पंजाब के इस किसान ने अपने घर की परंपरागत खेती छोड़कर खरबूज की खेती करना शुरू किया है। आज वह लोगों के लिए एक नजीर बन चुके हैं।
पंजाब के मानसा जनपद के रहने वाले एस. कुलविंदर सिंह ने अपनी बीए की पढाई समाप्त करने के उपरांत खेती करने के बारे में सोचा। उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़ खरबूजे की खेती चालू की और आज उनका खरबूजे का व्यवसाय एक बड़े पैमाने पर पहुंच गया है।
इसके पश्चात उन्होंने खरबूजे की खेती आरंभ की। खरबूज की खेती के संबंध में बहुत सारी तकनीकी जानकारियां वह कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों के जरिए से लिया करते थे।
इस फसल में कभी पीला धब्बा रोग तो कभी फल मक्खी का आकस्मिक आक्रमण हो जाता था। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद भी खरबूजे की खेती से उनको पारंपरिक फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिला।
इस वजह से उन्होंने खरबूजे की खेती को सुचारू रखने का सोचा। प्रथम बार के कड़वे अनुभव के उपरांत उनको दूसरी बार बेहद अच्छी सफलता अर्जित हई।
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सके चलते उन्होंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा निर्मित पीएयू फल मक्खी जाल का उपयोग किया और पीले धब्बे की बीमारी को नियंत्रण के लिए प्रचंड सिंचाई से दूरी बनाई।
वह वक्त-वक्त पर अपनी उपज को बेहतर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों से सलाह भी लेते रहते हैं।
खरबूजे की खेती का रकबा अच्छा होने की वजह से व्यापारी सीधे उनके खेतों से फसल की खरीदारी करने लगे और सभी कृषकों को आमदनी भी अच्छी होने लगी।
कुलविंदर के मुताबिक, आज वह खरबूजे की खेती से प्रति एकड़ 80 से 90 हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं।