्थ पौधे लगाएं ताकि उत्पादन अच्छा हो। अखरोट के पौधे लगाने का उपयुक्त समय दिसंबर से मार्च तक का होता है।
सर्दियों का मौसम अखरोट के पौधे लगाने के लिए सबसे उचित समझा जाता है। कभी-कभी किसान बारिश के मौसम में भी अखरोट का पौधा रोपण करते हैं। परंतु कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सर्दी का मौसम सबसे उचित होता है।
अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
किसानों के अनुसार अखरोट की खेती के लिए समान प्रकार की जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा गर्मी और ज्यादा ठंड दोनों ही प्रकार की जलवायु अखरोट के पौधों के लिए हानिकारक होती है। ज्यादा पाला पढ़ने से अखरोट के पौधे प्रभावित होते हैं। जहां पर जलवायु समान हो उस क्षेत्र में अखरोट की खेती करनी चाहिए। ज्यादा बारिश का मौसम भी इसकी उत्पादकता को रोकता है।
अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त खाद और उर्वरक
अखरोट की खेती के लिए किसान सड़ी हुई
गोबर की खाद का ही इस्तेमाल करते हैं। गोबर की सड़ी हुई खाद सबसे उत्तम मानी जाती है।
उर्वरक के रूप में 25 ग्राम नाइट्रोजन तथा 50 ग्राम फास्फोरस, पोटाश की मात्रा 25 ग्राम, प्रति पेड़ के हिसाब से 20- 25 वर्षों तक देते रहना उचित होता है।
अखरोट के पौधों की सिंचाई
अखरोट के पौधों की सिंचाई दो प्रकार से होती है। गर्मियों में अखरोट के पौधों को हर सप्ताह सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। वहीं दूसरी ओर सर्दियों और ज्यादा ठंडी के मौसम में 25 से 30 दिनों तक के बाद सिंचाई देना उचित होता है। ऐसा करने से अखरोट के पौधे अच्छी तरह से उत्पादन करते हैं और भारी मात्रा में विकसित होते हैं।
अखरोट के पौधे उत्पादन करने के लिए लगभग 7 से 8 महीनों तक का समय लेते हैं। किसानों के अनुसार अखरोट के पौधे 4 साल बाद पौधे देने के लायक हो जाते हैं। विकसित होने के बाद या लगभग 25 से 30 साल तक फल देते रहते हैं। अच्छी सिंचाई और उचित जल निकास की व्यवस्था को बनाए रखना आवश्यक होता है।
अखरोट की उन्नत किस्में
किसान अखरोट की अलग - अलग तरह की किस्मों को उगाते हैं या किस्मत कुछ इस प्रकार है जैसे:
लोग अखरोट की पूसा किस्म को खाना ज्यादा पसंद करते हैं। 3 से 4 वर्षों में इसके फल आने शुरू हो जाते हैं इसकी ऊंचाई समान होती है।
अखरोट की ओमेगा 3 किस्म एक विदेशी किस्म है, इसमें लगभग 60% तेल की प्राप्ति होती है। अखरोट की यह किस्म ज्यादातर औषधि और दवाई बनाने के काम आती है। इसके पौधों की ऊंचाई अधिक होती है। हृदय रोगियों के लिए यह अखरोट उपयुक्त हैं।
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अखरोट की कोटखाई सलेक्शन 1 किस्म
इनके पौधों की ऊंचाई समान होती है। इन के छिलके बहुत पतले और हल्के होते हैं। अखरोट की इस किस्म को हरा खाना स्वादिष्ट लगता हैं। अखरोट कि यह किस्म कम समय में ज्यादा उत्पादन करने वाली किस्म है।
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अखरोट की लेक इंग्लिश किस्म
अखरोट की यह किस्म जम्मू और कश्मीर में ज्यादा उगाई जाती है। यह समय से फल देने वाली किस्म है, अखरोट की यह एक विदेशी किस्म है। इन पौधों की लंबाई अधिक होती है।
अखरोट में पाए जाने वाले आवश्यक तत्व:
अखरोट की फसल किसानों के लिए जितनी उपयोगी है, उतनी ही या स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। अखरोट में विभिन्न विभिन्न तरह के आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं, जिनसे हमारा शरीर स्वस्थ और कार्य करने युक्त सक्षम रहता है।
अखरोट मे गिरी की मात्रा लगभग 14 पॉइंट 8 ग्राम प्रोटीन मौजूद होता है तथा 64 से 65 ग्राम वैसा होता है। वहीं दूसरी ओर इनमें कार्बोहाइड्रेट 15 पॉइंट 80 ग्राम तक मौजूद होता है और रेशा लगभग 2.1 ग्राम होता है, राख की मात्रा 1.9 होती है। अखरोट में कैल्शियम लगभग 99 मिलीग्राम होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। फास्फोरस की मात्रा 380 ग्राम होती है। पोटेशियम 450 ग्राम होता है। अखरोट में कैलोरी ऊर्जा लगभग 390 से 392 तक की होती है। आधी मुट्ठी अखरोट में आप यह कैलोरी ऊर्जा को प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही साथ अखरोट में विटामिन ई और विटामिन बी दोनों विटामिंस का स्त्रोत मिलता है। कैल्शियम मिनेरल आपको अखरोट में पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। यह कुछ आवश्यक तत्व हैं जो अखरोट में मुख्य रूप से पाए जाते हैं, जिनसे हमारा शरीर तंदुरुस्त और स्वस्थ रहता है।
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अखरोट का पेड़ कैसा होता है ?
अखरोट का पेड़ दिखने में बहुत ही खूबसूरत लगता है। अखरोट के गुच्छे हर टहनियों पर लगे होते हैं। साथ ही साथ अखरोट के पेड़ की सुगंध दूर दूर तक फैली हुई रहती है। अखरोट की छालों का रंग काला होता है जो दूर से ही खूबसूरत दिखता है। अंग्रेजी में अखरोट को वालनट (
Walnut) के नाम से जाना जाता है।
अखरोट की उपयोगिता
अखरोट का इस्तेमाल मेवा के रूप में किया जाता है, यह एक सूखा मेवा है। ज्यादातर लोग इसे ऐसे ही सूखा खाना पसंद करते हैं।
यदि बात करें अखरोट के बाहरी या ऊपरी हिस्से की, तो यह बहुत ही सख्त होता है। सख्त होने के साथ यह काफी कठोर भी होता है। आप अखरोट को तोड़ते हैं, तो अंदर का हिस्सा आपको मानव मस्तिष्क की तरह दिखाई देगा।
अखरोट का उपयोग कुछ इस निम्न प्रकार से किया जाता है:
- अखरोट की उपयोगिता ज्यादातर मिठाइयों की दुकान में होती है और लोग अधिकतर अखरोट की गिरी का इस्तेमाल करते हैं।
- दिमाग की तरह दिखने वाला यह मेवा असल मायने में दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति को बढ़ाता है।
- बच्चों के लिए अखरोट बेहद ही उपयोगी है, अखरोट के सेवन से बच्चों को पढ़ाई लिखाई करने में सहायता मिलती है।
- गिरते और झड़ते बालों के लिए अखरोट बेहद ही जरूरी होता है। अखरोट खाने से बालों में मजबूती तथा घना पन बना रहता है।
- अखरोट का इस्तेमाल साबुन, तेल, वार्निश आदि के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
- त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने के लिए भी अखरोट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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