हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की लगभग एक तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। भारत में अनेक प्रकार की फसलें बोई जाती हैं। प्रत्येक फसल के बोने व काटने का समय अलग अलग होता है।
इसी प्रकार धान की भी फसल है जो एक प्रकार की खरीफ की फसल है। यह हमारे देश को लोगों का एक प्रमुख खाद्यान्न है। इसके अलावा मक्का के बाद जो फसल सबसे ज्यादा बोई जाती है वो धान है।
अगर इसकी खेती में पर्याप्त सावधानी बरती जाए तो इससे किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकता है। धान की खेती की संपूर्ण जानकारी ।
इसके कारण चुना गया बीज महंगा नहीं बल्कि वहां की जलवायु के अनुरूप होना चाहिए। हम जानते हैं कि धान की खेती हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। विभिन्न हिस्सों की।
जलवायु भी भिन्न भिन्न होती है इसके लिए किसानों को वहां की जलवायु के हिसाब से उन्नत बीजों का चयन करना चाहिए।
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धान की फसल में मुख्य रुप से ध्यान रखने योग्य बात बीज का शोधन है इसमें किसान कई महंगे बीजों को खरीद कर फसल में अच्छी लागत नहीं पा पाते। इसके लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीच के साथ बीजों का उपचार भी करना चाहिए।
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बीज उपचार करने के लिए हमें एक घोल तैयार करना होता है। इस घोल को तैयार करने के लिए एक बर्तन में 10 लीटर पानी लेते हैं और उसमें लगभग 1.5 किलो नमक मिलाते हैं अब इस पानी ने एक आलू या फिर एक अंडा डालते हैं
अगर आलू घील पर तैरने लगे तो समझ जाओ कि हमारा होल तैयार हो गया है और अगर आलू या अंडा घोल पर नहीं तैरता है तो पानी में उस समय तक नमक मिलाते रहें जब तक कि आलू घोल तैरने ना लगे।
अब इस घोल में धीरे-धीरे करके धान के बीज डालते हैं जो भी इस घोल के ऊपर तैरने लगते हैं बेबीज कम गुणवत्ता के होते हैं उन्हें निकाल कर बाहर फेंक देना चाहिए और जो भी बोल में डूब जाते हैं वह बीज बुवाई के योग्य होते हैं।
इस गोल के माध्यम से हम धान के बीजों का शोधन तीन से चार बार तक कर सकते हैं। बीजों का शोधन करने के बाद प्राप्त बीजों को तीन से चार बार पानी में अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
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सबसे पहले किसान पौधों को नर्सरी में तैयार करें इसके बाद उसे जड़ से उखाड़ कर खेत में ले जाकर उसकी रोपाई करें रोपाई में पौधों की बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए। एक जगह पर एक से दो पौधों की ही रोपाई की जाए।
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जिस खेत में पानी ना भरता हो उस खेत में धान की रोपाई श्रीविधि से करें। इस विधि में खेत में पानी ना भरने दें इसमें खेत की समय-समय पर सिंचाई करते रहें इस विधि में सिंचाई करने के लिए गेहूं के जैसे ही सिंचाई करें। और धान का प्रबंधन सभी धान की तरह करें।