Published on: 12-Mar-2025
आजकल की गहन कृषि प्रणाली में मिट्टी की पोषक तत्वों की कमी तेजी से बढ़ रही है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस समस्या को हल करने के लिए मृदा परीक्षण आवश्यक है, जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा का निर्धारण कर उचित पोषक तत्व प्रबंधन किया जा सकता है।
मृदा परीक्षण से मिट्टी के विकारों की पहचान और उनके सुधार के उपाय भी संभव होते हैं।
मृदा परीक्षण के मुख्य उद्देश्य
- मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच करना।
- फसल विशेष के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा का पता लगाना।
- खाद और उर्वरकों के सही उपयोग का मार्गदर्शन करना।
- मिट्टी में अम्लीयता, लवणीयता, क्षारीयता, प्रदूषण आदि समस्याओं का समाधान देना।
- भूमि की उर्वरा शक्ति के मानचित्र तैयार करना और उसके आधार पर उचित सुधार के सुझाव देना।
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मृदा परीक्षण के लिए नमूने लेने की सही विधि
- खेत का सर्वेक्षण: खेत को उसके ढलान, आकार और मिट्टी की स्थिति के अनुसार भागों में विभाजित करें।
- निशान लगाना: खेत में 12-15 अलग-अलग स्थानों से नमूना लें। यदि खेत समान प्रकार का है, तो ढ़ाई एकड़ क्षेत्र का एक नमूना पर्याप्त होगा।
- औजार: ट्यूब अगर, बर्मा टाइप अगर, पोस्ट होल अगर, कस्सी, फावड़ा या खुरपी का उपयोग करें।
मृदा नमूना लेने की गहराई
- अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, कपास, चारा, सब्जियों और मौसमी फूलों के लिए 0-15 सेमी गहराई से नमूना लें।
- बागवानी फसलों के लिए 0-30 सेमी, 30-60 सेमी और 60-90 सेमी गहराई से नमूने एकत्र करें।
मृदा नमूना तैयार करने की प्रक्रिया
- एकत्र किए गए नमूनों को साफ पॉलिथीन शीट पर रखकर अच्छी तरह मिलाएं।
- मिट्टी को समान रूप से फैलाकर चार भागों में विभाजित करें और आमने-सामने के दो हिस्सों को मिलाकर फिर से विभाजित करें।
- इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक कि लगभग 500 ग्राम मिट्टी न बच जाए।
- यदि मिट्टी गीली हो तो इसे छांव में सुखाकर साफ थैली में भरें।
- नमूने पर किसान का नाम, पता, खेत का नंबर, नमूना संख्या, फसल का नाम, उर्वरक व खाद की मात्रा जैसी जानकारी लिखकर नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।
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मृदा नमूना लेते समय सावधानियाँ
- नमूना खेत का सटीक प्रतिनिधि होना चाहिए।
- खाद के ढेर, पेड़, मेढ़, सिंचाई की नाली व रास्तों से लगभग दो मीटर की दूरी पर ही नमूना लें।
- मृदा नमूने को खाद, उर्वरक या कीटनाशकों के संपर्क में न आने दें।
- हाल ही में खाद, जिप्सम, चूना या भूमि सुधारक डालने वाले खेत से नमूना न लें।
मृदा परीक्षण का सही समय
फसल की बुवाई या रोपाई के 30-35 दिन पहले मिट्टी का नमूना लेकर परीक्षण कराएं।
यदि आवश्यक हो तो फसल के बढ़ते समय में भी कतारों के बीच से नमूना लेकर परीक्षण करवाया जा सकता है ताकि पोषक तत्वों का उचित प्रबंधन किया जा सके।