Published on: 03-May-2023
बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों को जमकर नुकसान पहुँचा रही है। हिमाचल प्रदेश में विगत 6-7 दिनोें से हो रही बारिश और ओलावृष्टि की वजह से सेब की फसलों को काफी ज्यादा हानि पहुंची है।
खरीफ की भांति रबी का सीजन भी किसान भाइयों के लिए बेहतर नहीं रहा है। मार्च में हुई बारिश, ओलावृष्टि के चलते गेहूं और सरसों की फसल चौपट हो गई थी। इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी बारिश-ओलावृष्टि से फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं। वर्तमान में ऐसे ही खराब मौसम की वजह से सेब के बर्बाद होने की बात सामने आ रही हैं। सेब को महंगी एवं पहाड़ी राज्यों की विशेष फसल मानी जाती है। ऐसी स्थिति में इस फसल के क्षतिग्रस्त होने के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई हैं। किसान भाई काफी परेशान हैं, कि उसके नुकसान की भरपाई किस प्रकार की जाए।
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इस राज्य में ओलावृष्टि से हुआ नुकसान
मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हानि हो रही है। कुल्लू की लग घाटी, खराहल घाटी और जनपद के ऊपरी क्षेत्रों में फसलों को बेहद हानि हुई है। बहुत से स्थानों पर काफी बड़ी संख्या में कच्चे सेब ही पेड़ से नीचे गिर चुके हैं। यहां तक कि उनकी टहनियां तक भी टूट गई हैं।
फसल में 80% प्रतिशत तक हानि की आशंका
लगातार बारिश, अंधड़ एवं ओलावृष्टि का प्रभाव सीधे सीधे फसलों व फलों पर देखने को मिल रहा है। जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के माध्यम से नुकसान हुई फसल का सर्वेक्षण करना चालू कर दिया गया है। इसी कड़ी में स्थानीय किसानों ने बताया है, कि बारिश 6 से 7 दिन से निरंतर हो रही है। ऐसी हालत में 50 से 80 प्रतिशत तक हानि होने की संभावना है।
राज्य में बढ़ती ठंड और बारिश से हजारों की संख्या में किसान बर्बाद
सेब की अब फ्लावरिंग हो रही है। इस घड़ी में हुई बारिश और बढ़ी ठंड की वजह से सेब के फूलों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। फलदार पौधे, मटर,नाशपाती, प्लम सहित बाकी सब्जियों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। खबरों के मुताबिक, घाटी में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में बागवानी हो रही है। जिससे लगभग 75 हजार परिवार प्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़े हैं। अब ऐसी हालत में इन परिवारों को भारी नुकसान हुआ है।