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अकेले कीटों पर ध्यान देने से नहीं बनेगी बात, साथ में करना होगा ये काम: एग्री एडवाइजरी

Published on: 31-Aug-2022

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रीसर्च (ICAR) के अनुसार, सोयाबीन, मक्का व हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को खरपतवार नियंत्रण के प्रति जागरुक होने की आवश्यकता है। दरअसल, खरीफ फसल की बुवाई के लिए सही वक्त पर, सही बीज का, सही तरीके से‌ इस्तेमाल करना आवश्यक होता है। वैसे धान और खरीफ के फसल की‌ बुवाई करीब-करीब आस-पास ही होती है।

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हरे भरे खेतों में छोटे छोटे पौधों का तीव्र गति से पुष्पित पल्लवित होना किसान भाईयों के हृदय में एक नयी उर्जा का संचार करता है। लहलहाते पौधों को देख कर खुशी से उनका मन मयूर नाच उठता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रीसर्च ने कृषकों के हित में एक एग्रो एडवाइजरी बोर्ड (Agro Advisory Board) का गठन किया है। एडवाइजरी बोर्ड का कहना है कि धान व खरीफ की फसलों के दौरान एक ऐसी स्थिति आती है, जब धान व खरीफ के पौधों में पत्ता मरोंड या फिर तना छेदक कीटें अपनी जड़ें जमा लेती हैं। तना छेदक कीटों से बचाव के लिए किसान को एडवाइजरी बोर्ड द्वारा जारी की गयी दवाइयों का बढ़-चढ़ कर इस्तेमाल करना चाहिए। किसानों को पौधों के‌ निचले भागों में जाकर समय समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए। कीटाणु पौधों के निचले हिस्से ही में अक्सर अपनी जड़ें जमाए बैठे रहते हैं। कीटाणु नाशक दवाइयों का छिड़काव भी समय-समय पर करते रहना चाहिए। सोयाबीन व सब्जियों ‌वाले किसानों को खरपतवार नियंत्रण के दौरान निराई व गुड़ाई‌ की सख्त आवश्यकता है। देशी खाद व फास्फोरस नामक उर्वरक के प्रयोग की भी हिदायतें दी गयी हैं। सब्जियों की खेती करने वाले किसानों, बेशुमार फल देने वाले‌ पौधों व शीर्ष छेदक कीटों से पौधों की सुरक्षा का निर्देश भी दिया गया है।

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फूल गोभी व पत्ता गोभी में फिरोमोन प्रपंच का छिड़काव जारी‌ करने का आदेश दिया गया है। बैगन, टमाटर, हरी मिर्च, फूल गोभी व पत्ता गोभी के पौधों को मिट्टी के मेड़ों पर बोवाई करने की सलाह दी गयी है। कृषक एडवाइजरी बोर्ड के अनुसार किसानों को किसी भी प्रकार के बीज व खाद की खरीददारी किसी प्रमाणित स्रोत से ही करनी चाहिए। हरे भरे मौसमी सब्जियों की बुवाई को तथाकथित ऊंची मेड़ों पर करने से फसल बेहतर होती हैं। किंतु, यहाँ पर ध्यान देने की आवश्यकता यह है कि फसल कितनी भी अच्छी क्यों ना हो, अगर‌ प्रत्येक दो तीन दिन के अंतराल में खरपतवार व साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाए तो उसमें कीटें प्रवेश करने से बाज नहीं आते हैं। सारे किये कराए पर तब पानी फिर जाता है। इसलिए समय समय पर खरपतवार को बारीकी से निकाल कर पौधों को स्वच्छता पूर्वक सामान्य ढंग से पनपने के लिए छोड़ना होगा।

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इस प्रकार मात्र थोड़ी सी सावधानी बरतने से किसान भाइयों की मेहनत अवश्य रंग लाएगी। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।

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