Published on: 14-Oct-2023
शासन के ढ़िलाई बरतने के चलते बिलाईगढ़ ब्लॉक के किसानों ने गजब कमाल कर दिखाया है। एक लंबे अरसे से पानी की मांग पूरी नहीं होने पर किसानों ने चंदे से 15 लाख का बजट तैयार कर खुद के लिए सिंचाई व्यवस्था कर ली है।
हम यह बात बखूबी जानते हैं, कि हमारे सिस्टम का शिकार कोई न कोई बनता ही है। विशेष कर गांव में खेती करने वाले किसान इसके भुक्तभोगी होते हैं। आए दिन ऐसे समाचार कान में पड़ते ही रहते है। जहां किसान किसी न किसी तौर पर परेशान होते ही आए हैं। ऐसा ही एक वाकया देखने को मिला बिलाईगढ़ ब्लाक के किसानों के साथ जहां उन्हें पंचायत और शासन की उदासीनता को झेलना पड़ा।
किसानों को सिंचाई की काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है
बिलाईगढ़ विधानसभा के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायत बन्दारी जहां की जनसंख्या 1500 से ज्यादा हैं। यहां की ज्यादातर आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। यहां के ग्रामीणों की मानें तो गांव की कृषि सीमा तकरीबन 750 एकड़ तक फैली है, जिनकी सिंचाई जोंक नदी से निकलने वाली नहर परियोजना से हो जाती हैं। परंतु, उन्हें उस नहर से पानी नहीं मिल रहा हैं, जिसकी वजह से किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं।
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किसानों की मेहनत कितना रंग लाई
किसानों का आरोप है, कि विगत 20 वर्षों से प्रशासन और पंचायत से सिंचाई व्यवस्था की मांग करते आ रहें हैं। बावजूद इसके उन्हें सिंचाई व्यवस्था अब तक मुहैय्या नहीं हो पाई हैं। वर्तमान में यहां के किसानों ने शासन के सिस्टम को ठेंगा दिखाते हुए खूद ही अद्भुत कदम की हैं। ग्रामीणों ने चन्दा एकत्रित कर तकरीबन 15 लाख रुपये की बजट से पाईप लाईन विस्तार की शुरुआत कर दी है। ग्रामीणों का कहना है, कि जोंक नदी से होकर गुजर रही नहर में ही 15 हार्श पावर की मोटर स्थापित की जाएगी, जिनसे ही 750 एकड़ कृषि भूमि को पानी मिलेगा और
खेतों की सिंचाई होगी।
इस संबंध में पंचायत का रवैया भी काफी उदासीन दिखाई दे रहा है
साथ ही, किसानों ने पंचायत के जनप्रतिनिधि के रवैये को उदासीन कहते हुए कहा है, कि पंचायत की तरफ से सिंचाई के लिए कुछ मदद करने की भी बात कही गई थी। परंतु अब तक उनसे किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है। अंततः कहीं भी किसी ओर से उन्हें सिंचाई की व्यवस्था नहीं मिलने की स्थिति में बड़ा कदम उठाते हुए खुद ही ग्रामीणों ने चंदा का पैसा इकठ्ठा किया हैं और पाइपलाइन का विस्तार किया हैं। बहरहाल ऐसी स्थिति में ग्रामीणों द्वारा स्वयं के खर्चों से पाइपलाइन का विस्तार करना शासन के सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर रहा है।