सहजन की फलियां बेहद गुुणकारी होती हैं। इसकी पत्तियों का उपयोग भी दर्जनों बीमारियों में हाता है। इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसे विभिन्न क्षेत्रों में सहजन, सुजना, सेंंजन और मुनगा आदि नामों से जाना जाता है।
इसके हर भाग का उपयोग पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसकी कच्ची फली और पत्तियों का उपयोग सब्जी में किया जाता है। जल को स्वच्छ करने के लिए भी इनका उपयोग होता है।
सहजन का पौध 10 मीटर से भी ज्यादा लम्बा हो जाता है लेकिन लोग इससे अच्छी फली एवं पत्ती पाने के लिए इसकी मूल शाखा को एक से दो मीटर उूपर से काट देते हैं।
इससे दो लाभ होते हैं। पहला पौधे के कल्लों की उूंचाई ज्यादा नहीं होती। दूसरा फली व पत्तों आदि को तोड़ने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
सहजन का पत्ती, फली, छाल, जड़ एवं बीज से प्राप्त तेल आदि सभी का उपयोग भोजन में किया जा सकता है। इससे कुछ दवाएं भी बनाई जाती हैं।
शरीर के लिए जरूरी तत्वों से भरपूर होने के कारण यह कई तरह की बीमारियोें से बचाता है। लोग तो यहां तक कहते हैं कि जो लोग दैनिक रूप से सहजन का उपयोग करते हैं वह तकरीबन तीन सौ बीमारियों से दूर रहते हैं।
यदि बाजार में पत्त्यिों की कीमत की बात करें तो खरीददार 40 से 45 रुपए प्रति किलोग्राम का रेट बता रहे हैं। इसके अलावा बीज की बात करें तो कर्नाटक आदि राज्यों में सहजन पर काम करने वाले लोग इसका बीज दो से चार हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक बेच लेते हैं।
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वह कहते हैं कि एक साल में आठ से दस कटिंग हो जाती हैं। एक एकड़ में सबसे पहली कटिंग एक कुंतल निकलेगी। एक मीटर उूपर से पहली कटिंग काटते हैं। इसके बाद की बाकी सारी कटिंग नई शाखाओं में से चार इंच छोड़ छोड़ कर काट लेते हैं।
फली के लिए दक्षिण की ओडीसी वेरायटी चलती है। डेढ फीट लंबी मोटी गूदादार फली लगती है। पीकेएम 1 किस्म की फली ज्यादा लंबी हो जाती है लिहाजा इसकी बाजार में कीमत अच्छी नहीं मिलती।