Published on: 20-Aug-2022
छत्तीसगढ़ पहला राज्य जहां गौमूत्र से बन रहा कीटनाशक
इस न्यूज की हेडलाइन पढ़कर लोगों को अटपटा जरूर लगेगा, पर यह खबर किसानों के लिए बड़ी काम की है। जहां गौमूत्र का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है और गांवों में आज भी लोग इसका सेवन करते हैं, उनका कहना है कि गौमूत्र पीने से कई बीमारियों से बच पाते हैं। वहीं, गौमूत्र अब किसानों के खेतों में कीटनाशक के रूप में, उनकी जमीन की सेहत सुधारकर फसल उत्पादन का बढ़ाने में उनकी काफी मदद करेगा।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि आधुनिकता के युग में खान-पान सही नहीं होने और फसलों में बेतहासा
जहरीले कीटनाशक के प्रयोग से हमारा अन्न जहरीला होता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध कर दिया है कि जहरीले कीटनाशक के प्रयोग से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और आयु घटती जा रही है।
लोगों की इस तकलीफ को किसानों ने भी समझा और अब वे भी धीरे-धीरे
जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे वे अपनी आमदनी तो बढ़ा ही रहे हैं, साथ-साथ देश के लोगों और भूमि की सेहत भी सुधार रहे हैं। इसी के तहत लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने किसान हित में एक बड़ा कदम उठाया है और पशुपालकों से गौमूत्र खरीदने की योजना शुरू की है, जिससे कीटनाशक बनाया जा रहा है। इसका उत्पादन भी सरकार द्वारा शुरू कर दिया गया है।
पहले राज्य सरकार ने किसानों को
जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित किया, जिसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे हैं, इसके बाद पशुपालकों से गौमूत्र खरीदकर उनको एक अतिरिक्त आय भी दे दी।
राज्य सरकार पशुपालक किसानों से चार रुपए लीटर में गौमूत्र खरीद रही है। राज्य के लाखों किसान इस योजना का फायदा उठाकर गौमूत्र बेचने भी लगे हैं।
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हरेली पर मुख्यमंत्री ने गौमूत्र खरीद कर की थी शुरूआत
हरेली पर्व पर 28 जुलाई से गोधन न्याय योजना के तहत गोमूत्र की खरीदी शुरू की गई है। मुताबिक छत्तीसगढ़ गौ-मूत्र खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में हरेली (हरियाली अमावस्या) पर्व के अवसर पर गोमूत्र खरीदा और वे पहले ग्राहक बने। वहीं मुख्यमंत्री ने खुद भी गौमूत्र विक्रय किया था।
अन्य राज्य भी अपना रहे
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो
पशुपालक ग्रामीणों से चार रुपए लीटर में गोमूत्र खरीद रहा है। गोधन न्याय योजना के बहुआयामी परिणामों को देखते हुए देश के अनेक राज्य इसे अपनाने लगे हैं। इस योजना के तहत, अमीर हो या गरीब, सभी को लाभ मिल रहा है।
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गौमूत्र से बने ब्रम्हास्त्र व जीवामृत का किसान करे उपयोग
अब आते हैं गौमूत्र से बने कीटनाशक की बात पर। विदित हो कि किसान अब जैविक खेती को अपना रहे हैं। ऐसे में गौमूत्र से बने ब्रम्हास्त्र व जीवामृत का उपयोग किसान अपने क्षेत्र में करने लगे हैं। राज्य की महत्वकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत, गोधन न्याय योजना के तहत अकलतरा विकासखण्ड के तिलई गौठान एवं नवागढ़ विकासखण्ड के खोखरा गौठान में गौमूत्र खरीदी कर, गोठान समिति द्वारा जीवामृत (ग्रोथ प्रमोटर) एवं ब्रम्हास्त्र (जैविक कीट नियंत्रक) का उत्पादन किया जा रहा है।
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गौठानों में सैकड़ों लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। जिसमें निर्मित जैविक उत्पाद का उपयोग जिले के कृषक कृषि अधिकारियों के मार्गदर्शन में अपने खेतों में कर रहे हैं। इससे कृषि में जहरीले रसायनों के उपयोग के विकल्प के रूप में गौमूत्र के वैज्ञानिक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, रसायनिक खाद तथा
रसायनिक कीटनाशक के प्रयोग से होने वाले हानिकारक प्रभाव में कमी आयेगी, पर्यावरण प्रदूषण रोकने में सहायक होगा तथा कृषि में लगने वाली लागत में कमी आएगी।
50 रुपए लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवामृत (वृद्धि वर्धक) का मूल्य 40 रुपए लीटर
गौमूत्र से बनाए गए कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र का विक्रय मूल्य 50 रूपये लीटर तथा जीवामृत (वृद्धि वर्धक) का विक्रय 40 रूपये लीटर है। इस प्रकार गौमूत्र से बने जैविक उत्पादों के दीर्घकालिन लाभ को देखते हुए जिले के कृषक बंधुओं को इसके उपयोग की सलाह कृषि विभाग द्वारा दी जा रही है।