विदेशों में बढ़ी देसी केले की मांग, 327 करोड़ रुपए का केला हुआ निर्यात

Published on: 02-Nov-2022

भारतीय केले की मांग विदेशों में खूब बढ़ रही है, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड) के मुताबिक पिछले 9 सालों में केले के निर्यात में 541% की वृद्धि के साथ-साथ ₹327 करोड़ रुपए का केला निर्यात किया गया है। भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है, यहां खेती के प्रति किसान हमेशा से जागरूक रहते हैं। जिस तरह कृषि के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ते हुए विदेशी बाजारों में भी अपना परचम लहरा रहा है, इससे साफ जाहिर होता है कि आने वाले समय में भारत कृषि के क्षेत्र में विश्व पटल पर अपना परचम लहराएगा। भारत दुनिया के कुल उत्पादन का 10% फलों का प्रोडक्शन ले रहा है। यहां जिस तरह से ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती की जा रही है और उसे देश विदेश में निर्यात किया जा रहा है, इससे किसानों को बंपर फायदा और विश्व पटल पर भारत का नाम कृषि के क्षेत्र में जोर शोर से हो रहा है। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के मुताबिक पिछले 9 वर्षों में केले के निर्यात में 541% की वृद्धि दर्ज की गई है जो कि अचंभित करने वाला आंकड़ा है। किसान केले की खेती, नई तकनीक के साथ बड़ी जोर-शोर से कर रहे हैं और बंपर मुनाफा भी कमा रहे हैं। केला उत्पादन करने वाले किसानों के लिए यह एक अच्छा संकेत भी है कि उन्हें केले के उत्पादन पर अच्छा-खासा मुनाफा हासिल हो रहा है। केला का स्वस्थ और बेहतर उत्पादन करने के लिए टिशु कल्चर टेक्निक, वैज्ञानिक और जैविक विधि पर किसान काफी जोर दे रहे हैं और साथ ही राज्य और केंद्र की सरकार भी नई तकनीकों के साथ केले की खेती करने के लिए किसानों को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2013 में अप्रैल से जुलाई तक 51 करोड़ का केला निर्यात हुआ था। नई तकनीक और बेहतर नीतियों के साथ उन्नत किस्म के केले के उत्पादन से पिछले 9 सालों में निर्यात 541% बढ़ा है। 2022 में अप्रैल से जुलाई तक के आंकड़े की बात करें तो भारत ने करीब 327 करोड़ का केला निर्यात किया है।

इन राज्यों का है अहम रोल

अगर मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो दुनिया के कुल केला उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% की है। केला उत्पादन में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार राज्यों का अहम रोल है। भारत में केले के कुल उपज का 70% सिर्फ इन्हीं राज्यों के द्वारा उत्पादन होता है। उन्नत किस्म के पैदावार को बढ़ावा देने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद और निर्यात और विकास प्राधिकरण (APEDA) ने भी किसानों का खूब सहयोग किया है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की बात हो, क्वालिटी डेवलपमेंट की बात हो या फिर मार्केट डेवलपमेंट की बात हो इसमें इनका भी अहम रोल है।

बढ़ते निर्यात के साथ कीमत में भी खूब हुई बढ़ोतरी

पिछले 9 सालों में केले के निर्यात में ग्रोथ के साथ-साथ कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी देखी गई है, केले का उत्पादन करके किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं। बात कुछ आंकड़ों की कर लें तो, साल 2018-19 में भारत देश से 1.34 लाख मीट्रिक टन केला का विदेशों में निर्यात हुआ था, जिसकी कीमत 413 करोड़ रुपए दर्ज की गई थी। साल 2019-20 में केले का निर्यात 1.95 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचा, जिसकी कीमत लगभग 660 करोड़ रुपए दर्ज की गई, वहीं 2020-21 की 619 करोड़ रुपए मूल्य के केले का निर्यात किया गया था।

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विदेशी बाजारों में जिस तरह से भारतीय केले की डिमांड बढ़ती जा रही है, किसान अब बागवानी फसलों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने के लिए उन्नत किस्म के पैदावार को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसान बढ़िया मुनाफा अर्जित कर रहे हैं और विदेशों में भारत का परचम लहरा रहा है।

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