मौसमी करवट का उूंट किस करवट बैठेगा और क्या रंग दिखाएगा पता नहीं लेकिन इस बार मौसम का मिजाज कुछ ठीक नहीं लग रहा है। करीब 10 से 15 दिन पूर्व आई ठंड जल्द काफूर हुई तो किसान के पास बचने का कोई ठोस चारा नहीं होगा। जनवरी के जाते जाते एकदम से गर्म हो रहे मौसम ने चेंपा का प्रकोप बढ़ा दिया है। हीट स्ट्राक के कारण गेहूं की मिल्किंग और दाना बनने की प्रक्रिया पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
वैज्ञानिकों की मानें तो एकदम से तापमान का बढ़ना और एकसाथ गिरना मनुष्यों की तरह पशु—पक्षी और पेड़—पौधों की फिजियोलाजी को भी प्रभावित करता है। यह बिल्कुल वैसा है जैसे किसी व्यक्ति को एयर कंडीशन में से गर्मी में जाना हो फिर गर्मी से ठंडे माहौल में जाना हो। इस तरह की स्थितियां अच्छे भले इंसान को बीमार कर देती हैं तो फसलों को इस तरह के प्रभाव से कैसे बचाया जाए।
वैज्ञानिक अभी मौसम की करबट से नुकसान की संभावना नहीं बता रहे लेकिन सरसों का कीट चेंपा गेहूं को प्रभावित करने लगा है। यह पत्तों के पर्ण हरित को चूसने का काम करता है जिसके चलते पौधे का विकास और उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं। इसके अलावा अन्य तरह के कीट भी सक्रिय हो जाते हैं। शहरों में यह लोगों की आंखों में घुसकर नेत्ररोगों का कारण बनता है।
मौसम की प्रतिकूल परिस्थतियों से बचने के लिए वैज्ञानिक शूक्ष्म पोषक तत्व एवं थायो यूरिया जैसे वृद्धि नियामकों के घोल के खड़ी फसल पर छिडकाव की सलाह देते हैं। इससे मौसम की प्रतिकूलता का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है। वह स्पष्ट करते हैं कि एकसाथ मौसम में बडा बदलाव होने से पौधे की मेच्योरिटी की ओर सक्रिय हो जाते हैं। फसल समय से पूर्व बाली फैंक देती हैं। किसानों को इन हालात में सकर्त रहने की जरूरत है।