भारत गेहूं उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर आता है। यहां गेहूं की खेती रबी फसल के रूप में की जाती है और सबसे अधिक हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में होती है।
उत्पादन के हिसाब से उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है, जबकि प्रति एकड़ उत्पादन के आधार पर पंजाब सबसे आगे है। गेहूं की खेती के लिए पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है।
एक सफल फसल के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए जानते हैं गेहूं की अच्छी उपज के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
फसल चक्र गेहूं की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे अपनाने से उपज में बढ़ोतरी हो सकती है। फसल चक्र रोग प्रतिरोधी और खरपतवार नियंत्रण में भी सहायक होता है।
अगर गेहूं की खेती वाले खेत में दलहनी फसलों की खेती की जाए, तो यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और फसल की पैदावार में सुधार होता है।
खाद और उर्वरक की सही मात्रा जानने के लिए मृदा परीक्षण बहुत जरूरी है। हर 3-4 साल में मिट्टी का परीक्षण कराना चाहिए ताकि मिट्टी का पीएच स्तर पता चल सके।
इसके लिए खेत की ऊपरी मिट्टी से 10-20 और 20-30 से.मी. गहराई से नमूना लिया जाता है। खेत की मिट्टी का पीएच 5.5 या उससे अधिक बनाए रखने का प्रयास करें। अगर पीएच कम हो, तो मिट्टी में चूने का प्रयोग करें।
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उन्नत किस्में फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये किस्में रोग प्रतिरोधी होती हैं और अधिक पैदावार देती हैं।
चूंकि इन किस्मों में रोग नहीं लगते, इसलिए उत्पादन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, जिससे बेहतर उपज मिलती है।
खरपतवार नियंत्रण गेहूं की फसल में बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह उपज को काफी हद तक कम कर सकता है।
खाद और उर्वरक का अधिकांश हिस्सा खरपतवार सोख लेते हैं, जिससे फसल की वृद्धि रुक जाती है। इसलिए अधिक पैदावार पाने के लिए समय पर खरपतवार नियंत्रण जरूरी है।