Published on: 14-Mar-2023
पशुओं की दूध की क्षमता बढ़ाने के लिए किसान एवं पशुपालक काफी प्रयासरत रहते हैं। इसी विषय से संबंधित हम आज आपको बताने जा रहे हैं, नेपियर घास के बारे में। इस घास को पशुओं को खिलाते ही पशुओं में दूध देने की क्षमता 10 से 15 फीसद तक बढ़ जाती है। इस परिस्थिति में पशुपालक अत्यधिक दूध विक्रय कर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर 75 फीसद जनसँख्या आज तक भी गांव में ही रहती है, जो कि खेती एवं पशुपालन से संबंधित हुई है। इसका जीवन यापन भी कृषि एवं पशुपालन के माध्यम से ही चलता है। साथ ही, बहुत सारे किसान गांव में ऐसे भी मौजूद होते हैं, जो पूर्णतय भूमिहीन होते हैं। ऐसी स्थिति में वह पशुपालन करके स्वयं के घर का खर्च चलाते हैं। इसके लिए वह दूध सहित मक्खन एवं घी विक्रय करते हैं, जिससे उनको मोटी आय होती है।
विशेष बात यह है, कि पशुपालन से संबंधित बेहतरीन आय तभी की जा सकती है, जब उनके पशु ज्यादा दूध दें। इसके लिए पशुओं से अधिक दूध निकालने हेतु उन्हें बेहतरीन एवं पौष्टिक आहार भी देना आवश्यक होगा। ऐसी स्थिति में हरी- हरी घासें पशुओं की सेहत और दूध वृद्धि में कारगार भूमिका निभाएंगी। आपको बतादें कि, हरी- हरी घास का सेवन करने से पशुओं की दूध देने की क्षमता में बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस वजह से बरसीम, जिरका, गिनी एवं पैरा जैसी घास पशुओं को खिलाना उत्तम रहता है। हालाँकि, इन समस्त घासों में नेपियर घास सर्वाधिक अच्छी मानी जाती है।
निरंतर पांच वर्ष तक घास की कटाई कर सकते हैं
जानकारों के अनुसार, नेपियर घास की खेती हर प्रकार की मृदा में की जा सकती है। इस वजह से अत्यधिक परिश्रम करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। विशेष बात यह है, कि इसकी सिंचाई भी काफी कम करनी पड़ती है। इस वजह से इसकी लागत में काफी कमी आती है। नेपियर की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि इसकी एक बार रोपाई के उपरांत आप पांच वर्ष तक हरा चारा काट सकते हैं। इसकी प्रथम कटाई खेती शुरू करने के 65 दिन उपरांत की जाती है। इसके उपरांत आप 35- 40 दिनों के समयांतराल पर निरंतर पांच वर्ष तक कटाई की जा सकती है।
यह भी पढ़ें: जाने कैसे लेमन ग्रास की खेती करते हुए किसानों की बंजर जमीन और आमदनी दोनों में आ गई है हरियाली
किसान दूध विक्रय से बेहतर आय अर्जित कर सकते हैं
आपको बतादें कि नेपियर घास को हम बंजर भूमि पर भी उगा सकते हैं। साथ ही, किसान खेत की मेढ़ पर भी इसको रोप सकते हैं। जानकारी के लिए बतादें कि नेपियर की रोपाई फरवरी से जुलाई माह के मध्य की जाती है। इसके खेत में जल निकासी हेतु बेहतरीन सुविधा होनी आवश्यक है । मीडिया खबरों के अनुसार, इस घास में 10 फीसद तक प्रोटीन रहता है। साथ ही, रेशा 30 प्रतिशत, जबकि कैल्सियम 0.5 फीसद होता है। इसको दलहन के चारे सहित मिश्रण कर पशुओं को खिलाना चाहिए। इसके सेवन से पशुओं में दूध देने की क्षमता 10 से 15 फीसद तक वृद्धि हो जाती है। ऐसी स्थिति में पशुपालक अधिक दूध विक्रय कर बेहतरीन आय अर्जित कर सकते हैं।