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इस राज्य में प्रोफेसर आम की खेती से कमा रहा है लाखों का मुनाफा

Published on: 10-Jun-2023

आज हम आपको प्रोफेसर अरूण कुमार के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि मधेपुरा जनपद के रहने वाले हैं। उन्होंने 5 एकड़ भूमि पर आम की खेती की हुई है। इससे उनको वर्ष भर में 5 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। बिहार राज्य में किसान परंपरागत खेती करने के साथ-साथ बागवानी फसलों की भी जमकर खेती कर रहे हैं। इससे किसान भाइयों की आय में भी इजाफा दर्ज हुआ है। विशेष कर मखाने, लीची, मशरूम और भिंडी की खेती किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। साथ ही, आम की खेती में भी किसान भाई रुची ले रहे हैं। यही कारण है, कि आम उत्पादन में बिहार भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य माना जाता है। बिहार के किसानों ने आम की खेती में लोगों के समक्ष मिसाल प्रस्तुत की है। आज हम एक ऐसे ही आम उत्पादक के विषय में बात करेंगे, जो स्टूडेंट्स को पढ़ाने के साथ- साथ खेती में नया प्रयोग कर रहे हैं। इससे उनको अच्छी-खासी आमदनी हो रही है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं प्रोफेसर अरूण कुमार के संदर्भ में।

अरुण कुमार के बाग में 50 किस्मों के आम के पेड़ हैं

खबरों के मुताबिक, प्रोफेसर अरूण कुमार मधेपुरा के निवासी हैं। उन्होंने 5 एकड़ भूमि पर आम की खेती कर रखी है। जिससे उनको साल में 5 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। अरूण कुमार का कहना है, कि पहले उनके बाग में उनके पिता जी द्वारा रोपे गए आम के कुछ ही पेड़ थे। परंतु, जब उन्होंने बाग की देखरेख चालू की तो उनको लगा कि इसकी खेती में अधिक फायदा है। इसके उपरांत वह आम का क्षेत्रफल बढ़ाते गए। आज उनके समीप 5 एकड़ भूमि में आम के पेड़ लगे हुए हैं। मुख्य बात यह है, कि उनके बाग में 50 प्रजातियों के आम के पेड़ हैं। वह एक एकड़ से एक लाख रुपये की आमदनी करते हैं। इस प्रकार 5 एकड़ से वर्ष में उन्हें पांच लाख रुपये की आमदनी हो रही है।

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बाग में विभिन्न प्रकार के आम की प्रजातियां हैं

अरुण कुमार का कहना है, कि लोगों को लगता है कि आम की खेती में घाटा है। परंतु, इस प्रकार की कोई बात नहीं है। यदि वैज्ञानिक विधि से आम की खेती की जाए तो इसमें मुनाफा ही मुनाफा है। अभी उनके बाग में मालदा, आम्रपाली, कलकतिया, मलिका, सिंदुरिया, दशहरी, किशुभोग, जर्दालू, गुलाब खास, बमबई आम की विभिन्न प्रजातियां हैं। सभी आम के पेड़ों पर फल लदे हुए हैं, जो कि बाजार में सहजता से बिक जाते हैं। प्रोफेसर अरूण कुमार का कहना है, कि आम के पौधे लगाने पर 3 वर्ष तक आमदनी नहीं होती है। जैसे ही चौथे वर्ष से फल आने आरंभ होते हैं, तो वर्ष दर वर्ष आमदनी भी बढ़ती चली जाती है।

फलों की चमक ज्यों की त्यों बनी रहती है

प्रोफेसर अरूण कुमार ने बताया है, कि यदि आम के बाग की बेहतर ढ़ंग से देखरेख की जाए, तो पेड़ पर प्रति वर्ष फल आएंगे। उनकी मानें जो मंजर आने से 4 महीने पूर्व बाग की सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। साथ ही, वक्त वक्त पर पेड़ों के ऊपर दवा का भी छिड़काव करते रहना चाहिए। इससे पेड़ों में रोग भी नहीं लगते हैं एवं फलों की चमक ज्यों की त्यों बनी रहती है।

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