भारत के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने किया था। यह विश्वविद्यालय अब उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में मौजूद है। भारत को कृषि प्रधान देश के नाम से जाना जाता है। भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करती है। कृषि क्षेत्र की बढ़ोतरी के साथ प्रशिक्षित कर्मचारियों की मांग भी निरंतर बढ़ रही है। छात्र-छात्राएं कृषि में डिग्री हांसिल करने में दिलचस्पी रख रहे हैं। वर्तमान दौर में देश भर में विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। परंतु, क्या आपको देश के पहले कृषि विश्वविद्यालय के विषय में जानकारी है।
बहुत सारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है। इसको "पंतनगर विश्वविद्यालय" और "पंत विश्वविद्यालय" भी कहा जाता है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 17 नवंबर 1960 को इसका उद्घाटन किया था। तब इसको उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय कहा जाता था। वर्ष 1972 में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को महान स्वतन्त्रता सेनानी गोविन्द बल्लभ पंत के नाम पर गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कर दिया गया। ये विश्वविद्यालय उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के पंतनगर कस्बे में स्थित है। भारत में इस विश्वविद्यालय को हरित क्रांति का अग्रदूत माना जाता है।
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आज के वक्त में कृषि क्षेत्र में बहुत सारे अवसर हैं। एग्रीकल्चर में डिप्लोमा, डिग्री, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स करने के पश्चात छात्र कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी, उत्पादन प्रबंधक, फार्म प्रबंधक इत्यादि बन सकते हैं।
कृषि में डिग्री अथवा डिप्लोमा धारकों को कृषि विभाग, कृषि अनुसंधान संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय इत्यादि में सरकारी नौकरी मिलती है। कृषि क्षेत्र के अंदर काम करने वाले लोगों में कृषि अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक और कृषि विस्तार अधिकारी शम्मिलित हैं।
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