नई दिल्ली।
इस साल भीषण गर्मी से आम जनमानस में अकुलाहट है। इधर भीषण गर्मी ने अन्नदाता को झुलसाया, तो उधर भीषण गर्मी के चलते गेहूं की पैदावार में भी भारी गिरावट हुई है। गेहूं की फसल कटाई के बाद आधिकारिक रूप से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार गेहूं उत्पादन में पिछले दो दशक बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
गेहूं की बाली में दाना पकने के दौरान ही तापमान काफी बढ़ गया था। इस साल मार्च महीने में ही तापमान 40° डिग्री तक पहुंच गया था। तेज धूप के कारण गेहूं के डंठल का रंग सुनहरे की जगह पीला पड़ गया था। जिससे फसल के खराब होने की आंशका बढ़ गई थी। साल 2020 व 2019 में भी फसलों को नुकसान हुआ था।लेकिन इतना नुकसान नहीं हुआ था। जो इस साल देखने को मिला है।
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- कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं जैसे मुख्य फसल पर मौसम की मार दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा पर जोखिम का संकेत है। जल्दी ही कोई उपाय नहीं किया गया और गर्मी व लू अत्यधिक बढ़ गई तो गेहूं उत्पादन वाले इलाके भौगोलिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
- किसानों के लिए गेहूं मुख्य फसल है। यदि गेहूं की फसल में भी नुकसान जाएगा। तो किसान पर और अधिक कर्ज बढ़ जाएगा। कर्ज के दलदल में फंसकर किसान के लिए अपने परिवार का पालन-पोषण करना कठिन हो जाएगा।
- साल 2022-23 में भीषण गर्मी के कारण गेहूं की फसल के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज हुई है। गेहूं उत्पादन में उत्तर प्रदेश में 18 प्रतिशत, हरियाणा में 22. 40 प्रतिशत व पंजाब में 30 प्रतिशत तक कि गिरावट हुई है।
------- लोकेन्द्र नरवार