छत्तीसगढ़ सरकार की गोबर खरीद योजना की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार धान की पराली, सरसों की तूड़ी आदि फसल अवशेषों की खरीद करेगी। अभी इस परियोजना की शुरूआत भर है। इसके ब्यापक इंतजाम और संयंत्रों के बगैर किसानों का भला नहीं होना है लेकिन हर शुरूआत छोटी होती है और छोटी शुरूआत ही कल बड़ी बनेगी।
प्रदेश के बहराइच में पहला कृषि अवशेष संयंत्र लगाया गया है। इस संयंत्र में अवशेषों से बायोकोल उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसका ट्रायल पूरा हो गया है। इस संयंत्र की स्थापना से एक जनपद के किसानों को लाभ मिल सकेगा। गन्ने की पताई, धान की पराली, मक्के के ठूंठ, बाजरा की कड़वी आदि को इस संयंत्र में डेढ़ से दो रुपए प्रति किलोग्राम खरीदा जाएगा। किसानों से अभी तक 10 हजार कुंतल फसल अवशेष खरीदे जा चुके हैं।
संयंत्र के संचालन के लिए प्लांट प्रबंधन को एक हजार टन पैलेट प्रतिदिन की आपूर्ति का आर्डर मिल चुका है। छोटी शुरूआत से बडे़ लक्ष्य की ओर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने, पर्यावरण संरक्षण, पारली अदि की समस्या के किसानों को निजात दिलाने की दिशा में यह एक अच्छी शुरूआत है। इसे और ब्यापक करने की दिशा में कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है।
जीएसटी पर भी मिलेगी छूट
इस तरह के संयंत्र लगाने के लिए प्रदेश सरकार कारोबारियों को एक दशक तक जीएसटी में छूट देगी। सरकार स्टेट जीएसटी के 10 प्रतिशत अंश से राहत के अलावा पूंजीगत लागत पर 25 फीसदी अनुदान दे रही है। अबशेषों से निर्मित ब्रिकेट का प्रयोग ईंट भट्टों में किया जा रहा है। इसके अलावा कई अन्य प्रयोग हो रहे हैं। बायोमास ब्रिकेट की प्रदेश में करीब ढ़ाईसौ इकाईयां पूर्व से ही संचालित हैं। यहां कचरे से ब्रिकेट बनाने का काम कर रही थीं। नए संयंत्र की स्थापना के बाद आधा दर्जन लोगों ने इस दिशा में रुचि दिखाई है और वह इसकी विधिवत ट्रेनिंग ले रहे हैं।
किसान को कितनी मिलेगी कीमत
किसानों को धान की पराली, गन्ने की खोली, गेहूं अवशेष, मक्का डंठल के डेढ़ रुपए, सरसों की तूड़ी एवं मसूर का भूसा दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। अरह स्टैक की कीमत तीन रुपए मिलेगी।