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फसल

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की चना की नयी किस्म पूसा चना 4037 अश्विनी

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की चना की नयी किस्म पूसा चना 4037 अश्विनी

किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से कृषि विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान लगातार अधिक उत्पादन देने वाली फसलों की नई किस्मों का विकास कर रहे हैं। इसी दिशा में, ICAR-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा, नई दिल्ली ने चने की एक नई उन्नत किस्म पूसा चना 4037 अश्विनी विकसित की है। इस किस्म की विशेषता यह है कि यह लगभग 36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने की क्षमता रखती है। इस किस्म का नामकरण IARI की प्रतिभाशाली छात्रा एवं वैज्ञानिक डॉ. अश्विनी के सम्मान में किया गया है, जिनका हाल ही में तेलंगाना-आंध्र प्रदेश में आई बाढ़ में दुखद...
भिंडी के रोग - रोगों के नाम, लक्षण और नियंत्रण के उपाय

भिंडी के रोग - रोगों के नाम, लक्षण और नियंत्रण के उपाय

भिंडी की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। मुख्य रूप से इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है। इस फसल की अच्छी पैदावार के लिए उपजाऊ मिट्टी, उपयुक्त मौसम और अनुकूल प्राकृतिक परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं। भिंडी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है।भिंडी की बुवाई आमतौर पर मार्च से जून के बीच होती है और फसल जुलाई से सितंबर तक पककर तैयार हो जाती है।भिंडी की खेती में प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण उपाय 1. डैम्पिंग ऑफ (Damping Off)यह रोग बीज बोने के...
सदाबहार की खेती कैसे होती है और इसका क्या महत्व है

सदाबहार की खेती कैसे होती है और इसका क्या महत्व है

सदाबहार एक बहुवर्षीय (बार-बार फलने वाला) सजावटी औषधीय पौधा है, जो भारतभर में परती भूमि और रेतीली जगहों पर पाया जाता है। सदाबहार की जड़ो में इंडोल एल्कलॉइड्स — रॉबसिन (अजमालिसिन) और सर्पेंटिन होते है जो की इसे एक औषधीय पौधा बनाते है, इसकी खेती भारत में कई स्थानों पर की जाती है, इस लेख में हम आपको सदाबहार के गुणों और इसकी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।सदाबहार में पाए जाने वाले एल्कलॉइड्ससदाबहार में एंटी-फाइब्रिलिक और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। इसके पत्तों में विनब्लास्टिन और विनक्रिस्टिन नामक दो महत्वपूर्ण एल्कलॉइड्स पाए जाते हैं,...
भारत में सबसे अधिक चाय की खेती कहाँ होती है?

भारत में सबसे अधिक चाय की खेती कहाँ होती है?

भारत विश्व के सबसे बड़े चाय उत्पादक और उपभोक्ता देशों में से एक है। यहाँ चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आजीविका का अहम हिस्सा है। चाय उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और लाखों लोगों के लिए रोजगार का स्रोत भी है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चाय उद्योग महिलाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराता है। भारत की चाय पहली बार 19वीं सदी में वैश्विक बाजार में पहुंची और तब से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अनूठी गुणवत्ता और स्वाद के लिए जानी जाती है।चाय उत्पादन को प्रभावित करने वाले मुख्य...
मूंग की उन्नत किस्मों के बीज अब किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध

मूंग की उन्नत किस्मों के बीज अब किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध

फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को उन्नत तकनीक से जोड़ने के उद्देश्य से देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय लगातार नई-नई उन्नत किस्मों का विकास कर रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने मूंग की दो उन्नत किस्मों MH 1762और MH 1772 को बढ़ावा देने हेतु राजस्थान की स्टार एग्रो सीड्स कंपनी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस करार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन उन्नत किस्मों का बीज अधिक से अधिक किसानों तक विश्वसनीय रूप से पहुंचे, जिससे उनकी पैदावार में सुधार हो और उन्हें आर्थिक लाभ मिल...
चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का पौधा, जिसे अंग्रेज़ी में Plumeria कहा जाता है, एक सुंदर और सुगंधित पुष्प वाला वृक्ष है, जो अपनी मनमोहक महक और बहुपयोगी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। चंपा न केवल अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है, बल्कि इसका धार्मिक, औषधीय और सजावटी महत्व भी अत्यधिक है। यह फूल विशेष रूप से बरसात के मौसम में अधिक खिलते हैं और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाए जा सकते हैं।चंपा का पौधाचंपा एक छोटा या मध्यम आकार का पर्णपाती वृक्ष होता है। इसकी पत्तियाँ आमतौर पर चमकदार हरे रंग की होती हैं और आकार में 8 से...