लहसुन की खेती करके किसानों को कम समय में अधिक पैसा मिल सकता है। लहसुन की फसल से ही किसान आसानी से दस से पंद्रह लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। लेकिन लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जाननी चाहिए। वास्तव में, लहसुन की खेती न तो अधिक गर्म न तो अधिक ठंडा सीजन में की जाती है। कुल मिलाकर, अक्टूबर-नवंबर का महीना लहसुन के लिए सबसे अच्छा है क्योंकि इस महीने में कम ठंड और कम गर्मी है। अगर आप भी लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो आपको को ये भी पता होना जरुरी है कि किन किस्मों की बुवाई करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। यहां हम आपको लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्मों की जानकारी देंगे जो की अधिक पैदावार देती है।
किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बता दी की लहसुन की ये टॉप पांच उन्नत किस्में 140-170 दिनों में तैयार हो जाती हैं, और साथ ही 125-200 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम हैं। बता दें कि लहसुन की इन पांच उन्नत किस्मों का नाम यमुना सफेद-2 (जी-50), टाइप 56-4 किस्म, जी 282 किस्म, सोलन किस्म और एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) है। आइए अब इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते है।
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यमुना सफेद-2 (जी-50)- लहसुन की इस किस्म का कंद काफी ठोस होता है और इसका गूदा क्रीमी रंग का होता है। इस किस्म की उपज 165-170 दिन में मिल सकती है और प्रति हेक्टेयर 130-140 क्विंटल उत्पादन देती है।
टाइप 56-4 किस्म- पंजाब कृषि विश्वविधालय ने हुसन टाइप 56-4 किस्म विकसित की है। इस लहसुन की गांठें छोटी और सफेद होती हैं। इस किस्म में 25 से 34 कलियां हैं। यह प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल की उत्कृष्ट उपज देता है।
जी 282 किस्म- इस किस्म की लहसुन काफी सफेद रंग की होती है, जिसके गांठे बड़े-बड़े होते हैं. 282 किस्मों से किसान प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल उत्पादन कर सकते हैं। खेत में 140 से 145 दिन में यह किस्म पककर तैयार हो जाती है।
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सोलन किस्म - हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने सोलन किस्म का लहसुन बनाया है। इस प्रकार की लहसुन बहुत मोटी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सोलन लहसुन की किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादकता देती है।
एग्रीफाउंड सफेद (जी-41)- इस किस्म की लहसुन के कंद में 20-25 कलिया होती हैं। यह खेत में 160-165 दिन में तैयार होकर बेचने के लिए तैयार हो जाती है। लहसुन की एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) से किसान प्रति हेक्टेयर 125-130 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।