जून महीने में बागवानी फसलों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह महीना गर्मी और मानसून के संधिकाल का होता है।
इस समय कई फसलों की बुवाई, देखभाल और प्रबंधन की जरूरत होती है।
जून महीने में बागवानी फसलों का ध्यान रखने के लिए किसानों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए उसके बारे में आप विस्तार से जानेंगे।
गर्मी के कारण पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है। फसलों को नियमित अंतराल पर पानी दें। सिंचाई हमेशा श्याम के समय ही करनी चाहिए जिससे की पौधा रात के समय उस पानी का इस्तेमाल कर सकें।
मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए पौधों के आसपास मल्चिंग करें। मल्चिंग से मिट्टी की सतह ढल जाती है जिससे की मिट्टी में उचित नमी रहती है और कम सिचाई के आवश्यकता पड़ती है।
पानी की बचत और पौधों को सीधा पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग करें। इस प्रणाली के माध्यम से पोषक तत्व और कीटनाशक भी सिंचाई के साथ दिए जा सकते है।
पौधों को आवश्यक पोषक तत्व देने के लिए संतुलित खाद का प्रयोग करें। गर्मी के मौसम में रासायनिक खादों और पोषण प्रबंधन का इस्तमाल कम करे इससे पौधे को क्षति हो सकती है इसलिए संतुलित मात्रा में ही इनका प्रयोग करे।
कंपोस्ट या वर्मी-कंपोस्ट का उपयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करें। जैविक खाद मिलाने से भूमि में ज्यादा गर्मी भी नहीं उत्पन होती जिससे की मिट्टी का तापमान सामान्य बना रहता है।
फसलों की नियमित जांच करें और किसी भी बीमारी या कीट के लक्षण पाए जाने पर तुरंत उपचार करें।
रासायनिक कीटनाशकों के बजाय जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। गर्मी के मौसम में फसल में कीटनाशक डालते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें की मिट्टी में नमी होना बहुत आवश्यक है। अगर नमी पर्याप्त ना हो तो सिचाई करने के बाद ही कीटनाशक फसल में डालें।
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अत्यधिक धूप से पौधों को बचाने के लिए छायादार नेट का उपयोग करें। धूप के चेपट में आने से पौधे सुख सकते है।
बागवानी क्षेत्र में छायादार पेड़ लगाएं, जहां आप के बाग़ है उन खेतों की मेड पर छयादार और बड़े पेड़ लगाएं जिससे की उनकी छाव बाग़ के पौधों पर रहें।
फसलों को सही समय पर काटें ताकि वे अत्यधिक परिपक्व न हो जाएं। गर्मी के कारण पौधे जल्दी परिपक हो सकते है, इसलिए कटाई छटाई का कार्य समय समय पर करते रहना चाहिए।
कटाई के बाद फसलों को उचित तरीके से संग्रहित करें ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे।
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मानसून की तैयारी के लिए नए पौधों की बुवाई की योजना बनाएं।
उन्नत किस्मों के पौधों का चयन करें जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुकूल हों।
मिट्टी की जाँच कराएं और उसकी उर्वरकता बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधार करें।
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मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए ढाल विधि का उपयोग करें।
स्थानीय कृषि संगोष्ठियों में भाग लें और नवीनतम तकनीकों और ज्ञान को साझा करें। अगर किसानों आपस में ज्ञान को साझा करते है तो एक दूसरे के सहयोग से अच्छी खेती कर सकते है।
कृषि विस्तार सेवाओं का लाभ उठाएं और विशेषज्ञों की सलाह प्राप्त करें।
इन उपायों को अपनाकर किसान जून महीने में बागवानी फसलों का उचित ध्यान रख सकते हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।