प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते वर्ष में शुरू की गई स्वामित्व योजना यानी घरौनी का अब यूपी में भी हल्ला हो रहा है। इसे लेकर लोगों में तो तरह-तरह के संशय हैं ही सरकारी कर्मी भी परेशान हैं। आबादी एवं ऐसे पोखर या तालाब जिन्हें राजस्व अभिलेखों में दशकों तक दर्ज नहीं किया गया है। वह भी लोगों के स्वामित्व में आ जाएंगे। इस श्रेणी के लोग बेसब्री से स्वामित्व योजना का कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैैं। क्या है स्वामित्व योजना सरकार इस योजना के माध्यम से उन लोगों को मकान एवं जमीनों का मालिकाना हक देने पर काम कर रही है जिनके पास अभी तक कोई अभिलेख अपनी पैतृक जमीनों का नहीं है। इसकी वजह यह है कि पुस्तैनी जमीनों का रिकार्ड न होने के कारण अनेक तरह के विवाद बने रहते हैं। इसके अलावा कीमतों जमीनों पर भी बिना रिकार्ड के बैंकों से कर्जा नहीं मिल पाता। पंचायती राज मंत्रालय के अधीन संचालित इस योजना का शुभारंभ प्र्रधानमंत्री नरेन्द्र मेादी द्वारा 24 अप्रैल 2020 को किया गया। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए जमीन की मैपिंग एवं कई राज्यों में कंटीन्यूअस ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशनों का जाल बिछाया जाना है। इस काम को 2022 तक पूरा किया जाएगा। योजना में 5.41 लाख गांवों को शामिल किया जाना है। चालू वर्ष के लिए इस योजना में 16 राज्यों को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश में सर्वे जारी इस योजना के प्रथम चरण में यूपी के हर जनपद से 20-20 गांवों कोे शामिल किया गया है। इस काम के लिए प्रदेश से सभी जिलों में सर्वे का काम शुरू हो गया है। मकानों की छतों पर मार्किंग की जा रही है।इस योजना के अन्तर्गत लोगों को स्वामित्व के कार्ड प्रदान किए जाएंगे। ड्रोन के माध्यम से भी सर्वे किया जाएगा। किस तरह होगा सर्वे [caption id="attachment_4116" align="alignnone" width="2560"] Source: Amarujala[/caption] स्वामित्व योजना का सर्वे करने में कई चरण होंगे। इसके अन्तर्गत ड्रोन, मकानों पर मार्किंग, गांव, गली व मुहल्लों का सर्वे आदि सभी काम होंगे ताकि हर व्यक्ति को इसकी जानकारी हो एवं गलत स्वामित्व दर्ज न हो जाए। आधार कार्ड से मिलान भी किया जाएगा। इस प्रक्रिया में घरों की टैगिंग एवं उनका क्षेत्रफल भी दर्ज किया जाएगा। आपत्ति दर्ज करने का क्या है तरीका स्वामित्व योजना में कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं कि जो लोग गावं में नहीं रहते हैं और जिनके घरों पर ताले लगे हैं उनकी जमीन का स्वामित्व कोई और न करा ले। इससे बचने के लिए भी सर्वे की सूचना पूर्व में दी जाती है। सर्वे के दौरान ग्राम पंचायत सचिव, पुलिस एवं स्थानीय लोग मौजूद रहते हैं। इसके बाद भी कमसे कम 15 व अधिकतम 40 दिन तक आपत्ति दर्ज कराने का समय नियत किया गया है। सरकारी जमीनें का भी मिलेगा मालिकाना हक कई इलाकों में यह देखने को मिल रहा है कि प्रभावशाली लोगों द्वारा आबादी की जमीनें कब्जा ली गई हैं। इन जमीनों का मालिकाना हक पाने के लिए सर्वे का काम भी पूरा कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि कुछ जमीनें इस तरह की भी हैं जिनमें पूर्व में प्रशासनिक न्यायालयों द्वारा डिग्री एवं ध्वस्तीकरण तक किए गए हैं लेकिन सर्वे होने और स्वामित्व कायम होने के बाद सारी चीजें सिफर हो जाएंगी। सरकारी की योजना का अधिकांश लोगों को लाभ होगा ही। साथ ही अतिक्रमण कारियों को भी लाभ मिल जाएगा।