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देवघर की बीणा ने कहा ड्रोन दीदी बनकर पूरा हुआ उनका लखपति बनने का सपना

Published on: 09-Jul-2024
Updated on: 19-Jul-2024

झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं ड्रोन दीदी बनकर अपने सपनों में नई उड़ान भर रही है। इसके जरिए ना सिर्फ वो राज्य के कृषि की तस्वीर बदल रही है बल्कि आर्थिक तौर पर सशक्त बनकर घर और समाज में अपना अलग और खास स्थान बना रही है। 

झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत पालाजोरी प्रखंडी की पहली ड्रोन दीदी बीणा कुमारी भी उन्हीं दीदियों में से एक है जो ड्रोन के जरिए अपने जीवन को और बेहतर बनाने के साथ कृषि और किसानों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है। 

बीणा कुमारी बतातीं है कि अभी ड्रोन चलाने में वो एक्सपर्ट नहीं हुई हैं इसलिए घर के खेतों में छिड़काव करके अच्छे से सीख रही हैं, इसके बाद दूसरे किसानों के खेत में छिड़काव करने का कार्य शुरू करेंगे।

पोखरिया गांव के किसान भी खुश हैं कि उनके खेत में कीटनाशक और दवाओं का छिड़काव नहीं करना पड़ेगा। ध्यान दें कि देवघर का पालाजोरी खेती के लिए प्रसिद्ध है। 

25 पंचायतें जमकर खेती करती हैं। वर्तमान में, प्रखंड के एफपीओ पालाजोरी फार्मस प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड में 600 किसान शामिल हैं।

अब इन किसानों के खेतों में छिड़काव करने में कोई समस्या नहीं होगी। बीणा कुमारी अभी ड्रोन चलाने में पूरी तरह से परिपक्व नहीं हुई है।

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इंटरव्यू के जरिए किया गया चयन

बीणा कुमारी ने ग्रामीण विकास में मास्टर डिग्री हासिल की थी, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली, इसलिए वह स्वयं सहायता समूह में शामिल हो गई। 

ड्रोन दीदी के चयन पर चर्चा करते हुए बीणा कुमारी ने बताया कि उनके साथ तीन और महिलाओं को जेएलएपलीएस कार्यालय देवघर बुलाया गया था। जहां वे इंटरव्यू के बाद चुनी गई। 

चयनित लोगों को ट्रेनिंग के लिए पूसा समस्तीपुर भेजा गया। फिर तीन दिनों की ट्रेनिंग रांची में हुई। इसके बाद मोतीहारी में शिक्षा ली गई। जनवरी 2024 में बीणा कुमारी एक ड्रोन दीदी बन गई। 

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ड्रोन के इस्तेमाल के फायदे 

पालाजोरी फार्मस प्रोड्यूसर कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर काम करने वाली बीणा कुमारी कहती है कि उनके क्षेत्र की कृषि में ड्रोन की मदद से बदलाव आ सकता है। 

क्योंकि ड्रोन का उपयोग पानी, समय और कीटनाशक बचाता है। एक एकड़ में छिड़काव 7 से 8 मिनट लगता है। 

ड्रोन का उपयोग करने का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि यह खेत में छिड़काव करने में सरल और प्रभावी होता है। इसमें दवा या कीटनाशक बर्बाद नहीं होते। बूंदे छोटी होने के कारण पत्तियों पर चिपक जाती हैं, जिससे अधिक पौधों को लाभ मिलता है।

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