Published on: 13-May-2021
भोजन की थाली में मौजूद हानिकारक रसायनों से ज्यादातर लोग अनभिज्ञ रहते हैं। वजह से खरीदी गई चमकीले और सुंदर फल तथा सब्जियां हम खरीदते तो सेहत के लिए हैं लेकिन कई दफा यह हमारी सेहत से खिलवाड़ का कारण भी बनते हैं। फसलों पर कीड़ों के प्रभाव को कम करने के लिए किसान जहरीले रसायनों का प्रयोग करते हैं। उन्हें इस बात का इल्म नहीं होता की वह जिन फलों को सेहत सुधारने के लिए खा रहे हैं, वही सेहत के लिए लड़ने की वजह बन रहे हैं। इन हालात में लोक अनेक तरह की बीमारियों के शिकार होने लगे हैं। यदि हमें अपने आप को इन बीमारियों से बचाना है तो छोटे छोटे प्रयोग अपनाने होंगे। घर के आंगन एवं छत पर सब्जी उगाने के तरीके इसी कडी के दो अंग हैं। बड़े शहरों, कस्बा व गांव में बहुत लोग ऐसे हैं जिनके पास सब्जियां उगाने के लिए जगह नहीं है। ऐसी हालत में मकान की छत, छज्जा व मकान के चारों ओर की खाली जगह में जैविक तरीके से कुछ मात्रा में सब्जियां तैयार की जा सकती हैं। वह एक ऐसी जगह है जहां हवा और धूप सही मात्रा में मिलती है। छत पर सब्जियां गमलों में उगाई जा सकती हैं। जून के महीने में छत पर लौकी, तुरई, टिंडा, करेला, भिंडी, बैंगन, टमाटर, मटर, ग्वारफली, पालक, मूली, गाजर, जैसी सब्जियां उगाई जा सकती हैं। इस तरह से सब्जियों को बोने से घर के लोगों को कुछ काम भी मिलेगा और घर में दो-तीन दिन जैविक तरीके से सब्जियां भी मिल सकेंगी।
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छत पर सब्जी उगाने का तरीका
छत पर सब्जी उगाने के लिए मिट्टी सीमेंट और प्लास्टिक के गमले इस्तेमाल किए जा सकते हैं। गमले में मिट्टी भरने की क्षमता 10 किलोग्राम से लेकर ढाई सौ किलोग्राम तक होनी चाहिए। गमलों की गहराई फसल के अनुसार 1 से ढाई सौ तक होनी चाहिए। सब्जी के लिए सीमेंट की नालियों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। नालियों के नीचे थोड़ी थोड़ी दूरी पर पानी निकासी के छेद होने चाहिए। भारी गमलों को दीवार के ऊपर रखना चाहिए और बेल वाली सब्जियों के गमले दीवार के पास नीचे रखने चाहिए। मध्यम में छोटे आकार के गमले छत के पीछे छज्जे पर रखे जा सकते हैं ।अधिक धूप चाहने वाली सब्जियों को छत के दक्षिण दिशा और छाया वाले पौधों को उत्तर दिशा में लगाना चाहिए । सब्जी की नालियां भी दीवार के सहारे घर के दरवाजे और पिछवाड़े की तरफ बनाई जा सकती हैं।
गमलों को भरना
सब्जियों को गमलों में उगाने के लिए पहली प्राथमिकता अच्छी मिट्टी की होती है। उपजाऊ मिट्टी, बालू, वर्मी कंपोस्ट, सड़ी हुई गोबर की खाद, समान मात्रा में गमलों में भरनी चाहिए। गमले की तली में पानी निकलने के लिए बने सुराख के ऊपर कोई पुराना बर्तन का टुकड़ा रखते हैं ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए मिट्टी और बालू रुकी रहे। गमलों में बीज लगाने के बाद अंकुरण के लिए हल्की नमी बनाए रखनी चाहिए। पौध लगाने के बाद हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए
सिंचाई
गमलों में किसी भी तरह के पौधों को लगाने के लिए और उनकी अच्छी बढ़वार के लिए अच्छे पानी की बेहद आवश्यकता रहती है। चतुर घर के आंगन में फुलवारी और सब्जियों की खेती करने वाले लोग यदि बरसात के सीजन में बेकार जाने वाले बरसाती पानी को घर के अंदर किसी टैंक में सुरक्षित करना है तो वह पूरे साल के लिए उनके किचन गार्डन की संजीवनी का काम करेगा। पौधों में साबुन और सर्फ वाले पानी का प्रयोग कतई नहीं करना चाहिए।
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पौधों की रक्षा
गमलों में लगाई सब्जियों में कई तरह के
कीट व बीमारियां नुकसान पहुंचाते हैं। उनका सही समय पर उपचार करना जरूरी है। गमलों को इस्तेमाल में लेने से पहले उन्हें उपचारित करना चाहिए। बस 15 दिन की अंतर पर सब्जियों के पौधों व पेड़ों पर नीम की पत्तियों का रस व गाय के पेशाब का छिड़काव करना चाहिए। पत्तियों में फूलों का रस चूसने वाले कीड़ों से बचने के लिए तंबाकू या नीम की खली का अर्क बनाकर छिड़काव करना चाहिए। यदि कीटों का असर ज्यादा होने लगे तो नींद वाली दवाओं का 7 से 10 दिन के अंतर पर दो-तीन बार छिड़काव करना चाहिए। जड़ गलन व फोटो भी से लगने वाली बीमारियों से बचने के लिए गमले में 5 से 10 ग्राम ट्राइकोडरमा का इस्तेमाल करना चाहिए। बीमारी से ग्रसित पौधों को उखाड़ कर फेंक देना चाहिए। गिलहरी जैसे जीवो से पौधों को बचाने के लिए नायलॉन की जाली से पौधों को सुरक्षित रखना चाहिए। गमलों में लगी सब्जियों को समय-समय पर तोड़ते रहना चाहिए। ऐसा न करने पर उनका उत्पादन प्रभावित होता है। गमलों में हो गई सब्जी कच्ची और ताजी स्थिति में ही उपयोग में ली जानी चाहिए।