ककोरा कद्दूवर्गीय स्वास्थ्यवर्धक सब्जी हैं, ये भारत में कई स्थानों पर उगाया जाता हैं। ककोरा को अन्य कई नामों से जाना जाता हैं जैसे कि ककोड़ा, किंकोड़ा या खेख्सा आदि।
इसका वैज्ञानिक नाम Momordica dioica हैं। ये ज्यादातर पहाड़ी जमीन में आपने आप भी उग जाता हैं।
इसकी बेल होती हैं जो कि जंगलों-झड़ियों में उग जाती हैं। लोग ककोरा की सब्जी के रूप में बहुतायत से उपयोग करते हैं।
ककोड़ा की खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त मानी जाती हैं, ये उन क्षेत्रों में आसनी से उगता हैं जहा पर गर्म एवं नम जलवायु रहती हो।
इसकी खेती के लिए तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होना चाहिए। इसकी खेती के लिए वार्षिक वर्षा 1500-2500 मि.ली. होनी बहुत आवश्यक हैं।
ककोरा की फसल को 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती हैं।
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ककोरा की खेती कई प्रकार की मिट्टी में आसानी से हो सकती हैं।
इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ हो तथा जल निकास की उचित व्यवस्था हो अच्छी मानी जाती हैं। मिट्टी का पी.एच. मान 6-7 के बीच होना चाहिए।
अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए किस्मो का चुनाव बहुत आवश्यक माना जाता हैं। इसकी कई उन्नत किस्में हैं जिनकी बुवाई करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
इंदिरा कंकोड़-1, अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 आदि ककोरा की उन्नत किस्में हैं जो की अच्छा उत्पादन देती हैं।
इसकी बुवाई के लिए 8-10 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं। सही बीज जिसमें कम से कम 70-80 प्रतिशत तक अंकुरण की क्षमता हो ऐसे बीज का चुनाव करें।
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ककोड़ा की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत में पर्याप्त मात्रा में पौधों की आवश्यकता होती है।
इस फसल को अच्छी तरह से तैयार खेत में क्यारी में या गड्ढों में बोया जा सकता है। गड्ढे में दो मीटर की दूरी होनी चाहिए। तथा प्रत्येक गड्ढे में दो से तीन बीज लगाएँ।
इस तरह, चार मीटर चौड़े प्लाट में नौ गड्ढे बनते हैं। जिसमें बीच वाले गड्ढे में नर पौधे, जबकि अन्य आठ गड्ढों में मादा पौधे हो। यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि एक गड्ढे में एक ही पौधा लगाया जाए।
ककोरा की बेल बनती हैं इसलिए इसके पौधे को सहारा देना बहुत आवश्यक होता हैं। पौधों को सहारा देने को स्टेकिंग भी कहते हैं।
स्टेकिंग करने से बेल का विकास अच्छा होता हैं तथा गुणवत्तापूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सूखी लकडिय़ों की टहनी या बांस का सहारा लेना चाहिए।
ककोड़ा एक बहुवर्षीय फसल है, इसलिए पौधों को सहारा देने के लिए लोहे के एंगल पर 5-6 फीट ऊंची, 4 फीट गोलाकार तार लगा सकते हैं।
ककोरा की फसल में 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद देनी बहुत आवश्यक होती हैं।
खेत में इसके अलावा प्रति हेक्टेयर की दर से 65 कि.ग्रा. यूरिया, 75 कि.ग्रा. एसएसपी तथा 67 कि.ग्रा. एमओपी आदि फसल में दे।
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इस सब्जी की बाजार में अच्छी कीमत हैं जिससे अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, ककोड़ा की सब्जी आजकल 90 से 100 रुपये प्रति किग्रा के बीच बाजार में मिलता है।
किसान की आर्थिक स्थिति इससे मजबूत होती है। ककोड़ा की सब्जी स्वादिष्ट होती है और संतुलित आहार में महत्वपूर्ण है।
ककोड़ा की सब्जी पौष्टिक गुणों से भरपूर है। ककोड़ा के हरे फलों की सब्जी में नौ से दस कड़े बीज होते हैं।