खीरे की खेती कब और कैसे करें?

Published on: 13-Apr-2021

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खीरे की खेती के लिए खेत की तैयारी:

सबसे पहले तो हमें ये देखना चाहिए कि जैसे ही हमारा कोई खेत फसल से खाली होता है तो उसमें उस समय की फसल लगा देनी चाहिए। इससे किसान की आमदनी भी बढती है और खेती से किसान भाइयों की जरूरतें भी पूरी होती है| आमतौर पर देखा गया है की पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के कुछ भाग में ही इस तरह से खेती की जाती है| अन्यथा दूसरे क्षेत्रों में अमूमन खेत दूसरी फसल तक खाली ही रहते हैं| खीरा की खेती हम आलू से खाली हुए खेत से लेकर गेंहूं तक के खेत में कर सकते हैं| आलू के खेत में कम खाद की आवश्कयता होती है जबकि दूसरी फसल के खाली हुए खेत में हमें खाद का ध्यान रखना होता है. सबसे पहले हमें कम से कम 3 साल में एक बार गोबर की बनी हुई खाद डाल देनी चाहिए. इससे हमारी फसल तो अच्छी होती ही है और उसमें रासायनिक खाद का प्रयोग भी ज्यादा नहीं करना पड़ता है. हमें गोबर की बनी हुई 40 से 50 टन पर एकड़ खाद डालनी चाहिए. साथ ही अगर हम मिटटी की जाँच करा लेते हैं तो बहुत अच्छा है नहीं तो नाइट्रोजन का 20 से 30 किलो प्रति एकड़ अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देनी चाहिए. इसके खेत में पहली जुताई गहरे से करनी चाहिए उसके बाद 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर से करके पाटा लगा देना चाहिए. जिससे की खेत समतल हो जाये और कहीं भी पानी भरने या रुकने की गुंजाईश न रहे.

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मिटटी का चयन और जलवायु:

खीरा की खेती किसी भी तरह की मिटटी में की जा सकती है. इसके लिए दोमट और बलुई मिटटी ज्यादा मुफीद रहती है. खीरा चाहे हाइब्रिड हो या देसी हो दोनों ही किस्म के खीरे के लिए नदियों के किनारे वाली मिटटी ज्यादा अच्छी रहती है. ज्यादातर खीरे, ककड़ी , तरबूज और खरबूज की खेती या आप कहा सकते हैं कि किसी भी बेल वाली फसल के लिए नदियों के किनारे वाली जमीन हमेशा अच्छी रहती हैं. इसके लिए थोड़े गरम जलवायु कि आवश्यकता होती है. बारिश वाले मौसम में कीड़े लगाने कि संभावना रहती है जिससे कि फसल में नुकसान होता है. अगर फूल आने के समय ज्यादा गर्मीं होती है तो नर फूल ज्यादा आते हैं और मौसम सामान्य रहता है तो मादा फूल ज्यादा आते हैं जिससे कि फल अच्छा आता है.

बुवाई कैसे करें?

खेत को तैयार करने के बाद कम से कम 12 घंटे तक खेत को आराम दें, उसके बाद खेत की बुवाई करें. खीरा लगाने का सर्वश्रेष्ठ समय फरवरी-मार्च का महीना होता है। यदि किसान फसल लगाते हैं तो 35 से 40 दिन में फसल पककर तैयार हो जाएगी।उसके बाद अगली फसल कि प्लानिंग भी उसी समय से मस्तिष्क में होनी चाहिए जिससे की आपका खेत खाली न रहे. एक हेक्टेयर में ढाई से तीन किलोग्राम बीज ही लगेगा। बुवाई का समय स्थान विशेष की जलवायु पर निर्भर करता है।इसकी बुबाई बेड बना कर भी कि जाती है.

खीरे की हाइब्रिड और देसी किस्में:

खीरे की कुछ हाइब्रिड किस्में देसी और विदेशी दोनों ही होतीजो की नीचे दी गई हैं. विदेशी किस्में-: जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट आदि प्रमुख है| उन्नत किस्में- : स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूसा संयोग,हिमांगी, जोवईंट सेट, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75, पीसीयूएच- 1, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि प्रमुख है| किसी भी किस्म को जब तैयार किया जाता है तो उस किस्म का नाम या तो उसके गुण के आधार पर दिया जाता है या फिर उसको तैयार करने वाली संस्था के नाम पर दिया जाता है. जैसे एक किस्म है पंजाब नवीन: इसके खीरे कड़वे नहीं होते और अगर होते भी है तो न के बराबर होते हैं. इसके बीज भी खाने लायक होते हैं. इसका नाम भी पंजाब राज्य पर दिया गया है.

निराई गुड़ाई:

फसल की बेल जब बढ़ने लगे और एक या दो पानी लग जाने के बाद खरपतवार निकलने लगता है उस समय कोशिश करे की इसमें कोई खरपतवार नाशक न प्रयोग करके इसमें खुरपी से निराई करा दें जिससे की इसमें फल पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा और उसकी फसल भी स्वादिष्ट होगी.

फलों की तुड़ाई:

खीरे की खेती देखिये फलों की तुड़ाई पीले पड़ने से पहले ही कर लेनी चाहिए जिससे की इनका बाजार में मूल्य भी अच्छा मिलता है तथा एक या दो दिन तक इसको आप रख भी सकते हैं. पीले फल तोड़ने पर इसको आपको बेचना ही पड़ेगा चाहे आपको उचित मूल्य मिले या न मिले.

बीज की तैयारी:

हम हमेशा से किसान को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते आए हैं. इस कड़ी में कह सकते हैं अगर किसान थोड़ा मेहनत अगर बीज के लिए भी करे तो उसे किसी कंपनी की तरफ नहीं देखना पड़ेगा और वो अपनी बीज को दूसरे किसानों में भी बेच सकता है. बीज तैयार करने के लिए आपको फलों को पीले होकर तोड़ना है तथा ध्यान रहे की फल की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. इसको लम्बा काटकर साफ पानी में धोकर बीज धूप में सुखा लेना चाहिए. इसको किसी सूखी जगह में रख लेना चाहिए.

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