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फसल

सदाबहार की खेती कैसे होती है और इसका क्या महत्व है

सदाबहार की खेती कैसे होती है और इसका क्या महत्व है

सदाबहार एक बहुवर्षीय (बार-बार फलने वाला) सजावटी औषधीय पौधा है, जो भारतभर में परती भूमि और रेतीली जगहों पर पाया जाता है। सदाबहार की जड़ो में इंडोल एल्कलॉइड्स — रॉबसिन (अजमालिसिन) और सर्पेंटिन होते है जो की इसे एक औषधीय पौधा बनाते है, इसकी खेती भारत में कई स्थानों पर की जाती है, इस लेख में हम आपको सदाबहार के गुणों और इसकी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।सदाबहार में पाए जाने वाले एल्कलॉइड्ससदाबहार में एंटी-फाइब्रिलिक और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। इसके पत्तों में विनब्लास्टिन और विनक्रिस्टिन नामक दो महत्वपूर्ण एल्कलॉइड्स पाए जाते हैं,...
भारत में सबसे अधिक चाय की खेती कहाँ होती है?

भारत में सबसे अधिक चाय की खेती कहाँ होती है?

भारत विश्व के सबसे बड़े चाय उत्पादक और उपभोक्ता देशों में से एक है। यहाँ चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आजीविका का अहम हिस्सा है। चाय उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और लाखों लोगों के लिए रोजगार का स्रोत भी है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चाय उद्योग महिलाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराता है। भारत की चाय पहली बार 19वीं सदी में वैश्विक बाजार में पहुंची और तब से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अनूठी गुणवत्ता और स्वाद के लिए जानी जाती है।चाय उत्पादन को प्रभावित करने वाले मुख्य...
मूंग की उन्नत किस्मों के बीज अब किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध

मूंग की उन्नत किस्मों के बीज अब किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध

फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को उन्नत तकनीक से जोड़ने के उद्देश्य से देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय लगातार नई-नई उन्नत किस्मों का विकास कर रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने मूंग की दो उन्नत किस्मों MH 1762और MH 1772 को बढ़ावा देने हेतु राजस्थान की स्टार एग्रो सीड्स कंपनी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस करार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन उन्नत किस्मों का बीज अधिक से अधिक किसानों तक विश्वसनीय रूप से पहुंचे, जिससे उनकी पैदावार में सुधार हो और उन्हें आर्थिक लाभ मिल...
चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का पौधा, जिसे अंग्रेज़ी में Plumeria कहा जाता है, एक सुंदर और सुगंधित पुष्प वाला वृक्ष है, जो अपनी मनमोहक महक और बहुपयोगी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। चंपा न केवल अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है, बल्कि इसका धार्मिक, औषधीय और सजावटी महत्व भी अत्यधिक है। यह फूल विशेष रूप से बरसात के मौसम में अधिक खिलते हैं और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाए जा सकते हैं।चंपा का पौधाचंपा एक छोटा या मध्यम आकार का पर्णपाती वृक्ष होता है। इसकी पत्तियाँ आमतौर पर चमकदार हरे रंग की होती हैं और आकार में 8 से...
 मूली की नई और उन्नत किस्मों की सूची

मूली की नई और उन्नत किस्मों की सूची

लेखक: डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलान 1. पूसा मृदुला:विवरण: IARI द्वारा विकसित। सफेद, मुलायम जड़ें (25-30 सेमी), कम तीखी। गर्मी और आर्द्रता सहनशील। 35-45 दिन में तैयार। पैदावार: 30-35 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: मार्च से सितंबर।2. पूसा गुलाबी:विवरण: IARI की नई किस्म। गुलाबी जड़ें (20-25 सेमी), हल्की मीठी। सलाद के लिए लोकप्रिय। 40-50 दिन में परिपक्व। पैदावार: 25-30 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: सितंबर से फरवरी।3. अर्का निशांत:विवरण: IIHR की किस्म। लंबी, सफेद जड़ें (30-35 सेमी), फफूंदी-प्रतिरोधी। गर्मी और सर्दी दोनों के लिए। 40-45 दिन में तैयार। पैदावार: 30-40 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: अगस्त से जनवरी।यह भी पढ़ें: मूली की फसल को प्रभावित...
मक्का की वृद्धि अवस्थाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ, और पोषक तत्व आवश्यकताएँ

मक्का की वृद्धि अवस्थाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ, और पोषक तत्व आवश्यकताएँ

लेखक: डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलानउच्च मक्का उपज प्राप्त करने के लिए, किसानों को फसल की वृद्धि अवस्थाओं को समझना और उचित देखभाल प्रदान करना आवश्यक है, जिसमें सटीक पोषक तत्व प्रबंधन शामिल है। यह बुलेटिन मक्का की प्रमुख वृद्धि अवस्थाओं, उनकी प्रबंधन आवश्यकताओं, और इष्टतम वृद्धि के लिए मानक प्रथाओं के आधार पर अनुशंसित उर्वरक अनुप्रयोग (किग्रा प्रति हेक्टेयर) को रेखांकित करता है।मक्का की विभिन्न वृद्धि अवस्थाओं में प्रबंधन प्रथाएँ और पोषक तत्व प्रबंधन   1. उद्भव अवस्था     विवरण:मक्का का बीज अंकुरित होता है और पौधा मिट्टी से बाहर निकलता है।इसके लिए गर्म...
 उन्नत कृषि प्रणाली के लिए ज्ञान, यंत्र, प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला

उन्नत कृषि प्रणाली के लिए ज्ञान, यंत्र, प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला

लेखक - डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलान,कृषि मात्र एक साधारण उत्पादन प्रक्रिया नहीं है; यह एक सुव्यवस्थित असेम्बली लाइन है जिसमें मंत्र (ज्ञान), यंत्र (संसाधन), और तंत्र (प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला) का प्रभावी समन्वय आवश्यक होता है। उन्नत कृषि के लिए, किसान को वैज्ञानिक समझ, तकनीकी दक्षता, और एक व्यापक आपूर्ति प्रणाली विकसित करनी होती है। यह एक सुव्यवस्थित कृषि उद्योग की आधारशिला है।Extreme Farm Soil Engineering: उन्नत कृषि की नींवकिसी भी फसल उत्पादन की मूलभूत इकाई मृदा होती है। परंपरागत दृष्टिकोण से आगे बढ़कर, Extreme Farm Soil Engineering का उद्देश्य मिट्टी को एक उर्वर, संरचित और पर्यावरण-अनुकूल प्रणाली में बदलना...