हरदोई के किसान का कहना है, कि 1 एकड़ भूमि पर करेले की खेती करने पर तकरीबन ₹30000 तक का खर्चा आता है। किसान को बेहतरीन मुनाफे के साथ करीब ₹300000 प्रति एकड़ का लाभ होता है।
करेले की खेती से किसान शीघ्र अमीर बन सकते है। किसानों की सफलता की यह कहानी, बाकी किसानों को भी करेले की खेती की ओर आकर्षित कर रही है।
असल में उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के किसान करेले की खेती से अच्छा-खासा लाभ अर्जित कर रहे हैं। परंतु, करेले की खेती से फायदा कमाने की कहानी की पटकथा के पीछे खेत तैयार करने की महत्वपूर्ण भूमिका है।
आईए जानते हैं, कि करेले की खेती करने वाले किसानों की सफलता की कहानी और उन्होंने किस प्रकार खेत तैयार किए, जिससे करेले की खेती से वह मोटा मुनाफा कमाने में सफल हो पाए।
हरदोई जनपद के किसान आजकल खेत में जाल बनाकर करेले की खेती कर रहे हैं, जिससे किसानों को करेले की खेती में लाखों का मुनाफा अर्जित हो रहा है। हरदोई के ऐसे ही एक किसान संदीप वर्मा हैं, जो कि गांव विरुइजोर के निवासी हैं।
वह बहुत वर्षों से करेले की खेती करते आ रहे है, उनका कहना है, कि उनके पिताजी भी सब्जियों की खेती किया करते थे।
सब्जी की खेती गर्मी एवं बरसात के दिनों में बेहद मुनाफा देती है। साथ ही, यह खेती सप्ताह अथवा 15 दिन में किसान की जेब में रुपए पहुंचाती रहती है।
किसान संदीप वर्मा का कहना है, कि करेले की फसल की उत्तम पैदावार के लिए 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है। साथ ही, बीजों के गुणवत्तापूर्ण जमाव के लिए 30 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है।
किसान ने बताया है, कि उनकी करेले की खेती की कमाई को देखी देखा फिलहाल उनके रिश्तेदार भी करेले की फसल उगाने लग गए हैं, जिससे उनको भी लाभ हाेने लगा है।
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किसान संदीप वर्मा ने बताया है, कि वह आर्का हरित नामक करेले के बीज को लगभग 2 वर्षों से बो रहे हैं। इस बीज से निकलने वाले पेड़ से प्रत्येक बेल में करीब 50 फल तक अर्जित होते हैं।
संदीप का कहना है, कि आर्का हरित करेले के बीज से निकलने वाला करेला बेहद लंबा एवं तकरीबन 100 ग्राम तक का होता है। करेला की 1 एकड़ भूमि में 50 क्विंटल तक की अच्छी पैदावार इससे अर्जित की जा सकती है।
विशेष बात यह है, कि इस करेला के फल में अत्यधिक बीज नहीं पाए जाते। इस वजह से इसको सब्जी के लिए बड़े शहरों में ज्यादा पसंद किया जाता है।
किसान का कहना है, कि गर्म वातावरण करेले की खेती के लिए बेहद बेहतरीन माना गया है। खेत में समुचित जल निकासी की समुचित व्यवस्था के साथ इसे बलुई दोमट मृदा में आसानी से किया जा सकता है।
करेले की बिजाई करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय बारिश के दिनों में मई-जुलाई का पहला हफ्ता वहीं सर्दियों में जनवरी-फरवरी माना जाता है।
किसान का कहना है, कि खेत की तैयारी करने के दौरान खेत में गोबर की खाद डालने के पश्चात कल्टीवेटर से कटवा कर उसकी बेहतरीन ढ़ंग से जुताई करके मृदा को भुरभुरा बनाते हुए उसमें पाटा लगवा कर एकसार कर लें। बुआई से पूर्व खेत में नालियां तैयार कर लें।
साथ ही, इस बात का खास ख्याल रखें कि खेत में जलभराव की स्थिति ना बने मृदा को एकसार बनाते हुए खेत में दोनों ओर की नाली निर्मित की जाती हैं।
साथ ही, खरपतवार को भी खेत से बाहर निकाल कर आग लगा दी जाती है अथवा उसको गहरी मृदा में दबा दिया जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 1 एकड़ भूमि में करेला की बुवाई हेतु तकरीबन 600 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। करेले के बीजों की बुवाई करने के लिए 2 से 3 इंच की गहराई पर बोया जाता है।
साथ ही, नाली से नाली का फासला तकरीबन 2 मीटर और पौधों का फासला करीब 70 सेंटीमीटर होता है। बेल निकलने के पश्चात मचान पर उसे सही ढंग से चढ़ा दिया जाता है।
करेले की पौध को बिमारियों एवं कीटों से बचाने के लिए किसान विशेषज्ञों से सलाह मशवरा कर के कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं।
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किसान का कहना है, कि 1 एकड़ खेत में तकरीबन ₹30000 तक की लागत आसानी से आ जाती है। साथ ही, किसान को बेहतरीन मुनाफे के साथ करीब ₹300000 प्रति एकड़ का लाभ होता है।
हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार का कहना है, कि जनपद में किसान करेले की खेती से काफी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों को खेती के संबंध में समयानुसार उपयोगी जानकारी दी जा रही है।
इसके साथ ही किसानों को अच्छे बीज एवं अनुदान भी प्रदान किए जा रहे हैं। किसानों के खेत में पहुँचकर किसानों की फसलों का निरीक्षण भी किया जा रहा है, इससे उनको अच्छे खरपतवार एवं कीट नियंत्रण से जुड़ी जानकारी प्रदान की जा रही है।
हरदोई की जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि हरदोई का करेला लखनऊ, कानपुर, शाहजहांपुर के अतिरिक्त दिल्ली, मध्य प्रदेश व बिहार तक पहुँच रहा है। इससे किसान को उसकी करेले की फसल का समुचित भाव अर्जित हो रहा है।