करी पत्ते भारत की हर रसोई में इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला हैं। इसकी मसाला और औषधीय दोनों फसलों के रूप में खेती की जाती है। इसके पत्ते का इस्तेमाल कई चीजों में किया जाता हैं।
इसमें औषधीय गुण होने के कारण बाजार में इसकी मांग बहुत बढ़ रही हैं इसका पाउडर बनाकर भी बेचा जाता हैं। इसका इतना अधिक दाम होने से किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकता हैं।
करी पत्ता का इस्तेमाल मसाला ही नहीं बल्कि इसके औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके कुछ मुख्य औषधीय गुण निम्नलिखित हैं:
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अच्छी जल निकासी वाली लाल बलुई दोमट मिट्टी बेहतर पत्ती उपज के लिए आदर्श होती है। इष्टतम तापमान की आवश्यकता 26° से 37°C है।
अच्छी जुताई पाने के लिए खेत की 3-4 बार जुताई की जाती है। आखिरी जुताई से पहले अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन/हेक्टेयर की दर से डाली जाती है।
रोपण से एक से दो महीने पहले 1.2 से 1.5 मीटर की दूरी पर 30x30x30 से.मी. आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं।
जुलाई से अगस्त तक करी पत्ते के फल उपलब्ध होते हैं। फलों की कटाई के तीन से चार दिन बाद, बीजों को गूदा निकालकर पॉली बैग या नर्सरी बेड में बो देना चाहिए।
रोपण के लिए एक वर्ष पुराने पौधे उपयुक्त हैं। गड्ढे में एक पौधा लगाया जाता है।
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रोपण के तुरंत बाद गड्ढों की सिंचाई कर दी जाती है। तीसरे दिन दूसरी सिंचाई दी जाती है और फिर सप्ताह में एक बार सिंचाई की जाती है।